*खबर के बाद खाद बचाने की कवायद , समिति प्रबंधक पत्रकारों पर खो रहे आपा....*
संदीप दुबे




सोनपुर बंजा समिति का मामला
भैयाथान संदीप दुबे - सोनपुर बंजा सहकारी समिति में किसानों को दिए जाने वाले खाद के भीगने की खबर अखबारों में प्रकाशित होने के बाद जिला प्रशासन ने गंभीरता से लिया और तत्काल गोदाम के छत को ठीक कराया। पर किसानों के हित में जिला प्रशासन द्वारा किया गया यह कार्य यहां के प्रबंधक को रास नही आया और प्रबंधक खीझ मिटाने अपनी मर्यादा के विपरीत सोशल मीडिया पर पत्रकारों के खिलाफ बयानबाजी कर रहे।जिसे लेकर रोष की स्थिति है।
*दिन पे दिन बिगड़ रहे समिति के हालात*
कहने को तो सहकारी समितियाँ किसानों को सही समय पर उचित सुविधा मुहैया कराने के नाम से जाने जाते हैं परन्तु सोनपुर बंजा सहकारी समिति एक ऐसा समिति है जहां के हालात दिन पे दिन बिगड़ते जा रहे हैं, जिसका खामियाजा अब किसानो को भुगतना पड़ रहा है। जहां धान के फसल की बुआई का समय नजदीक आ चुका है तो वहीं किसान खाद, बीज सहित क्रेडीट कार्ड से मिलने वाले राशि के लिए दर-दर भटक रहे हैं। पर समिति प्रबंधन है कि किसानों की समस्या दूर करने के बजाय आपसी खींचातानी में लगे हुए हैं। दरअसल समिति में कार्यरत कर्मचारियों का एक दूसरे से आपसी सामंजस्य स्थापित नही हो पा रहा है जिसके कारण किसानों का कार्य प्रभावित हो रहा है । समिति से जुड़े जानकार बताते हैं कि यहां पदस्थ कर्मचारी प्रबंधक बनने की लालसा लिए बैठे हैं वर्तमान प्रबंधक की कुशल कार्यशैली न होने से कभी भी उनको पद से हटाया जा सकता है इसके बाद प्रबंधक की कुर्सी किसको मिलेगी इस बात की चिंता कर्मचारियों को है। बहरहाल वर्तमान प्रबंधक की कुर्सी बचेगी या फिर उनसे कुर्सी छीन ली जाएगी यह तो समय आने पर पता चल पाएगा। परंतु अगर अविलंब किसानों की समस्या का समाधान नही हुआ तो उनकी धान की फसल अवश्य प्रभावित हो जाएगी।
परेशानी की मुख्य वजह केसीसी लिमिट व यूरिया खाद।
सूत्रों की माने तो किसानों ने महीने पूर्व केसीसी लिमिट बनवाने के लिए समिति में आवश्यक दस्तावेज के साथ फाईल जमा किया था पर किसानों द्वारा जमा किया हुआ फाईल महीनों से समिति में ही धूल खा रहे हैं, उस फाईल को उच्च कार्यालय पहुंचना भी समिति के कर्मचारी उचित नही समझे परिणाम स्वरुप सैकड़ों किसानों का केसीसी लिमिट अभी तक नही बन सका है। वहीं जिन किसानों का लिमिट जारी हो गया है उन्हें समिति से यूरिया नही मिल पा रहा है जिसका मुख्य वजह समिति में यूरिया का स्टॉक न होना बताया जा रहा है। वहीं इस संबंध में डीएमओ उपेंद्र कुमार ने बताया कि समिति से जैसे -जैसे आरओ प्राप्त हो रहे हैं उसी के तहत उन समितियों में यूरिया भेजा जा रहा । सोनपुर समिति के किसानों की समस्या को देखते हुए उन्होंने तत्काल यूरिया भेजने को कहा है। ख्याल रहे ये वही समिति प्रबंधक है जिन पर धान घपले में एफआईआर की अनुसंशा की गई है पर फिलहाल एफआईआर तो नही हुई है पर ये सफाई देते घूम रहे है कि में तो निर्दोष हू।अब यह तो जांच में स्पष्ठ होगा कि कोन कितने पानी मे है...?