आरक्षण ब्रेकिंग न्यूज: आरक्षण मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी सरकार…आज ही 50% से ज्यादा आरक्षण को हाईकोर्ट ने बताया था असंवैधानिक.…
Reservation Breaking News: The government will challenge the decision of the Chhattisgarh High Court in the Supreme Court in the reservation case छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण को असंवैधानिक बताने के फैसले को राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। राज्य सरकार की ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के हितों की रक्षा के लिए कानून की अंतिम सीढ़ी तक लड़ाई लड़ी जाएगी। जो भी आवश्यक हो कदम होंगे, वे उठाए जाएंगे।




The government will challenge the decision of the Chhattisgarh High Court in the Supreme Court in the reservation case
रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण को असंवैधानिक बताने के फैसले को राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। राज्य सरकार की ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के हितों की रक्षा के लिए कानून की अंतिम सीढ़ी तक लड़ाई लड़ी जाएगी। जो भी आवश्यक हो कदम होंगे, वे उठाए जाएंगे।
राज्य शासन का यह मानना है कि यद्यपि वर्ष 2012 में समुचित रूप से इस मामले में तथ्य तत्कालीन सरकार में पेश नहीं किए थे परन्तु फिर भी,छत्तीसगढ़ राज्य में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के आरक्षण प्रतिशत को देखते हुए,राज्य सरकार उपरोक्त फ़ैसले से पूरी तरह असहमत हैं,राज्य सरकार यह मानती है कि उपरोक्त निर्णय से राज्य के आरक्षित वर्ग में समुचित विकास के मार्ग में बाधित होगा, उक्त निर्णय से राज्य सरकार सहमत नहीं है एवं राज्य सरकार निर्णय को चुनौती देते हुए आरक्षित वर्ग को न्याय दिलाने में साथ खड़ी है।
यह अत्यंत ही दुर्भाग्य का विषय है कि तत्कालीन राज्य सरकार ने इस मामले को बिना किसी तथ्य के जानबूझकर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की आबादी के विकास एवं आवश्यकताओं को नज़रअंदाज़ करते हुए माननीय न्यायालय के समक्ष अधूरे तथ्य प्रस्तुत किए, जो दस्तावेज़ एवं रिकॉर्ड भी तत्कालीन राज्य सरकार के पास उपलब्ध थे, उन्हें भी तत्कालीन राज्य सरकार ने जानबूझकर माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया था, परंतु वर्तमान सरकार ने उक्त संबंध में समस्त तथ्यों को माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने की अनुमति भी माँगी थी, जिसे इस आधार पर मना किया गया कि चूंकि पूर्व में राज्य सरकार को समय देने के बावजूद भी वह मौक़ा होने के बावजूद भी तत्कालीन सरकार ने जवाब में सभी तथ्यों का उल्लेख नहीं किया, इसलिए अब उसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। परन्तु किसी भी सूरत में समझ के अनुसूचित जाति एवं जनजाति के हितों की रक्षा के लिए क़ानून की अंतिम सीढ़ी तक लड़ाई लड़ी जाएगी एवं जो भी आवश्यक हो क़दम उठाए जाएंगे