मांसाहारी, शराबी, नशेड़ी का मुक्ति-मोक्ष नहीं होगा, चाहे कितना भी पूजा-पाठ, हवन कर ले, गीता कुरान बाइबिल ग्रंथ का पाठ पढ़ ले...

मांसाहारी, शराबी, नशेड़ी का मुक्ति-मोक्ष नहीं होगा, चाहे कितना भी पूजा-पाठ, हवन कर ले, गीता कुरान बाइबिल ग्रंथ का पाठ पढ़ ले...
मांसाहारी, शराबी, नशेड़ी का मुक्ति-मोक्ष नहीं होगा, चाहे कितना भी पूजा-पाठ, हवन कर ले, गीता कुरान बाइबिल ग्रंथ का पाठ पढ़ ले...

मांसाहारी, शराबी, नशेड़ी का मुक्ति-मोक्ष नहीं होगा, चाहे कितना भी पूजा-पाठ, हवन कर ले, गीता कुरान बाइबिल ग्रंथ का पाठ पढ़ ले

सन्त बाबा उमाकान्त जी ने किया नरकों की सजा का इशारों में वर्णन, चेताया अब भी समय है बचने का

जैसे उधार चुकाना पड़ता है ऐसे ही जीवों को मारोगे, काटोगे तो ये कर्म बदला भी चुकाना पड़ेगा

जोधपुर (राजस्थान) : अपनी दिव्य द्रष्टि से दिख रही शराबी मांसाहारीयों को आगे मिलने वाली नरकों की बड़ी भयंकर पीड़ा से बचाने के लिए सबको चेताने वाले, शाकाहारी नशामुक्त हो जाने की प्रार्थना करने वाले, जिनसे माफ़ी मांगने और अब से शराब मांस व्यभिचार छोड़ने का संकल्प बनाने पर पुरानी गलतियों को माफ़ कर देने वाले, इस वक़्त के मसीहा, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज ने 12 सितम्बर 2023 प्रात: जोधपुर आश्रम (राजस्थान) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि देखो ! लोग कितनी बड़ी गलती करते हैं। बकरी को पालते हैं, बकरी के बच्चे को अपने बच्चों की तरह से प्यार करते हैं, नहलाते, धुलाते, खिलाते, इतना प्रेम करते हैं लेकिन जुबान के स्वाद के लिए बेजुबान की गर्दन काट देते हैं और उसका मांस पका करके खा जाते हैं, कहते हैं कि सवाब मिलेगा। सवाब मिलेगा? दोजख में जाना पड़ेगा, नर्कगामी होना पड़ेगा। जीव हत्या करना बहुत बड़ा पाप है। तुम क्या इबादत करोगे? इबादत पूजा पाठ क्या तुम्हारा कबूल होगा? नहीं होगा।

आपकी उंगली काटी जाए तो कितना दर्द होता है, ऐसे ही उन जीवों को मारने, काटने पर होता है दर्द

उस प्रभु के बनाए हुए जीव की तुमने हत्या कर दी, तड़प-तड़प करके, उस प्रभु को याद करके उसने अपनी जान को निकाल दिया। आपकी उंगली काटी जाए तो आपको कितना दर्द होगा? तो क्या उनको काटोगे तो उनको दर्द नहीं होगा? कहा गया- "मत सता गरीब को नहीं तो वो रो देगा, जब सुनेगा उसका मालिक, तुम्हें जड़ से खोदेगा"। फिर तो वह बख्शेगा नहीं क्योंकि बदला देना पड़ता है। आप उधार लेते हो तो उधार चुकाना पड़ता है। कोई आपकी मदद कर दे, आप उसकी मदद करते हो, यह लेना-देना है। तो बदला देना पड़ता है। कहा गया- "जो गल काटे और का, अपना रहा कटाय, साहब के दरबार में, बदला कहीं न जाय"। बदला देना पड़ता है। जो लोग मांसाहारी हैं यह कहते हैं कि हम जानवरों का गला नहीं काटते, हम (तो केवल) पैसा देकर के लाते हैं, अगर खाना बंद कर दें तो किसी जीव की हत्या नहीं होगी। पाप लगता है जानवरों को मारने, काटने, लाने, पकाने, खाने, खिलाने वालों को, सबको महान पाप लगता है। सबको सजा भोगनी पड़ती है।

आज अखबार का कोई पन्ना बाकी नहीं जिसमें मारने, काटने की खबर न छपे, पहले ऐसा नहीं था

देखो ! पहले कोई कत्ल होता था? अरे 4- 6 महीने, कई सालों में (एक बार) सुनाई पड़ता था कि उस जिला, प्रांत में कत्ल हो गया। अब तो अखबार का कोई पन्ना बाकी नहीं है, जिस दिन कत्ल होने, कटने, मारने की खबर न छपे। पहले ऐसा नहीं था। कत्ल नहीं होता था। जो कत्ल करता है, हथियार देता है, सहयोग करता है, योजना बनाता है, साथ जाता है, सबको सजा मिलती है। ऐसे ही जो जानवरों को मारने काटने में मदद करते हैं, सबको सजा मिलती है।

ऊपर की सजा (कर्मफल की सजा) देख लो तो आपका जीना मुश्किल हो जाएगा

जो मांसाहारी, शराबी, नशेड़ी हैं उनको तो कभी मुक्ति मोक्ष हो ही नहीं सकता है। कितनी भी पूजा-पाठ, हवन कर लें, रामायण, हनुमान चालीसा, गीता, पुराण, बाइबल, कुरान ग्रंथ का पाठ पढ़ लें लेकिन मेरी पक्की समझ से उनको तो कर्मों का फल भोगना पड़ेगा। जिस तरह से लोगों को, जानवरों को मारते, तड़पाते हैं, इस तरह से तड़पना पड़ेगा। उसकी (मालिक की) अदालत में कुछ छुपा नहीं है। सब कुछ उसकी अदालत में लिखा हुआ रखा है। जैसे ही शरीर छूटेगा तो ऐसे ही पेश हो जाना पड़ेगा और वहीं पर वह तुरंत आदेश दे देगा कि ले जाओ, अब इनको सजा दो। सीने पर सवार होकर के यमराज के दूत दबाते हैं, आंखें निकल करके बाहर आ जाती हैं, जीव तड़पता है, चिल्लाता है, जुबान बाहर निकल आती है और जब बेहोश होने लगता है तो हट जाते हैं। फिर आंखें, जुबान अंदर चली जाती है। फिर सवार हो जाते हैं, दबाते हैं। हाथ/पैर पकड़ कर फेंक दिया, हाथ उखड़ गया दर्द कर रहा है, चिल्ला रहा है, बेहोश होने लगा फिर (हाथ/पैर वापस) ऐसे जोड़ दिया, (बार-बार उखाड़ते, जोड़ते, तड़पाते हैं)। लैट्रिन का नर्क अलग है, पेशाब का, मवाद का, काँटों का, तपते हुए तवे जैसी जमीन अलग है। तांबे के जलते हुए घड़े पर डाल देते हैं। उस पर गिरे, पलटे, इधर-उधर जल गया, ये सब की क्या है? ये सब सजा है। आप देख लो तो आपका जीना मुश्किल हो जाएगा। आप कहोगे कि इससे बचने का उपाय अब हमको खोजना है, फिर तो उसी में लग जाओगे। मोटी बात आप समझो, करम गति टारे नहीं टरै, कर्म भोगना पड़ता ही पड़ता है। (बचने का उपाय ले लो)