CG BEMETARA:50 एकड़ के काले धान की खेती से 30 लाख रुपए की कमाई ,बाजार में मिल रही ऊंची कीमत....खाद के रूप में सिर्फ गौ मूत्र का हुआ छिड़काव,मिला बेहतर परिणाम




संजू जैन:7000885784
बेमेतरा:एक ओर जहां छत्तीसगढ़ राज्य को धान का कटोरा कहा जाता है तो बेमेतरा जिले की पहचान केला,पपीता,टमाटर,सब्जियों के उत्पादक जिले के रूप में होती हैं साथ ही साथ हमारे जिले में जिस पैमाने पर चावल की पैदावार होती है,उसी पैमाने पर इसकी खपत भी होती है. तो देश में उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक चावल की अच्छी-खासी मांग भी है।
ब्लैक राइस की खेती से अधिक आमदनी ले रहे किसान*
प्रदेश में अब धीरे-धीरे काले चावल की खेती में बढ़ोतरी हो रही है. समय के साथ-साथ बढ़ रही काले चावल की मांग को देखते हुए किसान इस फसल की ओर रुख कर रहे हैं. दरअसल, काले चावल पर किए गए कई अध्ययनों में इसके जबरदस्त स्वास्थ्य फायदों के बारे में मालूम चला है. जिसके बाद लोग सफेद चावल के साथ-साथ काले चावल को भी अपने खाने में शामिल कर रहे हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि ब्लैक राइस ब्लड प्रेशर, शुगर जैसी बीमारियों में कारगर साबित हो रहा है.
नगर पंचायत नवागढ़ के किसान किशोर राजपूत ने ब्लैक राइस की खेती विगत 6 वर्ष पूर्व आधा एकड़ से शुरु हुआ था । नवागढ़ तहसील में पहली बार काले चावल की खेती करने वाले वे एकेले किसान रहे हैं, इसके बाद से ही किशोर राजपूत पूरे नगर में चर्चा का विषय बन गए. नवागढ़ में काले चावल की खेती शुरु करने वाले युवा किसान किशोर राजपूत ने बताया कि इस फसल की खेती पूरी तरह से प्राकृतिक तरीके से करते हैं.इसमें किसी भी तरह के केमिकल खाद जैसे यूरिया, डीएपी, पोटाश,राखड,या अन्य दवाओं का इस्तेमाल नही किया जाता है. इसमें सिर्फ गाय के मूत्र का इस्तेमाल हुआ है. प्रति सप्ताह एक लीटर गौ मूत्र सोलह लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना है इस गौ आधारित प्राकृतिक खेती से इस वर्ष प्रति एकड़ 12 क्युंटल धान उत्पादन हुआ है।
*50 रुपए किलो धान तो 200 से 300 रुपये प्रति किलो के दाम पर बिक रहे चावल*
किशोर राजपूत ने बताया कि बाजार में सफेद धान की कीमत 16 रुपए से शुरू होकर 25 रुपए किलो में तो चावल की कीमत 60 से 120 रुपये प्रति किलो तक होती है,तो वहीं ब्लैक राइस धान की कीमत बिना लैब टैस्ट के 28 रुपए से तथा टैस्ट में पास होने के बाद वाले 50 रुपए किलो तथा आनलाइन मार्केट में चावल 200 से 300 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है जो किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है. युवा किसान ने कहा कि इस सत्र हमने सिर्फ पचास एकड़ खेत में ब्लैक राइस की खेती की है आगामी बरसात में इसकी खेती का विस्तार किया जाएगा.50 एकड़ जमीन पर धान का उत्पादन प्रति एकड़ 12 क्यूंटल (60,000 किलो धान ) प्राप्त हुआ जो लैब टैस्ट से पास होने के बाद पांच हजार रुपए क्यूंटल की दर से बिका हैं जिसकी कीमत 30 लाख रुपए है। उन्होंने बताया कि विगत 3 वर्षों से कोविड 19 के कारण एक्सपोर्ट बंद हैं इसलिए धान का मूल्य कम है। वरना धान ही थोक में 120 से 300/रुपए प्रति किलो की दर से बिकता हैं।
*काले धान में आय व्यय का विवरण*
काले धान का प्रति एकड़ 15 किलो बीज,
खाद के नाम पर एक रुपया खर्च नही हुआ ,धान बीज स्वयं घर का ,ट्रेक्टर से जुताई में एक लाख रुपए का पेट्रोल,3 लाख रुपए का रोपाई में खर्च, धान कटाई में एक लाख पचास हजार रुपए तथा ग्रेड साफ सफाई ग्रेडिंग में 50 हजार रूपए की लागत आई है। कुल लगात लगभग 6 लाख रुपए आया है और 24 लाख रुपए शुद्ध आमदनी मिला है। इसे बेचने के लिए कही जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती हैदराबाद की एक व्यापारी खेत से ही धान खरीद कर ले जाता है। आधा पेमेंट तुरंत तथा शेष राशि 20 दिन बाद देता है।
*फसल की अवधि तथा लगने वाले रोग*
हमारे देश में काले धान की कई किस्मों की खेती करते हैं,बाजार मांग के अनुसार इसका उत्पादन लेना चाहिए तभी सफलता प्राप्त कर सकते हैं किशोर राजपूत ने बताया कि वे कृष्णम वैरायटी के धान की खेती करते हैं जिसकी मांग हर समय रहता है इसकी धान लम्बा और चावल पतला काले रंग का होता है जो बहुत कम सुगंधित रहता है। धान रोपण करने के 110 दिन बाद काटने के लिए तैयार हो जाता है, धान सामान्य धान की तरह ढ़ाई से तीन फीट ऊंचा होता है इसमें रोग भी कम लगता है। पौधें में ही रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती हैं।
वैसे विश्व के सबसे बड़े चावल उत्पादक देशों में भारत का नाम काफी आगे है. भारत में चावल का उत्पादन करने वाले राज्यों में पश्चिम बंगाल,उत्तर प्रदेश,आंध्र प्रदेश,तेलंगाना,पंजाब,ओडिशा,बिहार, छत्तीसगढ़ प्रमुख हैं.इनके अलावा और भी कई राज्यों में छोटे स्तर पर धान की खेती की जाती है.भारत में हर साल करीब 37 मिलियन हेक्टेयर में होने वाली धान की खेती से 100 से 150 मिलियन टन चावल की पैदावार होती है. भारत में चावल की अच्छी पैदावार और खपत के साथ-साथ बड़े स्तर पर इसका निर्यात भी किया जाता है.
*काले चावल का उपयोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग कर रहे हैं*
हमारे देश में जिस पैमाने पर चावल की पैदावार होती है,उसी पैमाने पर इसकी खपत भी होती है. उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक चावल की बड़ी खपत है. आमतौर पर आपको भारत के घरों में साधारण सफेद चावल ही देखने को मिलेंगे. लेकिन समय के साथ-साथ भारतीय थालियों में चावल का रंग भी बदलता जा रहा है. आपको ऐसे कई लोग मिल जाएंगे जिन्हें सफेद चावल खाना तो पसंद है, लेकिन स्वास्थ्य के प्रति सजगता के कारण वे सफेद चावल खाने से परहेज करते हैं. ऐसी स्थिति में लोगों के पास अब ब्लैक राइस (काले चावल) का विकल्प भी उपलब्ध है