आपको बचपन से माता-पिता और गुरुजनों द्वारा ज्ञान दिया जा रहा है, जब उन्होंने स्वयं ही कुछ महत्वपूर्ण ज्ञान को अपने जीवन में नहीं अपनाया है, तो आप उस ज्ञान के वास्तविक स्वरूप को कहाँ से जान पायेंगे?
You are being given knowledge from childhood




NBL, 02/12/2022, Lokeshwer Prasad Verma, Raipur CG: You are being given knowledge from childhood by parents and teachers, when they themselves have not adopted some important knowledge in their life, then from where will you know the real nature of that knowledge?
आप पैदा हुए थे, और कुछ वर्षों के बाद आपकी अवचेतन शक्ति चेतना शक्ति में आने लगती है, फिर वहां से ज्ञान शुरू होता है, फिर आप बोलना शुरू करते हैं माँ, माँ, माँ, फिर आपकी माँ व पिता जी, जिस भी भाषा के है, पढ़े विस्तार से...
उस भाषा के अनुसार आपको बोलना सिखाते हैं, माँ-बाप व गुरु तुम्हें उसी भाषा में ज्ञान देना शुरू करते हैं, खाने-पीने से लेकर वह हर रिश्ता को बताते है जिसे हम बोल सके जैसे चाचा चाची,मामा मामी, बुआ फूफा,नाना नानी और भी फिर आपको अपना क्रोध-लोभ, प्रेम, ज्ञान शब्द विज्ञान लिखना पढ़ना, प्रकृति और हमारा धर्म, कर्म, अकर्म, अच्छा, बुरा, छुआछूत,भेदभाव, बड़ा छोटा, मान अपमान, यस कीर्ति, सुख, दुख, लाभ, हानि, से लेकर सब कुछ हमें छोटी बड़ी ज्ञान हमें देते है, लेकिन एक बात, माता-पिता और गुरु हमें यह नहीं सिखाते बचपन से..
तेरी मौत भी होगी और तू भी खत्म हो जाएगा जैसे आये हो इस धरती पर पैदा लेकर वैसे ही आप एक दिन इस धरती को छोड़कर आपको जाना पड़ेगा जिसको हम मृत्यु कहते है और हम सब आपके साथ नहीं रहेंगे अकेले आये हो और अकेला ही आपको जाना पड़ेगा ये सब आपके धन परिवार इसी धरती पर छुट जायेगी और आप भी इसी धरती मे समा जाओगे इसी का नाम अंतिम यात्रा मृत्यु है, ये ज्ञान बचपन से ही सीखा दिया जाए तो ये धर्म के आड़ लेकर आडम्बर सवांग रच कर बचपन से ही डराने वाले लोगों का धन्धा व अंधविश्वास फैलाना बन्द हो जाता और केवल रह जाता मानव से मानव धर्म के साथ प्रेम करना ये आपका आज हर धर्म के द्वारा दुकान दारी चला रहे है वह बिल्कुल भी नहीं चलती पूरी तरह से बंद हो जाती...
जो सर्व धर्म के लोगों को उलझा कर रख दिया है एक धर्म के लोग दूसरे धर्म के लोगों के साथ भेदभाव कर छोटे बड़े का खेल, खेल रही है ये दुनिया के धर्म संसद ये पूरी तरह से अमानवीय है इसका बहिष्कार होनी चाहिए बुद्धिमान लोगों के द्वारा बल्कि आपको झूठे आश्वासन लंबी उम्र व दीर्घायु होने का आर्शिवाद देते हैं, तूम जीते रहो , तूम अमर रहो यही जीवन भर आर्शीर्वाद गुरू जन व बुजुर्गो बड़ों के द्वारा हमको दिया जाता है....
पर आप अमर नहीं होते और हम अमर कब होते है जब हमारे कर्म अच्छे होते हैं जन हितकारी जन कल्याण कारी कर्म करते है, तभी हम आप अच्छे कर्म से अमर बन जाते हैं, अच्छे कर्म करने वालों की सम्मान हर धर्म के लोगों के द्वारा दिया जाता है, जैसे डा.अब्दुल कलाम मुस्लिम धर्म सेे हैै, लेकिन सर्व धर्म के लोगों के द्वारा सम्मान उनको दिया जाता है, क्योकि उनके कर्म जन हित कारी है, बल्कि इंसान किसी की बातों से अमर नहीं हो सकता।
आपके माता, पिता व आपके गुरु ने जो ज्ञान दिया आपको बचपन मे उस ज्ञान का अमल अपने जीवन मे खुद वह नहीं किया बल्कि कही कहाई बात पर आपको उदाहरण स्वरूप ज्ञान दिया है जो खुद के लिए व्यर्थ था तो आप कहा से सार्थक ज्ञानी बन पाएंगे , जो भी धर्म के लोग होंगें आप लेकिन आपके माता पिता व आपके गुरु खुद से नहीं देखा ना ही प्रगट रूप से उस ज्ञान या धर्म के प्रगट रूप स्वरूप को देखा है, बस आपको भवचक्के मे डालकर रखा गया है बचपन से, आपका धर्म बड़ा है आपके गुरु ज्ञान बड़ा है, आपके अपना धर्म से बड़ा कोई धर्म बड़ा नहीं है...
मेरे अपने धर्म ने मानवता सिखाई बल्कि मेरे अपना धर्म ने मुझे कट्टरता सिखाई एक धर्म के इंसान दूसरे धर्म के इंसान का दुश्मन बना दिया, लेकिन कोई भी इंसान सदियों से अपने धर्म को सही मायने में जान ही नहीं पाया बस कही कहायी बातो मे चल रहे हैं। सदियों पुराने वर्षों के रहस्यों से आज भी लोग अंजान है, आज भी सोचने समझने के लिए विवश है, जैसे कई मंदिर कई मस्जिद, कई गुरुद्वारे, कई चमत्कारी पुरुषों के चमत्कार को देखकर हैरान परेशान हैं, हरि कथा हरि अंन्ता जो कहहिं जो सुनही सब संता के समान है,ये दुनिया के प्रकृति स्वरूप पाँच तत्व, इन्ही के बल पर दुनिया के लोग चल फिर रहे है, बाकी जो ज्ञान बाँट रहे हैं... वह सब आडम्बर है, सब धोखा है जन्म,मृत्यु सच है अच्छे आपके जन कल्याण कारी कर्म सच है मानव से मानव जाति से प्रेम करना सच है, और आपके धर्म के मालिक जिसने धर्म का स्थापना की उस काल खंड के अनुसार वह भी सच है, लेकिन एक धर्म के लोगों के द्वारा दूसरे धर्म के लोगों की हत्या करना लूट पाट करना व कट्टरता दिखाना वह सच में धर्म नहीं है।