भीलवाड़ा में बंद रहे कई निजी अस्पताल




भीलवाड़ा। शहर में कई निजी अस्पताल बंद है। इसके पीछे की वजह शनिवार को जिला प्रशासन की ओर से दो निजी अस्पतालों पर की गई कार्रवाई है। दरअसल भीलवाड़ा में ज़िला प्रशासन की ओर से शनिवार को औचक निरीक्षण के दौरान ख़ामियां पाए जाने पर दो प्राइवेट हॉस्पिटल को सीज कर दिया गया। इसके बाद से यहां विभिन्न निजी अस्पतालों के डॉक्टर और कर्मचारी नाराज है। बताया जा रहा है कि इस नाराजगी के बाद से जिला प्रशासन की ओर से लिए गए एक्शन के बाद से यहां दो निजी अस्पतालों को सीज करने की कार्यवाही ने तूल पकड लिया है। इसके बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भीलवाड़ा ईकाई और यूनाईट प्राईवेट क्लिनिक एण्ड हॉस्पीटल एसोसिएशन ने इसे जिला प्रशासन की दमनकारी नीति बताते हुए सभी प्राईवेट हॉस्पीटल को बन्द रखने काऐलान कर दिया।
प्रशासन का कहना, भविष्य में दुर्घटना से बचा जा सके, इसलिए उठे सख्त कदम
इस मामले में जिला प्रशासन की ओर जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि भविष्य में गंभीर दुर्घटनाओं से बचाव हेतु जिला प्रशासन ने एतिहातन कदम उठाते थे। विज्ञप्ति में लिखा है कि सीनियर अधिकारियों की टीम को भेजकर अस्पतालों में फायर ऑडिट, बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण, अधिकृत लेआउट प्लान के अनुसार निर्माण कार्य आदी का निरिक्षण किया था। लेकिन यहां गाइडलाइन का उल्लंघन के साथ गंभीर खामियां मिलने पर जन सुरक्षा एंव लोक स्वास्थ्य के दृष्टिगत स्वास्तिक हॉस्पीटल और सिद्धी विनायक हॉस्पीटल को सीज किया गया है।
एसोसिएशन का आरोप, राशन की दुकान की तरह बंद करवाए अस्पताल
इधर इस मामले पर भीलवाड़ा मेडिकल एसोसिएशन के सचिव डॉक्टर नाथावत ने कहा कि औचक निरिक्षण के नाम पर भीलवाड़ा के दो प्राईवेट हॉस्पीटल को ऐसे सील किया जैसे राशन की दुकान को सील किया जाता है। ऐसे आदेश दिये गये कि हॉस्पीटल में कोई भर्ती नहीं करेंगे। हम इस चीज से आहत है और बहुत डर हुए है कि आखिर ऐसा क्या हुआ। नाथावत ने आगे कहा कि हम जिला प्रशासन से कहना चाहते है कि सीज किये गये हॉस्पीटलों को तुंरत खोला जाये और उन्हें किसी भी प्रकार की खामी तो उसे पूरा करने के लिए समय दिया जाये, जो समय पर खामियों को दूर नहीं करता उसके खिलाफ एक्शन लिया जाये।
मरीजों को हुई परेशानियां
मिली जानकारी के अनुसार भीलवाड़ा जिले में प्राइवेट हॉस्पीटल्स के डॉक्टरों की नाराजगी के बाद मरीजों को भी रविवार को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। अस्पतालों में डॉक्टरों को दिखाने पहुंचे कई लोगों को यहां डॉक्टरों की किल्लत से जूझना पड़ा। वहीं अस्पताल - जिला प्रशासन के लड़ाई के बीच चिकित्सा व्यवस्था चरमारती दिखी, जिसका सीधा असर बीमार लोगों और उनके परिजनों पर पड़ा।