आधुनिक युग में आज भी कई गांवों में पारंपरिक तौर पर बैलगाड़ी और बेलन से धान की होती है मिसाई बच्चे भी बेलन और बैलगाड़ी में बैठकर लेते है मजा पढ़े पूरी खबर




21वीं सदी में लोगों को कृषि कार्य में सहूलियत व प्रगति के लिए तरह के कृषि उपकरण बनाए जा रहे हैं, जिसमे समय के साथ उत्पादन में बढ़ावा मिल सके। इसके उपयोग से कृषकों को जरूर लाभ मिल रहा है, बेलन से मिसाई करने से पैरा मे पोषण युक्त होता है जो मवेशियों के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है जांजगीर अंचल में कई गांव के लोग आज भी छत्तीसगढ़ के पुराने रीत को संजोयकर परम्पराओं को जीवित रखा है जिले के ग्रामीण क्षेत्र के किसान बैलगाड़ी और बेलन से धान की मिसाई कर रहे हैं और बच्चे भी गाड़ी में मनोरंजन के रूप में खेलते रहते है।गाड़ी अर्थात एक ऐसी गाड़ी जिसे बैलों द्वारा खींचा जाता है। आज भले ही मानव ने बहुत विकास किया है और एक से एक बेहतरीन तथा तेज चाल वाली गाड़ियां आदि बनाई हैं, लेकिन बैलगाड़ी के महत्व को नहीं नकारा जा सकता। बैलगाड़ी विश्व का सबसे पुराना यातायात एवं सामान ढोने का साधन है। इसकी बनावट भी काफी सरल होती है। स्थानीय कारीगर परंपरागत रूप से इसका निर्माण करते रहे हैं। भारत में तो बैलगाड़ियां प्राचीन समय से ही प्रयोग में आने लगी थीं। भारतीय हिन्दी फिल्मों में भी बैलगाड़ी ने अपनी विशिष्ट जगह बनाई और कई यादगार गीतों का हिस्सा बनी।आधुनिक समय में मानव ने शीघ्रता के चलते तेज गतियों वाली अनेकों गाड़ियों का निर्माण किया है, फिर भी विश्व के कई भागों में बैलगाड़ियां का सफर आज भी जारी है।
अहिल्या बाई कँवर
महिला कृषक
ने कहा की आधुनिक दौर मे देखे तो महगें महगें होने के कारण खेती किसानी करने मे दिक्कत होती है आर्थिक रूप से ज्यादा नुकसान होती है जैसे बात करे को अभी हमारे घर मे पुराने परम्परागत से धान की मिसाई करते आ रहे है इससे अच्छी फायदा यह है की इसमें की जो पैरा निकलता है वह मवेशियों के स्वास्थ्य लिए लाभ दायक होता है बेलन से मिसाई करने मे खर्च बिलकुल नहीं होता बस समय ज्यादा होता है लेकिन पैसे की बचत होता इसमें सभी सदस्य मिलकर कार्य करते है अच्छा लगता है आमदनी भी बचता है
अमृत लाल कँवर कृषक
ने कहा की बेलन से मिसाई पुराने समय से करते आ रहे है आधुनिक दौर मे भी सुविधा युक्त यंत्र है लेकिन उसमे पैसा की खर्च ज्यादा होता है और ज़ब घर मे सब कुछ साधन है धान मिसाई करने के लिए तो हम क्यों ज्यादा खर्च करे बेलन से मिसाई से जो पैरा निकलता है वह जानवरो के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है जैसे देखे तो आजकल अनेक प्रकार की क़ृषि यंत्र है जिससे समय से पहले कार्य होता है लेकिन उससे नुकसान भी होता है उसमे का मिसाई से निकला हुवा पैरा को मवेशी कम खाते है और अगर खाते भी है तो बीमार पड़ने की सम्भवना होता है आज हम एक दिन मे 2एकड़ की खेत की मिसाई आसानी से कर ले रहे है जिससे हमारी पैसा की बचत हो रही है और फायदा भी हो रही है अगर इसी मिसाई को हम खेतों मे हार्वेस्टर से करे तो पैरा वही रुक जाता है फिर पैरा को लाने के लिए वाहन की ब्यवस्था करनी होती है डबल खर्च होता है और बेलन की बात करे तो घर बैठे धान मिसाई कर रहे है
शिवकुमार कंवर कृषक
ने कहा कि आधुनिकता के कारण किसानी करने में मशीनों का उपयोग अधिक होने से खर्चा भी अधिक आता है हमारा भारत कृषि प्रधान देश है एवं श्रम शक्ति वाला देश है अतः पुराने परंपरा से हमें किसानी करने में अधिक खर्च की बचत होती है आधुनिकरण के कारण मशीनों के उपयोग से पशुओं को काम में नहीं लाने पर देश की राज्य की आर्थिक स्थिति पर भी भार पड़ रहा है पशुओं के लिए चारा की व्यवस्था भी कृषकों के लिए अधिक खर्चा हो जाता है अतः हमें पशुओं को खेती किसानी में उपयोग में लाना चाहिए जिससे खेती भी अच्छी होगी और पशुओं के पोषण युक्त (चारा) आहार भी मिल सकेगा