CG - अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग को आरक्षण वर्तमान जनसंख्या के आधार दिया जाये तथा आरक्षण विधेयक को संविधान की नवीं सूची में शामिल किया जाये - सतीश वानखडे




अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग को आरक्षण वर्तमान जनसंख्या के आधार दिया जाये तथा आरक्षण विधेयक को संविधान की नवीं सूची में शामिल किया जाये - सतीश वानखडे
जगदलपुर : अखिल भारतीय अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग का संगठन (परिसंघ) जिला बस्तर ने विभिन्न संगठनों के दुवारा आयोजित भारत बंद का, शांति पूर्ण तरीके से समर्थन किया है। संयुक्त ज्ञापन में परिसंघ के जिलाध्यक्ष सतीश वानखेडे ने बताया है, कि 1932कम्यूनल अवार्ड पूना पैक्ट के तहत हजारों साल से अनुसूचित जाति वर्ग लोगों को अस्पृश्यता , पिछड़े के आधार पर शैक्षणिक और लोकसेवा में प्रतिनिधित्व देने की व्यवस्था संविधान में की गई है।
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने आरक्षण के मामले में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग को मिलने वाले आरक्षण में छेड़छाड़ करते हुए क्रिमीलेयर, की गाइड लाइन लागू करने का अधिकार राज्य सरकारों को देते हुए, उपवर्गीकरण की व्यवस्था दी गई है।
जबकि संविधान के अनुच्छेद 341और 342 के प्रावधानों अनुसार महामहिम राष्ट्रपति जी, तथा भारतीय संसद ही,अनुसूचित जाति सूची में उप जाति को आरक्षण के दायरे में जोड़ने अथवा किसी उप जाति को आरक्षण दायरे से हटाने का अधिकार है । संविधान अनुसूचित जाति में क्रीमीलेयर दुवारा अलग वर्गीकरण की इजाजत अनुच्छेद 341नही देता है।सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय भारतीय संविधान की मूल भावना के विपरित हैं । तथा संवैधानिक रुप से सामाजिक न्याय संगत नहीं है।
जबकि अभी भी देश में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लोगो के साथ जातिगत छेड़छाड़, छूआछूत, भेद-भाव अन्याय अत्याचार और शोषण की अनेक घटनाएं हो रही है। किसी जाति समुदाय में आरक्षण का आधार आर्थिक तरक्की करने जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए। और आरक्षण को ग़रीबी उन्मूलन अभियान मानना उचित नहीं है।देश के सभी राज्यों में एस सी और एस टी वर्ग के पद सभी श्रेणियों में लाखों की संख्या में खाली है।
देश में शीर्ष नीति निर्धारण वाले पदों पर अभी तक अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लोगों को अभी तक अवसर नहीं मिल सका है। सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षित वर्ग में आपसी विवाद का अवसर प्रदान कर दिया है। परिसंघ ने महामहिम राष्ट्रपति जी को ज्ञापन प्रेषित किया है।
ज्ञापन के माध्यम से परिसंघ ने मांग करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर केन्द्र सरकार लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा कराते हुए अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग को आरक्षण का लाभ वर्तमान जातिगत जनसंख्या के आधार पर आरक्षण - विधेयक, पारित कराते हुए संविधान की नवीं सूची में शामिल कराने की अपील की गई है।
देश में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग में सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण के फैसले से असंतोष व्याप्त हैं। पूर्व में केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के अनेक र्निणयों में संज्ञान लेते हुए जनहित में विधेयक पारित किए गए हैं।ज्ञापन की प्रति प्रधानमंत्री ,लोकसभा और राज्यसभा में विपक्षी दल के नेतृत्व को भी प्रेषित की गई है।
परिसंघ ने जातिगत जनगणना की मांग का पुरजोर तरीके से समर्थन किया है।भारत बंद का आव्हान आरक्षित वर्ग के विभिन्न संगठनों ने किया था जिसका समर्थन परिसंघ ने भी किया है। भवदीय - सतीश वानखडे जिला अध्यक्ष परिसंघ बस्तर, विक्रम लहरे सर्व अनुसूचित जाति जिला अध्यक्ष महेश्वर बघेल जिला उपाध्यक्ष परिसंघ प्रदीप भारती- सुभाष मेश्राम मोनू बघेल सूरज सागर आदि परिसंघ साथी।