VIDEO: ...जब CM भूपेश थिरके.... बस्तर बैंड की धुन पर झूमे मुख्यमंत्री भूपेश.... CM ने भी बजाया मुंडा बाजा.... मिलाया ताल से ताल.... नन्ही कलाकार को गोद में उठाया.... खुद को नहीं रोक पाए थिरकने से.... देखें वीडियो में CM का जुदा अंदाज़......

Chhattisgarh Chief Minister Bhupesh Baghel tribal dance

VIDEO: ...जब CM भूपेश थिरके.... बस्तर बैंड की धुन पर झूमे मुख्यमंत्री भूपेश.... CM ने भी बजाया मुंडा बाजा.... मिलाया ताल से ताल.... नन्ही कलाकार को गोद में उठाया.... खुद को नहीं रोक पाए थिरकने से.... देखें वीडियो में CM का जुदा अंदाज़......
VIDEO: ...जब CM भूपेश थिरके.... बस्तर बैंड की धुन पर झूमे मुख्यमंत्री भूपेश.... CM ने भी बजाया मुंडा बाजा.... मिलाया ताल से ताल.... नन्ही कलाकार को गोद में उठाया.... खुद को नहीं रोक पाए थिरकने से.... देखें वीडियो में CM का जुदा अंदाज़......

Chhattisgarh, Chief Minister Bhupesh Baghel, Tribal Dance

 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव (National Tribal Literature Festival) का शुभारंभ (launch) किया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने प्रख्यात कवि एवं पद्मश्री डॉ हलधर नाग को सम्मानित करते हुए गले लगाया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) आदिवासी नृत्य (tribal dance) में मंत्रमुग्ध होकर स्वयं को नहीं रोक पाए और उनके साथ स्वयं नृत्य (dance) किया। 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजधानी रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में तीन दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव का शुभारंभ करते हुए कहा कि जो प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं, उन्हें हमें बचाना है। इसके लिए जनजातीय भाषा, संस्कृति और सभ्यता के संरक्षण और संवर्धन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव का पहली बार आयोजन हो रहा है। यह आयोजन सांस्कृतिक दृष्टि से अन्य समाजों और जनजातीय समाज के बीच निश्चित रूप से सेतु का काम करेगा। इस कार्यक्रम में अनुसूचित जाति एवं जनजाति मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंड़िया, पूर्व मुख्य सचिव सुनील कुजूर, राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष सरजियस मिंज, सचिव अनुसूचित जाति एवं जनजाति डी.डी. सिंह भी मंचस्थ थे।    

राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पद्मश्री लोकनायक हलधर नाग, साकीनी रामचंद्रा और अर्जुन सिंह धुर्वे को शॉल और नारियल भेंटकर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने प्रख्यात कवि पद्मश्री हलधर नाग को सम्मानित करते हुए आत्मीयता से गले लगाया। उन्होंने समारोह में देशभर से पहुंचे विख्यात साहित्यकारों, रचनाकारों, विश्वविद्यालयों के अध्येताओं, शोधर्थियों, विषय-विशेषज्ञों, नृतक दलों, चित्रकारों का स्वागत करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में सरगुजा से बस्तर तक अनेक जनजातियां निवास करती हैं और उनकी भाषा-शैली भी अलग-अलग है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पिछले तीन वर्षाें में नक्सली समस्या कम हुई है। अब छत्तीसगढ़ की चर्चा देश-दुनिया में यहां की समृद्ध संस्कृति के लिए हो रही है। हमारी सरकार ने जनजातियों की संस्कृति और सभ्यता के संरक्षण के लिए आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन कराया, जिसका स्वरूप अंतर्राष्ट्रीय हो गया। इससे देश-दुनिया के लोगों को छत्तीसगढ़ को जानने और समझने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि चिंता का विषय है कि विश्व में बहुत सी जनजातियों का अस्तित्व समाप्त हो रहा है, जिससे उनकी संस्कृति विलुप्त हो रही है। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने जनजातीय संस्कृति के संरक्षण के लिए स्कूली स्तर भी पहल की है। इसके लिए प्रदेश में 16 प्रकार की बोली में पाठ्य पुस्तक तैयार की गई है। अब प्रदेश में कक्षा पहली और दूसरी के बच्चे अपनी स्थानीय भाषा में पढ़ाई कर रहे हैं। जनजातीय भाषाओं, बोलियांे, कला-परंपराओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए बस्तर में बादल अकादमी की स्थापना की गई है। इसी तरह की अकादमी अन्य जनजातीय बहुलता वाले जिलों में भी स्थापित की जा रही है। उन्होंने कहा कि साहित्य, नृत्य, चित्रकारी का प्रदर्शन निश्चित रूप से सभी समाज को जोड़ने में सेतु का कार्य करता है। 

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासी हितों के संरक्षण के प्रतिबद्ध है। हमारी सरकार में आदिवासियों को उनका अधिकार दिलाने के लिए वन अधिकार पत्र प्रदान सरकार की इसी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उनके रोजगार के लिए वन क्षेत्रों में फलदार वृक्ष लगाने का निर्णय सरकार द्वारा लिया गया है, इससे वनों में वृक्षों के संरक्षण के साथ ही वनवासियों को उनकी जरूरत की चीज उपलब्ध होगी। इसी प्रकार प्रदेश में पहले 7 लघु वनोपजों की खरीदी की जाती थी, अब 65 लघु वनोपजों की खरीदी की जा रही है। इसके साथ ही इन लघु वनोपजों का प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार जनजातियों की शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए कार्य कर रही है। 

 

अनुसूचित जाति एवं जनजाति विकास मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने की। उन्होंने कहा कि जंगल का संरक्षण आदिवासी करते हैं। देश में 80 प्रतिशत वनोपज की खरीदी छत्तीसगढ़ राज्य से होती है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए 171 स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल प्रारंभ किए हैं। जिसका लाभ जनजातीय समाज के बच्चों को भी मिल रहा है। प्रदेश में प्रयास विद्यालय के माध्यम से जनजातीय समाज के बच्चों को इंजीनियरिंग और मेडिकल पढ़ाई के लिए प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग दी जा रही है। उन्होंने कहा कि जनजातीय परंपरा और साहित्य को लिपिबद्ध किया जाना जरूरी है। अब आदिवासी समाज में इस दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव के साथ ही तीन दिन तक यहां राज्य स्तरीय कला एवं चित्रकला प्रतियोगिता एवं नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त जनजातीय साहित्य प्रचार-प्रसार और विकास के लिए पुस्तक मेले का आयोजन किया गया है। जिसमें विशेष रूप से जनजातीय विषयों पर प्रकाशित पुस्तकों को प्रदर्शन सहविक्रय की व्यवस्था स्टॉल के माध्यम से की गई है। साथ ही राज्य के विभिन्न विभागों जैसे हस्तशिल्प विकास बोर्ड, आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, औषधि पादप बोर्ड, जनसम्पर्क विभाग, माटी कला बोर्ड, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के स्टॉल भी लगाए गए हैं। स्टॉल में गढ़कलेवा तथा बस्तरिहा व्यंजन का स्वाद भी जनसमूह ले सकेंगे। 

 

समारोह को पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केशरी लाल वर्मा ने सम्बोधित किया। आयुक्त अनुसूचित जाति एवं जनजाति शम्मी आबिदी ने स्वागत भाषण दिया। समारोह में विभिन्न जनजातीय समाज प्रमुख और पदाधिकारी भी उपस्थित थे।

 

 

बस्तर बैंड की धुन पर झूमे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 

 

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में तीन दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय साहित्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। 19 अप्रैल से शुरू हुए इस महोत्सव में जनजातीय साहित्यकार, विषय-विशेषज्ञ, शोधार्थी, चित्रकार एवं कलाकारों का समागम हो रहा है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल थे। महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर प्रख्यात बस्तर बैंड की प्रस्तुति अतिथियों के सामने हुई। जनजातीय समुदाय के पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ प्रस्तुति देने वाले बस्तर बैंड ने अपनी शानदार पेशकश से शुभारंभ अवसर पर ऐसा माहौल बनाया कि वहां मौजूद हर कोई मंत्रमुग्ध हो गया। 

 

लोग वाद्य यंत्रों की मनमोहक धुन पर थिरकते नजर आए। एक वक्त ऐसा भी आया, जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी अपने आप को थिरकने से रोक नहीं पाए और उन्होंने भी मुंडा बाजा थामा और थाप देने लगे। मुख्यमंत्री ने बस्तर बैंड के कलाकारों के साथ ताल से ताल मिलाया। मुख्यमंत्री इस मौके पर कलाकारों के साथ इतने भाव-विभोर हो गए कि बस्तर बैंड में शामिल नन्ही कलाकार जया सोढ़ी को गोद में उठाया और उसे प्रोत्साहित किया। साथ मंे अनुसूचित जाति एवं जनजाति मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम और संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत भी थिरकते नजर आए।

 

गौरतलब है कि बस्तर बैंड की स्थापना कला मर्मज्ञ अनुप रंजन पाण्डेय ने की है। अपनी खूबियों के लिए बस्तर बैंड को आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जाता है। इस बैंड में चार साल के बच्चे से लेकर 77 साल तक के बुजुर्ग कलाकार शामिल हैं। कला क्षेत्र में योगदान के लिए अनुप रंजन पाण्डेय को पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है। बस्तर बैंड के कलाकार अलग-अलग जनजातीय समुदाय से हैं। यह कलाकार वाद्य यंत्रों को बजाने के साथ ही इन वाद्य यंत्र के निर्माण में महारात हासिल है।

 

इसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने समीक्षा बैठकों का क्रम जारी रखा। पर्यटन एवं संस्कृति विभाग की कर रहे हैं समीक्षा। मंत्री ताम्रध्वज साहू एवं अमरजीत भगत हैं उपस्थित। मुख्य सचिव समेत समस्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित। मुख्यमंत्री ने नवीन पर्यटन केंद्र विकसित करने हेतु दिए निर्देश। पुराने मोटल्स के समुचित उपयोग हेतु कार्ययोजना की प्रगति की जानकारी ली।