कविता :- यह है परीक्षा :- ✍️ लेखक:- सोनु कृष्णन (झारखंड)

कविता :- यह है परीक्षा :- ✍️ लेखक:- सोनु कृष्णन (झारखंड)
कविता :- यह है परीक्षा :- ✍️ लेखक:- सोनु कृष्णन (झारखंड)

झारखंड।

यह है परीक्षा

एक लड़की है जिसकी नाम है समीक्षा ‌
वह पढ़ने लगी क्योंकि देनी है परीक्षा 
यह इसलिए क्योंकि प्रथम आना उनकी है इच्छा
वह जाने लगी गुरु पास और लेने लगी दीक्षा
क्योंकि अभी उनकी ज्यादा जरूरत है शिक्षा
नहीं तो मांगनी पड़ेगी उनकी जिंदगी भर भिक्षा
यहां कोई न काम करता है इच्छा
कामयाब होने पर करने लगते हैं पीछा
खुद सफल होकर दूसरों को गिराना चाहते हैं नीचा
यहां हजार नहीं एक गलती को करते हैं रिचा
जहां प्यासे को नहीं देते पानी तो भूखे को क्या देंगे पिज्जा
यह वह युग है जहां बेटा नहीं तो क्या होगा भतीजा
यह एक-दो परिवार कि नहीं यह देश की है नतीजा
जहां अपने नहीं करते इंतजार वहां क्या करेंगे प्रतीक्षा
यह युग नहीं कलयुग है
न द्वापर न सतयुग है
आने वाला भ्रष्ट युग है 
देश को बर्बाद करने वाले
सूर नहीं असुर हैं ।।

✍️ लेखक:- सोनु कृष्णन