CG की माली हालत ठीक नहीं: CM भूपेश ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखा पत्र.... राज्य की आय में आई कमी, फंड्स मांगे.... GST क्षतिपूर्ति अनुदान को जारी रखने, पेट्रोल-डीजल में सेस कम करने सहित की ये मांग.... पढ़े पूरा पत्र......




रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा है। राज्य के हित के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने की मांग की। राजस्व घाटा अनुदान के मापदंडों को वर्तमान परिस्थितियों के आधार पर सुधार करने की मांग की। जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान को जून 2022 के पश्चात भी आगामी 5 वर्षो के लिए और जारी रखे जाने की माँग की। कोल ब्लाक आबंटन के निरस्तीकरण से छत्तीसगढ़ को देय 4140 करोड़ रूपये की राशि की माँग की। धान से बायो एथेनॉल बनाने की अनुमति शीघ्र देने का अनुरोध किया। केंद्र द्वारा पेट्रोल एवं डीजल पर सेस में कमी करने की माँग की। केंद्रीय योजनाओं में केंद्रांश बढ़ाने की माँग की।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को कहा कि राज्य सरकारों के पास वित्तीय संसाधन सीमित हैं। कोविडे के कारण विगत दो वर्षों में राज्य की आय में बड़ी कमी हुई है जिससे राज्य को लोककल्याणकारी योजनाओं के संचालन में अत्यधिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर राजस्व घाटा अनुदान ऐसे राज्यों को दिया जा रहा है, जो वर्ष 2020-21 से 2025-26 के पूर्व के 5 या अधिक वर्षों से लगातार बड़े राजस्व घाटे में रहे हैं। यदि यह अनुदान राज्यों को खराब वित्तीय स्थिति से उबरने के उद्देश्य से दिया जा रहा है, तो इसे पूर्व के वर्षों के राजस्व घाटे को आधार मानकर देने की बजाए वर्ष 2020-25 की अवधि में होने वाले राजस्व घाटे की प्रतिपूर्ति के आधार पर दिया जाना चाहिए। ऐसा करने सेपूर्व में वित्तीय अनुशासन का पालन करने वाले किन्तु वर्तमान में कोविड़-19 के कारण प्रभावित अर्थव्यवस्था तथा जीएसटी कर प्रणाली की विसंगतियों के कारण राजस्व प्राप्तियों में कमी के कारण राजस्व घाटे की स्थिति निर्मित होने वाले राज्यों को भी इस अनुदान का लाभ प्राप्त हो सकेगा। अतः हमारी मांग है कि राजस्व घाटा अनुदान दिये जाने के मापदण्डों पर वर्तमान परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में पुनर्विचार कर आवश्यक परिवर्तन किया जाए, ताकि वित्तीय अनुशासन का पालन करने वाले छत्तीसगढ़ राज्य को भी इसका लाभ मिल सके।
वर्तमान व्यवस्था के अनुसार जिन राज्यों को जीएसटी कर प्रणाली लागू होने के पश्चात राजस्व की हानि हुयी है, उन्हें जुलाई 2017 से जून 2022 तक केवल 05 वर्ष के लिये ही क्षतिपूर्ति अनुदान दिये जाने की व्यवस्था है। राज्य को चालू वित्त वर्ष में जीएसटी क्षतिपूर्ति मद में लगभग 6,500 करोड़ की प्रतिपूर्ति प्राप्त होना अनुमानित है, किन्तु आगामी वित्त वर्ष 2022-23 में यह राशि केवल प्रथम तिमाही (अप्रैल से जून) तक ही केन्द्र से प्राप्त होगी, जो कि लगभग 1,700 करोड़ होगी। इस प्रकार आगामी वर्ष में राज्य को लगभग 5,000 करोड़ के राजस्व की हानि की भरपाई की कोई व्यवस्था अभी तक केन्द्र द्वारा नहीं की गयी है। जबकि हमारे द्वारा 15 वें वित्त आयोग एवं केन्द्र सरकार का ध्यान पूर्व में भी इस ओर आकृष्ट किया जा चुका है। छत्तीसगढ़ जैसे उत्पादक राज्य के लिये यह एक बड़ा आर्थिक नुकसान है, जबकि उत्पादक राज्य होने के नाते देश की अर्थव्यवस्था के विकास में राज्य का योगदान उन राज्यों की तुलना में कहीं अधिक है, जो वस्तुओं व सेवाओं के अधिक उपभोग के कारण जीएसटी कर प्रणाली में लाभान्वित हुए है। अतः आग्रह है कि जीएसटी क्षतिपूर्ति अनुदान को जून 2022 के पश्चात भी आगामी 5 वर्षों के लिये और जारी रखा जाए अथवा छत्तीसगढ़ जैसे उत्पादक राज्यों को राजस्व हानि की भरपाई की कोई स्थायी विकल्प अतिशीघ्र किया जाए ताकि वर्ष 2022-23 के वार्षिक बजट निर्माण की प्रक्रिया निर्बाध पूर्ण की जा सके।
सर्वोच्च न्यायालय के 2014 में पारित आदेश द्वारा देश भर में 215 कोयला खदानों के आवंटन को निरस्त किया गया था। इसी आदेश में जिन कंपनियों को यह कोल ब्लॉक्स आवंटित थे, उन पर रूपये 295 प्रति टन की दर से पेनाल्टी अधिरोपित की गयी थी जो कि कंपनियों द्वारा केन्द्र सरकार के पास जमा की गयी थी। यह राशि राज्यों को आवंटित किया जाना चाहिए, इससे छत्तीसगढ़ को भी 4,140 करोड़ रूपये प्राप्त होंगे। हमारी मांग है कि यह राशि राज्य को शीघ्र दी जाए।
धान / चावल से बायो इथेनॉल बनाने की अनुमतिः छत्तीसगढ़ राज्य में धान का सरप्लस उत्पादन होने एवं धान के निराकरण में केंद्र सरकार का अपेक्षित सहयोग प्राप्त न होने के कारण राज्य को प्रतिवर्ष बड़ी हानि उठानी पड़ती है। सरप्लस धान से बायो ईथेनॉल के उत्पादन को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिये राज्य की औद्योगिक नीति, 2019-24 के अंतर्गत उच्च प्राथमिकता वाले उद्योगों की सूची में जैव ईंधन को शामिल किया गया है एवं इसके लिये विशेष प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की गयी है। इसके फलरूवरूप राज्य में 08 निजी निवेशकों के साथ 12 करोड़ लीटर प्रति वर्ष से अधिक ईथेनॉल उत्पादन के लिये धान से इथेनॉल बनाने की अनुमति तत्काल दी जाये तथा धान खराब होने से हो रही 'राष्ट्रीय क्षति तथा राज्य को हो रही बड़ी आर्थिक क्षति से बचा जा सके।
उसना चावल की खरीदी की अनुमति चालू खरीफ विपणन वर्ष 2021 में भारतीय खाद्य निगम द्वारा छत्तीसगढ़ से 61.65 लाख मीट्रिक टनअरवा चावल लेने का निर्णय लिया गया है जबकि पूर्व वर्षों में राज्य से अधिकांशतः उसना चावल ही लिया जाता रहा है क्योंकि राज्य में उत्पादित धान से अधिकतर उसना क्वालिटी का चावल बनता है। इससे अरवा चावल बनाने में बहुत कठिनाई होगी। वर्तमान में प्रदेश में उसना के 418 पंजीकृत मिलर हैं, जिनकी मासिक गिलिंग क्षमता 5.95 लाख मीट्रिक टन है। यदि FCIद्वारा उसना चावल नहीं लिया जाता तो इस मासिक मिलिंग क्षमता का पूर्ण उपयोग नहीं होने से धान के निराकरण में विलंब होगा। इससे धान के खराब होने की स्थिति निर्मित होगी, जो कि प्रदेश के साथ ही अनाज की राष्ट्रीय क्षति होगी। इसके साथ ही उसना मिलों में काम करने वाले हज़ारों मजदूर बेरोजगार हो जायेंगे देश के अन्य कई राज्यों से उसना चावल लिया जा रहा है। हमारी मांग है कि छत्तीसगढ़ को भी कम से कम 24 लाख मीट्रिक टन उसना चावल FCI द्वारा लेने का लक्ष्य दिया जाए।