कृतिम आंख क्या व्यक्ति को रौशनी दे सकती है ? जानते है डॉ सुमित्रा अग्रवाल से...

कृतिम आंख क्या व्यक्ति को रौशनी दे सकती है ? जानते है डॉ सुमित्रा अग्रवाल से...
कृतिम आंख क्या व्यक्ति को रौशनी दे सकती है ? जानते है डॉ सुमित्रा अग्रवाल से...

कृतिम आंख क्या व्यक्ति को रौशनी दे सकती है ? जानते है डॉ सुमित्रा अग्रवाल से। 

डॉ सुमित्रा अग्रवाल
यूट्यूब आर्टिफीसियल ऑय को


कोलकाता : कृत्रिम आँख, जिसे अंग्रेज़ी में "Artificial Eye" या "Prosthetic Eye" कहते हैं, एक ऐसी कृत्रिम संरचना है जिसे प्राकृतिक आँख के खोने या क्षति हो जाने पर उसके स्थान पर उपयोग किया जाता है। यह मुख्यतः सौंदर्यात्मक उद्देश्यों के लिए बनाई जाती है, जिससे व्यक्ति की खोई हुई आँख के कारण होने वाले दृश्य प्रभाव को कम किया जा सके और उसका चेहरा सामान्य दिख सके।

कृत्रिम आँख के घटक :

शेल (Shell) : यह कृत्रिम आँख का मुख्य भाग होता है, जो अक्सर ऐक्रेलिक, सिलिकॉन या अन्य जैवसंगत (biocompatible) पदार्थों से बनाया जाता है। इसे रोगी की दूसरी आँख से मेल खाते हुए आकार और रंग में कस्टम-निर्मित किया जाता है।

इम्प्लांट (Implant) : कभी-कभी एक गेंद के आकार का इम्प्लांट आँख के खोखले हिस्से में लगाया जाता है। यह इम्प्लांट आँख की खोखली जगह को भरने और कृत्रिम आँख को सहारा देने में मदद करता है।

कंफॉर्मर (Conformer) : यह एक अस्थायी placeholder होता है जो सर्जरी के बाद आँख की खोखली जगह को आकार में बनाए रखने के लिए उपयोग किया जाता है जब तक कि कृत्रिम आँख तैयार न हो जाए।
प्रक्रिया

एनोक्लिएशन या एविसरेशन (Enucleation or Evisceration) : प्राकृतिक आँख को सर्जरी द्वारा हटा दिया जाता है (एनोक्लिएशन) या आँख की सामग्री को हटाया जाता है जबकि सफेद भाग (स्क्लेरा) को छोड़ा जाता है (एविसरेशन)।
इम्प्लांटेशन (Implantation): अक्सर एक ऑर्बिटल इम्प्लांट आँख की खोखली जगह में डाला जाता है ताकि खोई हुई आँख की जगह को भरा जा सके और कृत्रिम आँख को सहारा दिया जा सके।

फिटिंग (Fitting) : सॉकेट के ठीक हो जाने के बाद, एक कस्टम-निर्मित कृत्रिम आँख बनाई और फिट की जाती है। इस प्रक्रिया में सॉकेट की छाप ली जाती है और बाकी प्राकृतिक आँख के रंग और स्वरूप से मेल किया जाता है।

अंतिम स्थापना (Final Placement) : कृत्रिम आँख को इम्प्लांट के ऊपर रखा जाता है, जो आँख की खोखली जगह में अच्छी तरह से फिट हो जाती है। मरीज इसे समय-समय पर साफ करने और निकालने में सक्षम होता है।
कार्यक्षमता

सौंदर्यात्मक पुनर्स्थापना (Cosmetic Restoration) : इसका मुख्य कार्य प्राकृतिक रूप को पुनः स्थापित करना है। एक अच्छी तरह से बनाई गई कृत्रिम आँख प्राकृतिक आँख से अलग नहीं दिखाई देती।
 

सीमित गति (Limited Movement) : जबकि कृत्रिम आँख खुद नहीं हिलती, यह कभी-कभी प्राकृतिक आँख के साथ कुछ हद तक हिल सकती है, यह इम्प्लांट और सर्जरी के दौरान संरक्षित मांसपेशियों पर निर्भर करता है।

दृष्टिहीन (Non-Visual) : कृत्रिम आँख दृष्टि को बहाल नहीं करती। यह केवल सौंदर्यात्मक उद्देश्यों के लिए होती है।
देखभाल और रखरखाव

सफाई (Cleaning) : कृत्रिम आँख को नियमित रूप से साफ करना पड़ता है ताकि जलन और संक्रमण से बचा जा सके।
नियमित चेक-अप (Regular Check-ups): मरीजों को आमतौर पर नियमित फॉलो-अप विजिट की आवश्यकता होती है ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि कृत्रिम आँख ठीक से फिट हो रही है और आँख की खोखली जगह स्वस्थ है।

मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव :

कृत्रिम आँख उन व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार कर सकती है जिन्होंने आँख खो दी है, जिससे आत्म-सम्मान और सामाजिक संपर्क में वृद्धि होती है और उनका चेहरा सामान्य दिखाई देता है।

कृतिम आंख से कभी दिखाई नहीं देता है।  भलेहीं कृतिम आंख रौशनी नहीं देती है परन्तु जीवन को रोशन जरूर कर देती है।