Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale : एकान्तेश्वर महादेव कथा का तीसरा दिन, हर-हर महादेव के जयकारों से गूंजी इस्पात नगरी,. “नंदी पर बैठे बम भोला दूल्हा बनके “ भजन पर जमकर झूमे श्रद्धालु...देखे फोटो और विडियो...

छत्तीसगढ़ के भिलाई में एकान्तेश्वर महादेव कथा का तीसरा दिन

Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale : एकान्तेश्वर महादेव कथा का तीसरा दिन, हर-हर महादेव के जयकारों से गूंजी इस्पात नगरी,. “नंदी पर बैठे बम भोला दूल्हा बनके “ भजन पर जमकर झूमे श्रद्धालु...देखे फोटो और विडियो...
Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale : एकान्तेश्वर महादेव कथा का तीसरा दिन, हर-हर महादेव के जयकारों से गूंजी इस्पात नगरी,. “नंदी पर बैठे बम भोला दूल्हा बनके “ भजन पर जमकर झूमे श्रद्धालु...देखे फोटो और विडियो...

Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale

भिलाई नगर। विश्वविख्यात पंडित प्रदीप मिश्रा के मुखारविंद से श्री एकांतेश्वर महादेव की कथा सुनने गुरुवार को तीसरे दिन भी भक्तों का काफिला उमड़ पड़ा। आज पंडित प्रदीप मिश्रा ने भगवान भोलेनाथ एवं माता पार्वती के विवाह की कथा सुनाई। अपनी कथा में एकांतेश्वर महादेव की महिमा बताते हुए कहा की पार्वती जी ने फल की प्राप्ति के लिए एकांतेश्वर महादेव की आराधना की थी। उन्होंने बताया क दुनिया मे हर दूल्हे की बारात घर अथवा मंदिर से निकलती हैं , लेकिन शिवजी की बारात शमशान से निकली थी। ब्रह्मा जी, विष्णु से शिवजी से बारात में चलने के लिए तीन दिन से आग्रह कर रहे थे, लेकिन शिव जी ने कहा अभी मुहूर्त नही हुआ हैं। तीन दिन के बाद जब शमशान में लाश जली तो उस लाश की राख लपेटकर भगवान शंकर अपने साथियों के साथ बारात के लिए निकले। कथा के समापन पर आज “ नंदी पर बैठे बम भोला दूल्हा बनके “ भजन पर श्रद्धालु झूम उठे।

 

 

शिवपुराण का महत्व बताते हुए पंडित श्री मिश्रा ने कहा हैं कि शिवपुराण कर्म प्रधान हैं, कर्म की बात करता हैं। अगर आप किसी भूखे को रोटी और बेसहारे को सहारा देते हैं तो आपके बुरे समय मे महादेव भी आपका साथ देंगे। महादेव को प्रसन्न करने के लिए जरूरी नहीं हैं कि आप मंदिर में दीप और अगरबत्ती जलाएं अगर आप किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट ला देते हैं, किसी असहाय की सहायता कर देते हैं तो महादेव का आशीर्वाद आप पर सदैव बना रहेगा। आप जैसा व्यवहार अपने लिए चाहते हैं वैसा ही व्यवहार आपको दूसरों के साथ भी करना चाहिए। उन्होंने बताया कि अपने कर्म को सदैव अच्छा रखो अगर कोई बुरा कर्म करता हैं , तो उसकी वजह से आप बुरे कर्म मत करो आप अपना कर्म हमेशा सही रखो।(Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale)

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ये 10 पुण्य अवश्य करें


पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि शिवमहापुराण में वर्णित 10 पुण्य का कार्य प्रत्येक मनुष्य को अवश्य करना चाहिए। चार पुण्य वाणी के होते हैं - सत्य बोलना, स्वाध्याय, प्रियवाणी, हितकर वाणी। तीन पुण्य शरीर के होते हैं - दोनों हाथों से दान, रक्षा करना, सेवा करना और तीन पुण्य मन के होते हैं - हर जीव पर दया करना, लोभ का त्याग करना एवं ईश्वर में श्रद्धा एवं विश्वास बनाये रखना।

एकांतेश्वर महादेव अर्थ- दिखावे की भक्ति से दूर रहना हैं
एकांतेश्वर स्वरूप का अर्थ बताते हुए पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि एकांतेश्वर का अर्थ एकान्त में दिखावे से दूर महादेव की आराधना करना हैं। दिखावे के जमाने में भी जो लोग दिखावे से दूर होते हैं वो महादेव को प्रिय होते हैं, महादेव उनकी भक्ति से शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं। भगवान शिव सहज हैं वो भक्तों को दुनिया की मोहमाया से निकालते हैं। पंडित जी ने बताया कि अगर आप किसी विषम परिस्थिति में फँसे हो और कोई समाधान नहीं मिल रहा हैं। सभी जगह प्रयास कर लिए लेकिन समस्या सुलझने के बजाय उलझती जा रही हैं तो एकांत में स्थित शिव मंदिर में महादेव की आराधना करनी चाहिए अगर एकांत में मंदिर नही मिल रहा हैं तो किसी एकांत जगह मिट्टी से पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर एक बेलपत्र, एक चावल का दाना, एक श्वेत पुष्प, एक दूब पत्ती और एक शमी के पत्ते मात्र से भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं और सारी समस्या को दूर करते हैं।

कथा में भिलाईवासियों की उदारता एवं भक्तिभाव का किया जिक्र


पंडित जी ने कथा में भिलाईवासियों की श्रद्धा एवं भक्तिभाव का जिक्र करते हुए बताया कि रात में पंडाल में रुके श्रद्धालुओं के लिए भिलाई के निवासी, सामाजिक संगठन भोजन, बिस्किट, शर्बत लेकर उपस्थित हो जाते हैं ताकि किसी श्रद्धालु को परेशानी न हो। आयोजन समिति, सामाजिक संगठन, प्रशासन द्वारा द्वारा सभी श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई प्रकार के इंतजाम किए गए हैं।


पशुपति नाथ व्रत से मिला फल 


सुषमा बोरिकर बालाघाट निवासी ने पत्र में लिखा था कि उनके बेटे बीरेंद्र बोरिकर 8 साल से नौकरी के लिए प्रयासरत था हर बार एक, दो नम्बर से चूक जाता था। सुषमा बोरिकर ने पत्र में लिखा कि 2018 से आस्था चैनल पर कथा सुन रही थी। उन्होंने पत्र में बताया कि उन्होंने अपने बेटे को मंदिर जाने के लिए कहा तो बेटे ने सवाल किया कि मंदिर जाने से क्या होगा ? सुषमा जी ने बताया की उन्होंने  अपने बेटे के मन मे शिव के प्रति विश्वास जगाया एवं मंदिर भेजना प्रारम्भ किया। सुषमा जी ने पशुपति नाथ का व्रत करना प्रारम्भ किया और उनके बेटे ने बेलपत्र पर शहद लगाकर शिव जी को अर्पित कर पूरी मेहनत से परीक्षा देने गया और आज उसकी जॉब रेलवे में लग गई।(Pandit Pradeep Mishra Sehore Wale)