कोवैक्सिन पर विवाद: कांग्रेस नेता ने उठाये सवाल… कोवैक्सिन में गाय के बछड़े का सीरम.... कांग्रेस नेता के आरोप पर बवंडर.... क्या कोवैक्सिन में गाय के बछड़े का खून?.... जानें आपके सभी सवालों के जवाब......

कोवैक्सिन पर विवाद: कांग्रेस नेता ने उठाये सवाल… कोवैक्सिन में गाय के बछड़े का सीरम.... कांग्रेस नेता के आरोप पर बवंडर.... क्या कोवैक्सिन में गाय के बछड़े का खून?.... जानें आपके सभी सवालों के जवाब......


नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से कोवैक्सिन को लेकर कुछ सोशल मीडिया पर कई तरह के पोस्ट वायरल हो रहे हैं। वायरल पोस्ट में कोवैक्सिन को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं। कोवैक्सिन बनाने में गाय के बछड़े के सीरम का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए 20 दिन से भी कम के बछड़े की हत्या की जाती है। ये दावा कांग्रेस के नेशनल कॉर्डिनेटर गौरव पांधी ने बुधवार को किया है। पांधी ने एक RTI के जवाब में मिले दस्तावेज शेयर किए। 

 

कांग्रेस के नेशनल कॉर्डिनेटर गौरव पांधी ने दावा किया है कि यह जवाब विकास पाटनी नाम के व्यक्ति की RTI पर सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने दिया है। बछड़े के सीरम का उपयोग वेरो सेल्स के रिवाइवल प्रोसेस के लिए किया जाता है। इसका इस्तेमाल कोवैक्सिन बनाने के लिए किया जा रहा है। पांधी ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने मान लिया है कि भारत बायोटेक की वैक्सीन में गाय के बछड़े का सीरम शामिल है। यह बहुत बुरा है। इस जानकारी को पहले ही लोगों को बताया जाना चाहिए था।

 

 

BJP ने आरोप को कांग्रेस का प्रोपेगेंडा बताया

 

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस के आरोपों को प्रोपेगेंडा करार दिया है। हिंदुस्तान और विश्व कोविड से लड़ रहा है, लेकिन कांग्रेस पार्टी वैक्सीन ड्राइव में भ्रम फैला रही है। कांग्रेस ने महापाप किया है और कोवैक्सिन को लेकर भ्रम फैलाया है। कोवैक्सिन में गाय के बछड़े का खून होने की बात कांग्रेस कर रही है। सोशल मीडिया में है कि इसके लिए गाय का कत्ल किया जा रहा है। इसको लेकर हेल्थ मिनिस्ट्री ने कहा है कि कोवैक्सिन में गाय के बछड़े का सीरम या खून नहीं है।

 

नहीं होता बछड़े के सीरम का उपयोग

 

कांग्रेस नेता के आरोप के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने सफाई दी है। मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि सोशल मीडिया पर कोवैक्सिन के बारे में गलत जानकारी शेयर की जा रही है। पोस्ट में तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। नवजात बछड़े के सीरम का उपयोग सिर्फ वेरो सेल्स को तैयार करने में किया जाता है, जो बाद में अपने आप ही नष्ट हो जाते हैं। जब अंतिम समय में वैक्सीन का प्रोडक्शन होता है, तब इसका उपयोग नहीं किया जाता है।

 

क्या कोवैक्सिन में बछड़े का सीरम है?

 

नहीं। उसमें बछड़े का सीरम नहीं है। दरअसल, बछड़े के सीरम का काम बहुत सीमित होता है। वैक्सीन बनाने से पहले सेल्स विकसित होते हैं, जिन्हें वायरस से इंफेक्ट किया जाता है। इन सेल्स को बनाने में बछड़े के सीरम का इस्तेमाल जरूर होता है। जब सेल्स विकसित हो जाते हैं तो उन्हें प्यूरीफाई करते हैं। इस दौरान सेल्स एक रसायनिक प्रक्रिया से गुजरते हैं और इसके बाद उनमें बछड़े के सीरम का अंश रहने की कोई संभावना नहीं रहती। भारत बायोटेक के अनुसार इस वजह से अंतिम प्रोडक्ट यानी कोवैक्सिन में बछड़े का सीरम नहीं रह जाता।

 

सीरम के लिए बछड़ों की हत्या की जा रही है?

 

नहीं। वैज्ञानिक लंबे समय से गाय के भ्रूण का इस्तेमाल करते रहे हैं। पहले इसके लिए गर्भवती गायों को मारा जाता था। पर अब यह प्रक्रिया बदल गई है। पशुओं को क्रूरता से बचाने के लिए अब नवजात बछड़ों का ब्लड सीरम लेते हैं। आमतौर पर जन्म के 3 से 10 दिन के भीतर इन्हें निकाला जाता है। भारत में गौहत्या प्रतिबंधित है। इस वजह से ज्यादातर ब्लड सीरम बायोलॉजिकल रिसर्च करने वाली लैब्स से इम्पोर्ट होता है।

 

क्या वैक्सीन बनाने में बछड़े के सीरम का इस्तेमाल होता है?

 

हां। यह एक आम प्रक्रिया है। भारत के तो लगभग सभी वैक्सीन निर्माता इसका इस्तेमाल करते हैं। पोलियो की वैक्सीन भी ऐसे ही बनती है। दरअसल, वैक्सीन बनाने में वायरस को कमजोर किया जाता है। इसके लिए बड़ी संख्या में वायरस चाहिए। वैक्सीन कंपनियां बछड़े के सीरम का इस्तेमाल सेल्स को विकसित करने में करती हैं। उसमें वायरस को दाखिल किया जाता है। बाद में इन वायरस को कमजोर कर वैक्सीन में लिया जाता है।