Wheat and Flour Rrices Rise: महंगाई ने एक बार फिर पकड़ी रफ्तार, गेहूं और आटे के भाव में लगातार बढ़ोतरी से लोग परेशान... एक्शन मोड में सरकार!

Wheat and Flour Rrices Rise: Inflation has once again caught pace, people are worried due to the continuous increase in the prices of wheat and flour... Government in action mode! Wheat and Flour Rrices Rise: महंगाई ने एक बार फिर पकड़ी रफ्तार, गेहूं और आटे के भाव में लगातार बढ़ोतरी से लोग परेशान... एक्शन मोड में सरकार!

Wheat and Flour Rrices Rise: महंगाई ने एक बार फिर पकड़ी रफ्तार, गेहूं और आटे के भाव में लगातार बढ़ोतरी से लोग परेशान... एक्शन मोड में सरकार!
Wheat and Flour Rrices Rise: महंगाई ने एक बार फिर पकड़ी रफ्तार, गेहूं और आटे के भाव में लगातार बढ़ोतरी से लोग परेशान... एक्शन मोड में सरकार!

Wheat and Flour Rrices Rise : 

 

नया भारत डेस्क : बढ़ती महंगाई और बाजार की अस्थिरता के बीच गेहूं और आटे की कीमत बढ़ा है. देश में गेहूं की कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार ने मई के महीने में इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. क्योंकि गेहूं का भाव मंडियों में एमएसपी से 40 परसेंट तक ऊपर निकल गया है। गेहूं ही नहीं बल्कि आटे का भाव भी अब आसमान छूने लगा है। आशंका इस बात की भी जताई जा रही है कि गेहूं में अभी और तेजी देखने को मिलेगी। गेहूं का भाव एमएसपी के पार निकल गया है। गेहूं का होलसेल भाव ₹30 प्रति किलो तक पहुंच गया है। जबकि एमएसपी से गेहूं का दाम 30 से 40 परसेंट ज्यादा हुए हैं। गेहूं का एमएसपी 20.15 रुपए प्रति किलो है। बीते 4 महीने में ₹4 प्रति किलो तक गेहूं के दाम बढ़े हुए हैं। आटे की कीमत 17 से 20 परसेंट तक बढ़ चुके हैं। (Wheat and Flour Rrices Rise)

सरकार के पास कितना गेहूं?

वित्‍तवर्ष 2021-22 के दौरान सरकार के गेहूं भंडारण में करीब 56 फीसदी कमी आई है। यह गिरावट उत्‍पादन घटने और निर्यात बढ़ने की वजह से दिख रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से ग्‍लोबल मार्केट में गेहूं की सप्‍लाई पर बुरा असर पड़ा है। तब भारत ने बड़ी मात्रा में कई देशों को गेहूं सप्‍लाई किया था। इससे सरकार के भंडारण में कमी आ गई और गेहूं का भंडार 14 साल के निचले स्‍तर पर पहुंच गया। (Wheat and Flour Rrices Rise)

क्यों महंगा हो रहा है गेहूं और आटा :

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का असर कीमतों पर हैं। दरअसल इस जंग की वजह से डिमांड और सप्लाई पर असर हुआ है क्योंकि रूस और यूक्रेन में गेहूं बड़ी मात्रा में होता है। सरकार ने इस साल मई में गेहूं के एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी थी, इस वित्त वर्ष के पहले 6 महीनों (अप्रैल-सितंबर के बीच) में वास्तविक शिपमेंट पिछले साल की तुलना में दोगुना हो गया था। (Wheat and Flour Rrices Rise)

1 अक्टूबर तक सरकार के पास गेहूं :

सरकार के पास 1 अक्टूबर 2022 को 2.27 करोड़ टन गेहूं का भंडार था, जबकि इस अवधि तक बफर नियम 2.05 करोड़ टन गेहूं के स्‍टॉक की जरूरत थी।

गेहूं की बुआई बढ़ी :

देश में गेहूं की बुआई 5.4% बढ़ी है। बुआई बढ़ने से ज्यादा उत्पादन की उम्मीद है। 28 नवंबर तक देश में गेहूं की 1.52 करोड़ हेक्टेयर में बुआई हुई है। जबकि गेहूं का रकबा 57% के पार पहुंच गया है। पिछले साल खराब मौसम के कारण नुकसान हुआ था। अधिक गर्मी से खेतों में लगी फसल झुलस गई थी। (Wheat and Flour Rrices Rise)

फ्लोर मिलों की मांग :

फ्लोर मिलों का कहना है कि सरकार ओपन मार्केट के जरिए गेहूं को बेचे तो कीमतों में नरमी आ सकती है। 40 लाख मीट्रिक टन गेहूं की बिक्री होनी चाहिए। कीमतें कम रखने के लिए गेहूं की बिक्री जरूरी है।

कहां कितनी हुई गेहूं की बुआई?

मध्य प्रदेश में 6.40 लाख हेक्टेयर गेहूं की बुआई हुई है। वहीं राजस्थान में 5.67 लाख हेक्टेयर, पंजाब में 1.55 लाख हेक्टेयर, बिहार में 1.05 लाख हेक्टेयर, गुजरात में 0.78लाख हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 0.70लाख हेक्टेयर बुआई हुई है।  (Wheat and Flour Rrices Rise)