बकरा भात का डिमांड करना क्लर्क को पड़ा भारी.......मामले की तूल पकड़े ही हरकत में आया जिला प्रशासन..... पढ़िये किन पर क्या कार्रवाई हुई है?




बलौदाबाजार(कसडोल):-बलौदाबाजार जिले के कसडोल ब्लॉक में बया गांव के सरकारी स्कूल की एक टीचर को 8 माह के वेतन नही निकलने व उसके एवज में बकरा भात(मीट और चावल) का डिमांड करना क्लार्क हरीश कुमार को भारी पड़ गया। मामले के तूल पकड़ते ही जिला प्रशासन हरकत में आया व सहायक ग्रेड 03 हरीश कुमार पारेश्वर शास. उ.मा.वि.चांदन वि.ख. कसडोल के विरुध्द उनके आहरण संवितरण के अन्तर्गत कार्यरत रीना ठाकुर व्याख्याता एल.बी. शास. उ.मा.वि. बया वि.ख. कसडोल का वर्ष 2020 से संविलियन पश्चात् विगत 08 माह का वेतन नही निकालने एवं उसके एवज में पार्टी के लिए राशि मांगे जाने एवं इसका विरोध करने पर मद्यपान करने पर संबंधित शिक्षिका से अभद्र व्यवहार किये जाने की प्राप्त शिकायत एवं उक्त शिकायत का वाट्सअप में विडियों वायरल होने के फलस्वरूप हरीश पारेश्वर का आचरण सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के विपरीत होने से छ.ग. सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 9 के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया किया गया है।
निलंबन अवधि में संबंधित का मुख्यालय कार्यालय विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी कसडोल होगा तथा नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी।
दरासल मामला इस प्रकार है कि कसडोल ब्लॉक के रीना ठाकुर को संविलियन के बाद 8 माह हो जाने के बाद भी आज तक एक फूटी कौड़ी नहीं मिली थी और भ्रष्ट बाबू और डीडीओ प्राचार्य ने ऐसा खेल खेला की उलझने समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रही थी । पहले महिला शिक्षिका को संविलियन आदेश में सरनेम सही न होने का हवाला देकर घुमाया गया तो बाद में नियमितीकरण आदेश न होने का बहाना बनाकर घुमाया जा रहा था। सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे ने स्वयं डीपीआई से मिलकर संशोधित संविलियन आदेश जारी करवाया और प्रिंसिपल से बात की जिसमें उन्होंने वेतन निकलवा देने की बात कही लेकिन उसके बाद भी जिला कोषालय में बिल ही नहीं लगाया जबकि इधर विवेक दुबे ने स्वयं पूरे मामले की जानकारी जिला कोषालय अधिकारी समेत जिला शिक्षा अधिकारी को दी थी और राज्य कार्यालय के आदेश की प्रति भी उपलब्ध कराई। जिसमें अप्रशिक्षित शिक्षकों तक को वेतन और वेतनवृद्धि देने का स्पष्ट आदेश है साथ ही पूर्व में ऐसे ही प्रकरण विभाग द्वारा लिए गए निर्णय की भी जानकारी दी लेकिन डीडीओ प्राचार्य ने महिला शिक्षिका का बिल ही नहीं लगाया और उसे गुमराह करते रहे । पूरे मामले की गंभीरता से जांच करने और प्रार्थी शिक्षिका से बात करने के बाद विवेक दुबे को यह पता चला कि वास्तव में संविलियन का वेतन देने के लिए बाबू के द्वारा स्कूल के शिक्षकों से पैसा लिया गया था और महिला शिक्षिका ने इसी बात को लेकर आपत्ति की थी जिसे लेकर विवाद भी हुआ और बाबू ने साफ कह दिया कि मैं तुम्हारा बिल निकाल लूंगा ही नहीं और जो कर सकते हो कर लो महिला शिक्षिका से बात करते समय इतनी अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया था।
इधर इस ऑडियो के सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि पूरा मामला भ्रष्टाचार का है और जानबूझकर प्रिंसिपल और बाबू के द्वारा महिला शिक्षिका को प्रताड़ित किया जा रहा है इधर सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष और सदस्यों ने पूरे मामले को मुख्यमंत्री को ट्वीट करके ऐसे दोषी प्राचार्य और बाबू पर कड़ी कार्रवाई की मांग रखी थी।
जिला प्रशासन ने केवल क्लर्क को निलंबित किया है इसके ऊपर के बड़े अफसर पर कोई कर्रवाई नही हुई है।