अभ्यास के द्वारा मूढ़ से मूढ़ व्यक्ति भी विद्वान बन सकता है,नि:संदेह किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने में अभ्यास का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

Through practice, even the most foolish person can

अभ्यास के द्वारा मूढ़ से मूढ़ व्यक्ति भी विद्वान बन सकता है,नि:संदेह किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने में अभ्यास का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
अभ्यास के द्वारा मूढ़ से मूढ़ व्यक्ति भी विद्वान बन सकता है,नि:संदेह किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने में अभ्यास का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

NBL, 13/12/2022, Lokeshwer Prasad Verma, Raipur CG: Through practice, even the most foolish person can become a scholar, no doubt, practice plays an important role in achieving any goal.

अपने-अपने क्षेत्रों में जो भी व्यक्ति सफल हुए हैं उनकी सफलता में अभ्यास की महती भूमिका रही है, पढ़े आगे विस्तार से... 

अभ्यास के द्वारा मूढ़ से मूढ़ व्यक्ति भी विद्वान बन सकता है। निसंदेह किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने में अभ्यास का महत्वपूर्ण योगदान होता है।अपने-अपने क्षेत्रों में जो भी व्यक्ति सफल हुए हैं उनकी सफलता में अभ्यास की महती भूमिका रही है। अभ्यास के द्वारा मूढ़ से मूढ़ व्यक्ति भी विद्वान बन सकता है। नि:संदेह किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने में अभ्यास का महत्वपूर्ण योगदान होता है। गुरु द्रोण ने एकलव्य को धनुर्विद्या देने से इन्कार कर दिया था। उसके उपरांत एकलव्य ने उन्हें चोरी-छिपे देखकर स्वयं धनुष-बाण चलाने का अभ्यास किया और वह धीरे-धीरे धनुरविद्या में निपुण होता गया।

कालजयी हाकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद एक मैच में गोल नहीं दाग पा रहे थे तो उन्हें गोलपोस्ट की माप पर कुछ संदेह हुआ। जब उस गोलपोस्ट की माप ली गई तो वह अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप नहीं थी। यह ध्यानचंद का स्वयं पर विश्वास ही था और यह विश्वास अभ्यास के द्वारा अर्जित हुआ था। आज यदि हम बल्ब की रोशनी पा रहे हैं तो उसके पीछे भी अभ्यास की शक्ति ही निहित है। एडिसन ने बार-बार असफल होने के बावजूद अभ्यास करना नहीं छोड़ा और एक दिन उस वस्तु का आविष्कार कर दिया जिसने दुनिया को प्रकाश दिया।

अभ्यास की शक्ति को मानव ही नहीं, अपितु पशु-पक्षी भी महत्व देते हैं। मधुमक्खियां निरंतर परिश्रम और अभ्यास से फूलों का रस एकत्र करती हैं और अमृत तुल्य शहद बनाती हैं। इसी प्रकार नन्हीं चींटी जब अपने खाने के लिए अनाज एकत्र करती है तब इस प्रकिया में अनेक बार अनाज का टुकड़ा उसके मुंह से छूटता है, किंतु वह निरंतर चलने का अभ्यास करती है और अंतत: गंतव्य तक भार उठाए चलती जाती है। इसी तरह पक्षी अपना घोंसला बनाने के लिए जगह-जगह से तिनका-तिनका एकत्र करते हैं।

फिर अत्यंत परिश्रम और अभ्यास से घोंसला बनाने में सफल हो जाते हैं। वास्तव में अभ्यास जीवन की नदी में वह नाव है जो अपने सवार को प्रवाह के बीच से सुरक्षित निकालकर गंतव्य तक पहुंचाती है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अभ्यास ही आत्म-विकास का सर्वोत्तम साधन है।

ऐसा ही गरीब से अमीर बनने का सिस्टम है, बस आपके आत्मविश्वास आपके पुरुषार्थ और आपके लगन और आपके अभ्यास का प्रयास निरंतर चलते रहना चाहिए, खुद के उपर विश्वास होनी चाहिए कि हमको अपनी गरीबी हटाना है, जो सदियों से हम लोगों के जीवन में गरीबी नाम का सिम्बोल जो लगा है, उनको जड़ से मिटा देने के लिए हमको अच्छे कर्म से बार बार अभ्यास करनी है, और हम भी अच्छे घर (मकान) मे रहे और हम अच्छे कपड़े पहनने लायक और हम अच्छे कीमती कार का मालिक बन सकते हैं, और आपका अभ्यास आपको उन लक्ष्य तक जरूर ले जायेगी जो आप चाहते हैं, जो जैसा सोचता है, और करता है, वह वैसा ही बन जाता है। 

अशिक्षा के अंधकार को शिक्षा रूपी ज्ञान से मिटाना, जिससे आप अपने जीवन में सब कुछ पा सकते है, जो आपको चाहिए, जैसे भीमराव अंबेडकर जी, बचपन से ही कई मानवीय व्यवहार के अमानवीय प्रथा को झेला, फिर भी अपने शिक्षा अभ्यास मे कमी आने नहीं दिया, और कई कठिनाइयों के बावजूद अंबेडकर जी पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा की मै छोटी जाति समाज से हूँ,, और मै कैसे आगे बढ़ पाऊँगा ऐसी बड़ी बात को भीमराव अंबेडकर जी छोटी सी बात समझते रहे और कई कठिन से कठिन यातनाएं झेलते रहे, लेकिन वह अपना शिक्षा रूपी ब्रम्हासत्र का अभ्यास निरंतर विश्वास के साथ करते हुए अपने शिक्षा व बुद्धि के बल पर अपने समाज का गौरव बढ़ाया।  बल्कि अपने दिन हिंन समाज को सम्मान व नई दिशा दी शिक्षा ही एक ऐसा औजार है, जिससे सब निम्न भेद को मिटाया जा सकता है, और मानव धर्म एक है मानव से मानव जाति से प्रेम करना और मानवीय जन कल्याण के हित में कार्य करना और जो आप देख रहे हो वह सब अमानवीय आडम्बर है, यही शिक्षा का अभ्यास डाक्टर भीमराव अंबेडकर जी को महान बनाती है, जिनके लिखे संविधान के साथ पूरे भारत देश धर्म समाज चल रहे हैं, यही है शिक्षा का अभ्यास जो निरंतर उसने शिक्षा अभ्यास कर शोध किया नये रूप में नया भारत देश के नया निर्माण के लिए।