BIG EXPOSE: महंत नरेंद्र गिरी की सुसाइड नोट में बड़ा खुलासा.... अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने लिखा, किसी लड़की के साथ मेरा आपत्तिजनक वीडियो वायरल करने जा रहा था आनंद गिरी.... आत्महत्या के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाए.... यहां पढ़ें पूरा लेटर....




डेस्क। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद उनका 8 पेज का सुसाइड नोट सामने आया है। जिसमें उन्होंने अपनी मौत के लिए आनंद गिरि, लेटे हनुमान मंदिर के पुजारी अद्या तिवारी, संदीप तिवारी को अपनी मौत के लिए जिम्मेदार बताया है। सुसाइड लेटर में महंत नरेंद्र गिरि ने लिखा है कि मैं महंत नरेंद्र गिरि आज आनंद गिरि के कारण बहुत विचलित हो गया। आज हरिद्वार से सूचना मिली कि एक दो दिन में आनंदगिरी मोबाइल के माध्यम से किसी छोटी महिला या लड़की के साथ गलत काम करते हुए फोटो वायरल कर देगा। मैं महंत नरेंद्र गिरि बदनामी के डर से सफाई देता रहूंगा। मैं जिस सम्मान से जी रहा हूं, तो बदनामी में कैसे जी पाऊंगा। इसलिए आत्महत्या कर रहा हूं।
सुसाइड नोट में लिखा है कि मैं महंत नरेंद्र गिरि मठ बाघम्बरी गद्दी और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष अपने होशो हवास में बगैर किसी दबाव में यह बात लिख रहा हूं कि जब से आनंद गिरि ने मेरे ऊपर असत्य और मिथ्या मनगढ़ंत आरोप लगाया तब से मैं मानसिक दबाव जी रहा हूं। जब भी मैं एकांत में रहता हूं मर जाने की इच्छा होती है, आनंद गिरि और आद्या प्रसाद तिवारी तथा उसके लड़के संदीप तिवारी ने मेरे साथ विश्वास घात किया है...
सोशल मीडिया, फेसबुक एवं समाचार पत्रों में आनंद गिरी ने मेरे चरित्र के ऊपर मनगढ़ंत आरोप लगाया। मैं मरने जा रहा हूं। सत्य बोलूंगा मेरा घर से कोई संबंध नहीं है। मैने एक भी पैसा घर पर नहीं दिया। मैने एक एक पैसा मंदिर एवं मठ में लगाया। 2004 से मैं महंत बना। 2004 से अभी जो मठ एवं मंदिर का विकास किया सभी भक्त जानते हैं। आनंद गिरि द्वारा जो अभी आरोप लगाया गया उसे मेरी और मठ मंदिर की बदनामी हुई। मैं बहुत आहत हूं। मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं। मेरे मरने के संपूर्ण जिम्मेदारी आनंद गिरी, आद्या प्रसाद तिवारी जो मंदिर में पुजारी हैं और आद्या प्रसाद तिवारी का बेटा संदीप तिवारी की होगी। मैं समाज में हमेशा शान से जिया। आनंद गिरी ने मुझे गलत तरीके से बदनाम किया।
मैं महंत नरेंद्र गिरि मठ बाघंबरी गद्दी बड़े हनुमान मंदिर (लेटे हनुमानजी) वर्तमान में अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अपने होशो हवास में बगैर किसी दबाव में यह पत्र लिख रहा हूं। जब से आनंद गिरी ने मेरे ऊपर असत्य, मिथ्या, मनगढ़ंत आरोप लगाया तब से मैं मानसिक दबाव में जी रहा हूं। जब भी मैं एकांत में रहता हूं मर जाने की इच्छा होती है। आनंद गिरी, आद्या प्रसाद तिवारी उनका लड़का संदीप तिवारी मिलकर मेरे साथ विश्वासघात किया। मुझे जान से मारने का प्रयास किया। इससे मैं बहुत दुखी होकर आत्महत्या करने जा रहा हूं। मेरी मौत के जिम्मेदार आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी, संदीप तिवारी पुत्र आद्या प्रसाद तिवारी की होगी। प्रयागराज के सभी पुलिस अधिकारी एवं प्रशासनिक अधिकारियों से अनुरोध करता हूं मेरे आत्महत्या के जिम्मेदार उपरोक्त लोगों पर कानूनी कार्यवाही की जाए। जिससे मेरी आत्मा को शांति मिले।
प्रिय बलवीर गिरि मठ, मंदिर की व्यवस्था का प्रयास करना, जिस तरह से मैने किया। इसी तरह से करना। नितेश गिरी एवं मणि की सभी महात्मा बलवीर गिरि का सहयोग करना। परमपूज्य महंत हरिगोविंद गिरि एवं सभी से निवेदन है कि मढ़ी का महंत बलवीर गिरि को बनाना। महंत रविंद्र पुरी जी (सजावट मढ़ी) आपने हमेशा साथ दिया। मेरे मरने के बाद बलवीर गिरि का ध्यान दीजिएगा। सभी को ओम नमो नारायण।
प्रिय बलवीर, ओम नमो नारायण। प्रयास करना कि मठ-मंदिर की व्यवस्था जैसे मैंने किया उसी तरह चलती रहे। परम पूज्य महंत हरि गोविंद पुरी जी से निवेदन है कि महंत बलवीर गिरी को उत्तराधिकारी बनाना। आशुतोष और नीतेश सभी महात्मा बलवीर का सहयोग करें। महंत रविंद्र आपने हमेशा मेरा साथ दिया, मेरे मरने के बाद बलवीर का साथ देना। मेरी अंतिम इच्छा है कि धनंजय मेरे कमरे की चाभी बलवीर गिरी जी को सौंप दें। आदित्य मिश्र और शैलेंद्र सिंह रियल एस्टेट से 25-25 लाख रुपए मांगना है।