ओबीसी आरक्षण की दिशा में बड़ा कदम: लोकसभा से 127वां संविधान संशोधन विधेयक पास.... बिल के विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा.... ओबीसी को मिलेगा लाभ.... राज्य तैयार कर सकेंगे जातियों की सूची.....




नई दिल्ली। राज्यों को ओबीसी आरक्षण की सूची तैयार करने का अधिकार देने वाला बिल लोकसभा में मंगलवार को ध्वनिमत से पारित हो गया। ओबीसी आरक्षण से जुड़े संशोधन बिल को लोकसभा में चर्चा के बार हरी झंडी दी गई। लोकसभा से संविधान (127वां) संशोधन बिल The Constitution (One Hundred and Twenty Seventh) Amendment Bill पारित हो गया है। मत विभाजन के लिए जरिए ये बिल संसद से पास हुआ है। इस बिल के पक्ष में 385 वोट पड़े, जबकि विरोध में कोई वोट नहीं पड़ा। यानी कम से कम दो-तिहाई बहुमत से बिल पारित हो गया।
संविधान में 127वें संशोधन के लिए लाए गए विधेयक के तहत राज्यों को अपने मुताबिक ओबीसी आरक्षण के लिए सूची तैयार करने की ताकत मिलेगी। अब इस बिल को राज्यसभा में मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। उसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह देश भर में कानून के तौर पर लागू हो जाएगा। इस नए कानून से महाराष्ट्र समेत कई राज्यों को स्थानीय स्तर पर जातियों को ओबीसी आरक्षण की सूची में शामिल करने का मौका मिलेगा। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की ओर से मराठा आरक्षण पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद यह फैसला लिया गया है।
इस बिल पर बहस के दौरान कांग्रेस समेत कई दलों ने केंद्र सरकार से जाति आधारित जनगणना कराए जाने की भी मांग की है। इसके अलावा आरक्षण की सीमा को भी 50 फीसदी से ज्यादा किए जाने की मांग की है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव, कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी समेत कई नेताओं ने यह मांग की है। अखिलेश यादव ने कहा कि यह समय की मांग है कि जाति आधारित जनगणना कराई जाए। यदि ऐसा आप नहीं कराते हैं तो फिर यूपी में समाजवादी सरकार बनाने के बाद हम ऐसा करेंगे।
विपक्षी सांसदों के सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारत मंत्री वीरेंद्र कुमार ने कहा कि जिस तरह सदन ने बिल का समर्थन किया वो स्वागतयोग्य है। वीरेंद्र कुमार ने कहा कि बीजेपी की नीति और नीयत साफ है। कांग्रेस को जवाब देते हुए वीरेंद्र कुमार ने बताया कि जब 102वां संशोधन लाया गया था, तब भी कांग्रेस ने उसका समर्थन किया था। इसलिए अब कांग्रेस के पास सवाल उठाने का नैतिक अधिकार नहीं है। उन्होंने मराठा आरक्षण पर जवाब देते हुए कहा कि ये राज्य का विषय है और अब केंद्र ने उन्हें इस पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र कर दिया है।