एक बात किसी की समझ में कभी नहीं आई कि ये फिल्म अभिनेता (या अभिनेत्री) ऐसा क्या करते हैं कि इनको एक फिल्म के लिए 50 करोड़ '--For या 100 करोड़ रुपये मिलते हैं?




पन्ना / मध्य प्रदेश।
जिस देश में शीर्षस्थ वैज्ञानिकों , डाक्टरों , इंजीनियरों , प्राध्यापकों , अधिकारियों इत्यादि को प्रतिवर्ष 10 लाख से 20 लाख रुपये मिलता हो,
उस देश में एक फिल्म अभिनेता प्रतिवर्ष
10 करोड़ से 100 करोड़ रुपए तक कमा लेता है। आखिर ऐसा क्या करता है वह?
देश के विकास में क्या योगदान है इनका? आखिर वह ऐसा क्या करता है कि वह मात्र एक वर्ष में इतना कमा लेता है जितना देश के शीर्षस्थ वैज्ञानिक को शायद 100 वर्ष लग जाएं?
आज जिन चार क्षेत्रों ने देश की नई पीढ़ी को मोह रखा है, वह है - सिनेमा , क्रिकेट और राजनीति और शासकीय पद पर बैठकर भृष्टाचार।
इन चारो क्षेत्रों से सम्बन्धित लोगों की कमाई और प्रतिष्ठा सभी सीमाओं के पार है।
यही चारो क्षेत्र आधुनिक युवाओं के आदर्श हैं।
जबकि वर्तमान में इनकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगे हैं।
तो वह देश और समाज के लिए व्यर्थ ही है।
बॉलीवुड में बेहिसाब रुपया,
क्रिकेट में मैच फिक्सिंग,
राजनीति में गुंडागर्दी - भ्रष्टाचार शासकीय सेवक का भ्रष्टाचार।
इन सबके पीछे मुख्य कारक धन ही है
और यह धन उन तक हम ही पहुँचाते हैं।
हम ही अपना धन फूँककर अपनी हानि कर रहे हैं। मूर्खता की पराकाष्ठा है यह।
▪️70-80 वर्ष पहले तक प्रसिद्ध अभिनेताओं को
सामान्य वेतन मिला करता था।
▪️30-40 वर्ष पहले तक क्रिकेटरों की कमाई भी
कोई खास नहीं थी।
▪️30-40 वर्ष पहले तक राजनीति भी इतनी कलाँकित नही थी।
▪️शासकीय सेवक भी भृष्टाचारी
नही था।
धीरे-धीरे ये हमें लूटने लगे
और हम शौक से खुशी-खुशी लुटने लगे।
हम इन माफियाओं के चंगुल में फँस कर हम
अपने बच्चों का, अपने देश का भविष्य को
बर्बाद करते है।
50 वर्ष पहले तक फिल्में इतनी अश्लील और फूहड़ नहीं बनती थीं।
क्रिकेटर और नेता इतने अहंकारी नहीं थे ।
शासकीय सेवक भृष्टाचारी नही थे।
आज तो ये हमारे भगवान बने बैठे हैं।
अब आवश्यकता है इनको सिर पर से उठाकर पटक देने की - ताकि इन्है अपनी हैसियत पता चल सके।
एक बार वियतनाम के राष्ट्रपति
हो-ची-मिन्ह भारत आए थे।
भारतीय मंत्रियों के साथ हुई मीटिंग में उन्होंने पूछा -
" आप लोग क्या करते हैं ?"
इन लोगों ने कहा - " हमलोग राजनीति करते हैं ।"
वे समझ नहीं सके इस उत्तर को।
उन्होंने दुबारा पूछा-
"मेरा मतलब, आपका पेशा क्या है?"
इन लोगों ने कहा - "राजनीति ही हमारा पेशा है।"
हो-ची मिन्ह तनिक झुंझलाए, बोला -
"शायद आप लोग मेरा मतलब नहीं समझ रहे।
राजनीति तो मैं भी करता हूँ ;
लेकिन पेशे से मैं किसान हूँ ,
खेती करता हूँ।
खेती से मेरी आजीविका चलती है।
सुबह-शाम मैं अपने खेतों में काम करता हूँ।
दिन में राष्ट्रपति के रूप में देश के लिए
अपना दायित्व निभाता हूँ ।"
भारतीय प्रतिनिधिमंडल निरुत्तर हो गया
कोई जबाब नहीं था उनके पास।
जब हो-ची-मिन्ह ने दुबारा वही वही बातें पूछी तो प्रतिनिधि मंडल के एक सदस्य ने झेंपते हुए कहा - "राजनीति करना ही हम सबों का पेशा है।"
स्पष्ट है कि भारतीय नेताओं के पास इसका कोई उत्तर ही न था। बाद में एक सर्वेक्षण से पता चला कि भारत में 6 लाख से अधिक लोगों की आजीविका राजनीति से चलती थी। आज यह संख्या करोड़ों में पहुंच चुकी है।
कुछ महीनों पहले ही जब कोरोना से यूरोप तबाह हो रहा था , डाक्टरों को लगातार कई महीनों से थोड़ा भी अवकाश नहीं मिल रहा था ,
तब पुर्तगाल की एक डॉक्टरनी ने खीजकर कहा था -
"रोनाल्डो के पास जाओ न ,
जिसे तुम करोड़ों डॉलर देते हो।
मैं तो कुछ हजार डॉलर ही पाती हूँ।"
मेरा दृढ़ विचार है कि जिस देश में युवा छात्रों के आदर्श वैज्ञानिक , शोधार्थी , शिक्षाशास्त्री आदि न होकर ,
अभिनेता, राजनेता और खिलाड़ी,अधिकारी होंगे , उनकी स्वयं की आर्थिक उन्नति भले ही हो जाए ,
देश की उन्नत्ति कभी नहीं होगी।
देश सामाजिक, बौद्धिक, सांस्कृतिक, रणनीतिक रूप से देश पिछड़ा ही रहेगा हमेशा।
ऐसे देश की एकता और अखंडता हमेशा खतरे में रहेगी।
जिस देश में अनावश्यक और अप्रासंगिक क्षेत्र का वर्चस्व बढ़ता रहेगा, वह देश दिन-प्रतिदिन कमजोर होता जाएगा।
देश में भ्रष्टाचारी व देशद्रोहियों की संख्या बढ़ती रहेगी, ईमानदार लोग हाशिये पर चले जाएँगे व राष्ट्रवादी लोग कठिन जीवन जीने को विवश होंगे।
सभी क्षेत्रों में कुछ अच्छे व्यक्ति भी होते हैं।
उनका व्यक्तित्व मेरे लिए हमेशा सम्माननीय रहेगा ।
आवश्यकता है हम प्रतिभाशाली,ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, समाजसेवी, जुझारू, देशभक्त, ईमानदार,राष्ट्रवादी, वीर लोगों को अपना आदर्श बनाएं।
हमे नाचने-गानेवाले, ड्रगिस्ट, लम्पट, गुंडे-मवाली, भाई-भतीजा-जातिवादी, दुष्ट देशद्रोहियों और भृष्टाचरियो रिश्वत खोरो को जलील करने और सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक रूप से बॉयकॉट करने की प्रवृत्ति विकसित करनी होगी ।
यदि हम ऐसा कर सकें तो ठीक, अन्यथा देश की अधोगति भी तय है।
आप स्वयं तय करे
अभिनेता, खिलाड़ी, भृष्ट राजनेता और , भृष्ट रिश्वतखोर अधिकारी देश के विकास में इनका योगदान क्या है।
हमारे बच्चे मूर्खों की तरह इनको आइडियल बनाए हुए है।
देश को खोखला करने बालो का विरोध करे।
देश को बचाने में मदद करे।
पं. महन्त राजेश दीक्षित एडवोकेट
पर्यावरणविद,पुराविद,समाज शास्त्री,लेखक
महन्त ठाकुर श्री जुगलकिशोर जू,पन्ना
09425385872
जयहिन्द