सेवानिवृत्त कर्मचारियों को किसी भी प्रकार की कोई भी दवाई अब चिकित्सालय से नहीं प्रदान करेगा




मनेंद्रगढ़। 22 दिसंबर 1965 को तत्कालीन श्रम राज्यमंत्री परम श्रद्धेय रतन लाल किशोरी लाल मालवीय जी द्वारा मनेंद्रगढ़ में एक चिकित्सालय क्या नींव रखा गया था। उस समय एक्स-रे होना भी मेडिकल साइंस की नवीनतम तकनीक हुआ करती थी। कोल माइंस वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन द्वारा अखिल भारतीय स्तर के चिकित्सक एवं पैरामेडिकल स्टाफ इस चिकित्सालय में अपनी सेवाएं प्रदान करता था। 1 अगस्त 1985 को यह चिकित्सालय कोल इंडिया के अधीनस्थ कार्य करने लगा। महाप्रबंधक हसदेव क्षेत्र के अधीनस्थ केवल रेवेन्यू बजट होता था। शायद इसी कारण चिकित्सा अनुसंधान से संबंधित या यूं कहें मरीजों के लेटने के लिए जो बिस्तर आते हैं वह भी कैपिटल बजट के अंतर्गत आते हैं। 1985 के पश्चात विगत 36 वर्षों में केवल और केवल इस चिकित्सालय में रेवेन्यू कार्य ही हुआ अर्थात ईटा पथरा जुड़ता रहा इडापल्ली इधर से उधर होता रहा परंतु चिकित्सा अनुसंधान से संबंधित मरीजों से संबंधित मशीनों का सदैव आभारी रहा।
आज जब इस अंचल में लगातार सेवानिवृत्ति का दौर है। कोयला कामगारों की संख्या की अपेक्षा सेवानिवृत्त कामगार संख्या बल में अधिक हो रहे हैं। सेवानिवृत्ति का प्रभाव चिकित्सक एवं पैरामेडिकल स्टाफ पर भी है अस्पतालों में लगातार इनकी संख्या घट रही है। परिणाम स्वरूप यह चिकित्सालय केवल एक रिफरल सेंटर बनते जा रहे हैं। किराए की 10-15 एंबुलेंस हैं जिनमें लादकर मरीजों को बाहर रिफर कर दिया जा रहा है. जो दवाई रेट कांटेक्ट के तहत प्रिंट मूल्य से 35 से 40 परसेंट में इन चिकित्सालय को प्राप्त होती थी अर्थात आर सी मेडिसन का रेट 30 से 40 पर्सेंट हुआ करता है समय पर यह दवाइयां चिकित्सालय में उपलब्ध ना होने के कारण इन्हें हमें बाजार से खरीदने के लिए विवश होना पड़ता है. वहां पर हमें उनकी 100% राशि का भुगतान करना पड़ता है. परिणाम स्वरूप लगातार मेडिकल स्टोरों की संख्या में वृद्धि हो रही है और जो नियमित श्रमिक हैं उन्हें तो एन केन प्रकारेण बाजार से खरीदी गई दवा का मूल वापस प्राप्त हो ही जाता है परंतु समस्या सेवानिवृत्त कोयला कर्मचारियों को होने जा रही है. प्रबंधन इस प्रयास में है कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को किसी भी प्रकार की कोई भी दवाई अब चिकित्सालय से नहीं प्रदान करेगा।
सीपीआरएमएस एनी की जो योजना है अर्थात जिन श्रमिकों ने अपने वेतन से ₹40000 कटा कर इस योजना का सदस्य बना है उन्हें संपूर्ण दवाइयां बाजारों से खरीदनी होगी और बाजार में इसी दवाई का मूल्य 100% भुगतान करने के लिए बाद होना पड़ेगा।
उपरोक्त अनियमितताओं के विरुद्ध मैंने अपनी संस्था के माध्यम से एक आवाज उठाई है कि हमें बाजारों में जाने के लिए विवश मत कीजिए सेवानिवृत्त कर्मचारियों की जो भी बीमारियां हैं उनसे संबंधित इलाज इन्हीं चिकित्सालय में हो दवाइयां इन्हीं चिकित्सालय के माध्यम से प्राप्त हो जो कि हमें लगभग 40 से 45% राशि में प्राप्त हो जाएंगी।
भ्रष्टाचार का प्रमुख केंद्र इन सेवानिवृत्त कर्मचारियों के चिकित्सा के उपरांत प्रस्तुत बिलों को पास करने में हो रहा है। 40 40 वर्षों तक अपनी निष्ठा पूर्वक सेवाएं प्रदान करने वाले कोयला श्रमिकों को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है अपमानित किया जा रहा है साथ ही साथ उन्हें भ्रष्टाचार के आगोश में समाहित करने का प्रयास होता है एक खुद्दार व्यक्ति जीवन के अंतिम पड़ाव पर इन भ्रष्टाचारियों को जब तक इनकी मुट्ठी गर्म नहीं करता है यह तरह तरह से उन्हें प्रताड़ित करने का प्रयास करते हैं मैं इस समूह के माध्यम से यह विनम्र अनुरोध करता हूं कि जब संख्या बल में हम सेवानिवृत्त कर्मचारी एक बहुत बड़ी संख्या में इस अंचल में निवास कर रहे हैं तो आइए किसी भी बैनर पर हो किसी भी दल पर हो किसी भी समूह में हूं हम लोग सामूहिक रूप से अपनी बात को रखें और जीवन के अंतिम पड़ाव पर इन भ्रष्टाचारियों के प्रति हम लोग एकजुट होकर लगातार संघर्ष करने के लिए तैयार रहें।