CG - गरीब बच्चों को प्रायवेट स्कूलों की प्रताड़ना से बचाने सरकार का बड़ा फैसला : छत्तीसगढ़ में RTE के तहत दाखिला लेने वाले प्राइवेट स्कूलों में मेंटरों की होगी नियुक्ति, सभी कलेक्टरों को जारी हुआ निर्देश.....

ड्रॉप आउट होने वाले बच्चों की लगातार बढ़ रही संख्या को देखते हुए साय सरकार ने बड़ा फैसला किया है। छत्तीसगढ़ सरकार अब बच्चों गोद लेने जा रही ताकि छत्तीसगढ़ में ड्रॉप आउट पर अंकुश लग सके।

CG - गरीब बच्चों को प्रायवेट स्कूलों की प्रताड़ना से बचाने सरकार का बड़ा फैसला : छत्तीसगढ़ में RTE के तहत दाखिला लेने वाले प्राइवेट स्कूलों में मेंटरों की होगी नियुक्ति, सभी कलेक्टरों को जारी हुआ निर्देश.....
CG - गरीब बच्चों को प्रायवेट स्कूलों की प्रताड़ना से बचाने सरकार का बड़ा फैसला : छत्तीसगढ़ में RTE के तहत दाखिला लेने वाले प्राइवेट स्कूलों में मेंटरों की होगी नियुक्ति, सभी कलेक्टरों को जारी हुआ निर्देश.....

रायपुर। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने राइट टू एजुकेशन के तहत दाखिला लेने के बाद 50 परसेंट बच्चों के स्कूल छोड़ देने की कलेक्टरों की रिपोर्ट को गंभीरता से लिया है। सरकार ने अब प्रायवेट स्कूलों पर शिकंजा कसना प्रारंभ कर दिया है। ड्रॉप आउट होने वाले बच्चों की लगातार बढ़ रही संख्या को देखते हुए साय सरकार ने बड़ा फैसला किया है। छत्तीसगढ़ सरकार अब बच्चों गोद लेने जा रही ताकि छत्तीसगढ़ में ड्रॉप आउट पर अंकुश लग सके। बच्चों को किसी भी तरह की असुविधा से बचाने के लिए जिलेवार अफसरों को मेंटर बनाया जाएगा।  स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेसी ने इस संबंध में सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश जारी किए है। 

स्कूल शिक्षा सचिव ने कलेक्टरों को लिखे पत्र में कहा कि प्रायवेट स्कूलों में राइट टू एजुकेशन पर कड़ी निगरानी रखें। इसके लिए वे खुद प्रायवेट स्कूल प्रबंधन को बुलाकर मीटिंग करे और आवश्यक निर्देश दें। अगर प्रायवेट स्कूलों में महंगी फीस, महंगी पुस्तकों की वजह से ड्रॉप आउट हो रहा तो उन स्कूलों पर कार्रवाई करें। स्कूल शिक्षा विभाग ने इसके क्रियान्वयन के लिए जिलावार कलेक्टर, एसपी, जिला पंचायत CEO, नगर निगम कमिश्नर, नगर पालिका अधिकारी की नौ सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। 

मेंटर के दायित्व

मेंटर, प्राइवेट स्कूलों में राइट टू एजुकेशन के तहत दाखिला लिए गरीब बच्चों के लिए सलाहकार और संरक्षक होंगे। वे स्कूल के साथ समन्वय कर समस्याओं का समाधान करेंगे, बच्चों के साथ सतत संपर्क बनाए रखेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें कोई मानसिक परेशानी न हो, साथ ही, वे ड्रॉप आउट बच्चों की निगरानी करेंगे और स्कूल छोड़ने के कारणों का पता लगाएंगे। 

देखें आदेश...