यहां कुंवरपुर में आज भी जीवित है सैला(डंडा)की परंपरा,सैला नृत्य समारोह में किसानों की रूचि व सहभागिता बढ़ी

यहां कुंवरपुर में आज भी जीवित है सैला(डंडा)की परंपरा,सैला नृत्य समारोह में किसानों की रूचि व सहभागिता बढ़ी

लखनपुर सितेश सितेश:– विकासखंड लखनपुर के कुंवरपुर समेत सरगुजा के अनेक ग्राम पंचायतों में इन दिनों सैला( डंडा) नृत्य समारोह पारंपरिक तौर तरीकों से अनेक ग्रामों में किसान भाइयों की आस्था तथा ग्रामीण मनोरंजन को गतिशीलता प्रदान करते हुए आकर्षक साज सज्जा एवं उत्साह के साथ कुंवरपुर ग्रामवासी अपने ग्रामों में सैला नित्य से लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं, किसान भाइयों का कामकाज खत्म होते ही सब किसान भाई प्रेम भरी बातों को लेकर के आपसी प्रेम पूर्वक नाच गान कर रहे हैं,तथा आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है एवम आपस में भाईचारा बना हुआ है। जिसकी तैयारी कई दिनों से करने के बाद पूरी साज-सज्जा एवं गीतों की सु मधुर आगाज से लोगों का भरपूर मनोरंजन किया जा रहा है। इसे एक अच्छा संदेश दिया जा रहा है।तकरीबन 40 से ऊपर सेला नृत्य कलाकारों द्वारा इस कार्यक्रम को अंजाम दिया जा रहा है। सैला नृत्य टीम को अलग-अलग घरों से चावल धान एवं यथासंभव पैसा से ग्राम वासियों द्वारा सम्मानित किया जाता है। इन दिनों धान विक्रय के साथ ही वर्ष में एक बार सैला नृत्य का अपना एक अलग ही महत्व होता है। जिसे गांव के किसान बंधु बखूबी निभाते हुए अपने दायित्व का निर्वहन करते रहे हैं, भाईचारे तथा एकता का प्रतीक माना जाने वाला यह उत्सव परंपराओं की एक कड़ी के साथ ही वर्तमान समय में भी इसका उतना ही महत्व है। जितना प्राथमिक स्तर पर रहा होगा। इस उत्सव में एकरूपता तथा भाईचारे का संदेश देते हुए पूरे गांव को मनोरंजन से भरपूर गांव की आम आदमी की समृद्धि के लिए अपने गीतों के माध्यम से ईश्वर से प्रार्थना कर उक्त संदर्भ में ज्ञातव्य हो कि स्थानीय कुंवरपुर ग्रामीण समिति पिछले कई वर्षों से डंडा नहीं खेले थे। इसके बाद अभी 2022 में खेल रहे हैं,तो किसान भाईयों को थोड़ा बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन कलाकारों के द्वारा पूछने पर बताया गया कि हमें बहुत ही अच्छा लग रहा है। ऐसा नृत्य होते रहना चाहिए जिसे हमारी परंपरा जीवित रहे। डंडा सैला कलाकार टीम के मुखिया से मिलकर इन्हें एक रंग रूप व परिधान के संदर्भ में उत्साहित किया जाता रहा है।जिसको लोगों ने बखूबी अमल करते हुए एक समान वेशभूषा की महत्त्व को समझा व अमल करते हुए एक नई जागृति का परिचय दिए। ग्राम पंचायत कुंवरपुर सहित आसपास अनेक ऐसे गांव हैं जहां एक ही वेशभूषा में सैला नृत्य देखने को मिलता है उक्त संदर्भ में संबंधित पंचायत से ऐसे कलाकारों को पंचायत स्तर पर प्रोत्साहित करने व छोटी मोटी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु ग्राम पंचायत के मूलभूत मद से सहयोग दिया जाना चाहिए, जिससे सैला नित्य करने वाले किसान भाइयों को प्रोत्साहन मिले।