अंर्तराष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस का इतिहास और इसके महत्व के बारे में जानते है डॉ सुमित्रा से...




अंर्तराष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस का इतिहास और इसके महत्व के बारे में जानते है डॉ सुमित्रा से
डॉ सुमित्रा अग्रवाल
आर्टिफीसियल ऑय को
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अंर्तराष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस (३० अगस्त)का इतिहास, महत्व
नया भारत डेस्क : प्रत्येक वर्ष ३० अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस मनाया जाता है। यह दिवस लघु उद्योगों को बढ़ावा देने और बेरोज़गारों को रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मनाया जाता है। भारत जैसे विकासशील देश में आर्थिक विकास के लिए लघु उद्योगों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। भारत के समग्र आर्थिक विकास में कार्यनीति महत्त्व को ध्यान में रखते हुए लघु उद्योग क्षेत्र के विकास के लिए आवश्यकता पर विशेष बल दिया गया है। तदनुसार लघु उद्योगों के लिए सरकार से नीति समर्थन की प्रवृत्ति लघु उद्यम वर्ग के विकास हेतु सहायक और अनुकूल रही है।
अंतर्राष्ट्रीय लघु उद्योग को मनाने के मुख्य उद्देश्य
लघु उद्योगों का मुख्य उद्देश्य रोजगार के अवसरों में वृद्धि करते हुए बेरोजगारी एवं अर्ध बेरोजगारी की समस्या का समाधान करना है क्योंकि लघु उद्यमों के श्रम प्रधान होने के कारण उनमें विनियुक्त पूंजी की इकाई अपेक्षाकृत अधिक रोजगार कायम रखती है।
• दूसरा मुख्य उद्देश्य आर्थिक शक्ति का समान वितरण करना है। कुटीर व लघु उद्योगों से आर्थिक सत्ता का विक्रेन्द्रीयकरण होता है।
• लघु उद्योगों के माध्यम से औद्योगिक विक्रेन्द्रीयकरण सम्भव है। इससे देश का आर्थिक विकास प्रौद्योगिक सन्तुलन एवं क्षेत्रीय प्रौद्योगिक विषमता को कम करते हुए सम्भव होता है।
• श्रम प्रधान तकनीक के कारण श्रमिकों की बहुतायत रहती है। अतः आवश्यक है कि वे औद्योगिक शांति की स्थापना करें।
• लघु उद्योगों के माध्यम से देश की सभ्यता एवं संस्कृति सुरक्षित रहती है। अधिकाशतः लधु उद्योगों द्वारा कलात्मक एवं परम्परागत वस्तुओं का निमार्ण किया जाता है एवं अधिकांशतः ये उद्योग श्रम प्रधान तकनीक पर आधारित होते है जिससे उद्योगों में पारस्परिक सद्भावना सहकारिता, समानता एवं भ्रातृत्व की भावना को बल मिलता है।
• लघु उद्योगों का मुख्य उद्देश्य है कि वे प्राकृतिक साधानों का अनुकूलतम उपयोग करें।
• मानवीय मूल्यों की दृष्टि से "सादा जीवन उच्च विचार" की भावना का सृजन करें।
• व्यापार संतुलन एवं भुगतान संतुलन को अनुकूल बनाने हेतु आवश्यक है कि ये अत्याधिक विदेशी मुद्रा का अर्जन करें।
• आम जनता को श्रेष्ठ वस्तुएं उपलब्ध कराना इनका मुख्य उद्देश्य है।
• भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए इनका उद्देश्य अधिक से अधिक श्रेष्ठ उत्पादन करना है।
अन्य विवरण
लघु उद्योग की परिभाषा :
लघु उद्योग वे उद्योग हैं, जो छोटे पैमाने पर किये जाते हैं तथा सामान्य रूप से मज़दूरों व श्रमिकों की सहायता से मुख्य धन्धे के रूप में चलाए जाते हैं। वे उद्योग जिनमें 10 से 50 लोग मज़दूरी के बदले में काम करते हों, लघु उद्योग के अंतर्गत आते हैं। लघु उद्योग एक औद्योगिक उपक्रम हैं, जिसमें निवेश संयंत्र एवं मशीनरी में नियत परिसंपत्ति होती है। यह निवेश सीमा सरकार द्वारा समय-समय पर बदलता रहता है। लघु उद्योग में माल बाहर से मंगाया जाता है और तकनीकी कुशलता को भी बाहर से प्राप्त किया जा सकता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में उद्योग का योगदान :
लघु उद्योग एवं कुटीर उद्योग का भारतीय अर्थव्यवस्था में अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। प्राचीन काल से ही भारत के लघु व कुटीर उद्योगों में उत्तम गुणवत्ता वाली वस्तुओं का उत्पादन होता रहा है। यद्यपि ब्रिटिश शासन में अन्य भारतीय उद्योगों के समान इस क्षेत्र का भी भारी ह्रास हुआ, परंतु स्वतंत्रता के पश्चात इसका अत्यधिक तीव्र गति से विकास हुआ है।
राष्ट्रीय लघु उद्योगों के लिए नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई ऋण योजनाएं :
भारत के प्रधान मंत्री, नरेंद्र मोदी ने लघु उद्योग क्षेत्र के लिए छह ऋण योजनाओं को लागू किया है। वे राष्ट्र में प्रति व्यक्ति आय और संसाधन उपयोग में भी मदद करते हैं। प्रस्तुत की गई छह ऋण योजनाएँ नीचे दी गई हैं :-
• 59 मिनट में MSME बिजनेस लोन
• मुद्रा ऋण
• सूक्ष्म और लघु उद्यम के लिए क्रेडिट गारंटी फंड योजना
• राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम सब्सिडी
• प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए क्रेडिट लिंक कैपिटल सब्सिडी रणनीति
• एक वैकल्पिक - उधार कर्ता से त्वरित व्यापार ऋण
भारत में लघु उद्योगों की संख्या :
लघु उद्योगों में, विनिर्माण उद्योगों ने कच्चे माल की प्राकृतिक आपूर्ति और सार्वजनिक रूप से बढ़ती मांग के कारण तेजी से विकास किया है, भारत में 21 प्रमुख लघु उद्योग हैं और 7500 से अधिक उत्पाद विनिर्माण हैं। उनमें से कुछ नीचे सूचीबद्ध हैं:
1. सूती वस्त्र
2. इलेक्ट्रिकल और मशीनरी पार्ट्स
3. खाद्य उत्पाद
4. रासायनिक उत्पाद
5. रबर और प्लास्टिक उत्पाद
6. धातु उत्पाद
7. काष्ठ उत्पाद
8. कागज उत्पाद और मुद्रण
9. चमड़ा और चमड़ा उत्पाद
10. पेय पदार्थ और तम्बाकू
लघु उद्योग मंत्रालय :
लघु उद्योग मंत्रालय भारत में लघु उद्योगों की वृद्धि और विकास के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है। लघु उद्योगों का संवर्धन करने के लिए मंत्रालय नीतियाँ बनाता है और उन्हें क्रियान्वित करता है व उनकी प्रतिस्पर्धा बढ़ाता है। इसकी सहायता विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम करते हैं, जैसे:-
1. लघु उद्योग विकास संगठन" (एसआईडीओ) अपनी नीति का निर्माण करने और कार्यान्वयन का पर्यवेक्षण करने, कार्यक्रम, परियोजना, योजनाएं बनाने में सरकार को सहायता करने वाला शीर्ष निकाय है।
2. राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड" (एनएसआईसी) की स्थापना "भारत सरकार" द्वारा देश में लघु उद्योगों का संवर्धन, सहायता और पोषण करने की दृष्टि से की गई थी, जिसका संकेन्द्रण उनके कार्यों के वाणिज्यिक पहलुओं पर था।
3. मंत्रालय ने तीन राष्ट्रीय उद्यम विकास संस्थानों की स्थापना की है, जो प्रशिक्षण केन्द्र, उपक्रम अनुसंधान और लघु उद्योग के क्षेत्र में उद्यम विकास के लिए प्रशिक्षण और परामर्श सेवाएं में लगे हुए हैं। ये इस प्रकार हैं:-
• हैदराबाद में "राष्ट्रीय लघु उद्योग विस्तार प्रशिक्षण संस्थान" (एनआईएसआईईटी)
• नोएडा में "राष्ट्रीय उद्यम एवं लघु व्यवसाय विकास संस्थान" (एनआईईएसबीयूडी)
• गुवाहाटी में "भारतीय उद्यम संस्थान" (आईआईई)