राष्ट्रपति चुनाव BIG NEWS : यशवंत सिन्हा होंगे विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार...19 दलों की सहमति, 27 जून को करेंगे नामांकन दाखिल…जानिये कौन हैं यशवंत सिन्हा, जिन्हें विपक्ष ने बनाया उम्मीदवार…
India Presidential election Yashwant Sinha will be the opposition's presidential candidate पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार होंगे। Yashwant Sinha will be the opposition's presidential candidate... 19 parties agree, will file nomination on June 27




India Presidential election Yashwant Sinha will be the opposition's presidential candidate
नई दिल्ली 21 जून 2022। पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार होंगे। यशवंत सिन्हा अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार में वित्त मंत्री और विदेश मंत्री का कार्यभार संभाल चुके हैं। यशवंत सिन्हा ने 2018 में बीजेपी को छोड़ा था, वे अब तृणमूल कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं।
आज विपक्षी दलों की बैठक में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम पर मुहर लगी। बैठक में जयराम रमेश, सुधींद्र कुलकर्णी, दीपांकर भट्टाचार्य, शरद पवार, डी राजा, तिरूचि शिवा, प्रफुल्ल पटेल, सीताराम येचुरी, एनके प्रेमचंद्रन, मनोज झा, मल्लिकार्जुन खड़गे, रणदीप सूरजेवाला, हसनैन मसूदी, अभिषेक बनर्जी और रामगोपाल यादव मौजूद थे।(India Presidential election Yashwant Sinha will be the opposition's presidential candidate)
जानिये कौन हैं यशवंत सिन्हा जो बने हैं राष्ट्रपति के उम्मीदवार
यशवंत सिन्हा का जन्म जन्म: 6 नवम्बर 1937 को पटना में हुआ था। वो एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भाजपा के शीर्ष नेता रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा मौजूदा समय में तृणमूल कांग्रेस के नेता है। यशवंत सिन्हा देश के पूर्व वित्त मंत्री रहने के साथ-साथ अटल बिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल में में विदेश मंत्री भी रह चुके हैं। बिहार के पटना के एक कायस्थ परिवार मे जन्मे और शिक्षित हुए सिन्हा ने 1958 में राजनीति शास्त्र में अपनी मास्टर्स (स्नातकोत्तर) डिग्री प्राप्त की। (India Presidential election Yashwant Sinha will be the opposition's presidential candidate)
इसके उपरांत उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से में 1960 तक इसी विषय की शिक्षा दी। उन्होंने यह कहते हुए भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया कि वे 2009 के आम चुनावों में हार के पश्चात् पार्टी द्वारा की गई कार्रवाई से असंतुष्ट थे। यशवंत सिन्हा 1960 में IAS बने। अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्त्वपूर्ण पदों पर असीन रहते हुए और 24 साल से अधिक साल तक अलग-अलग जगहों पर पदस्थ रहे। 4 वर्षों तक उन्होंने सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट के रूप में सेवा की।
बिहार सरकार के वित्त मंत्रालय में 2 वर्षों तक अवर सचिव तथा उप सचिव रहने के बाद उन्होंने बिहार सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव के रूप में कार्य किया। 1971 से 1973 के बीच उन्होंने बॉन, जर्मनी के भारतीय दूतावास में प्रथम सचिव (वाणिज्यिक) के रूप में कार्य किया था। इसके पश्चात उन्होंने 1973 से 1974 के बीच फ्रैंकफर्ट में भारत के कौंसुल जनरल के रूप में काम किया। इस क्षेत्र में लगभग सात साल काम करने के बाद उन्होंने विदेशी व्यापार और यूरोपीय आर्थिक समुदाय के साथ देश के संबंधों के क्षेत्र में अनुभव प्राप्त किया।(India Presidential election Yashwant Sinha will be the opposition's presidential candidate)
तत्पश्चात उन्होंने बिहार सरकार के औद्योगिक आधारभूत सुविधाओं के विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर) तथा भारत सरकार के उद्योग मंत्रालय में काम किया जहां वे विदेशी औद्योगिक सहयोग, प्रौद्योगिकी के आयात, बौद्धिक संपदा अधिकारों और औद्योगिक स्वीकृति के मामलों के लिए जिम्मेदार थे। 1980 से 1984 के बीच भारत सरकार के भूतल परिवहन मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में सड़क परिवहन, बंदरगाह और जहाजरानी (शिपिंग) उनके प्रमुख दायित्वों में शामिल थे। यशवंत सिन्हा ने 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया और जनता पार्टी के सदस्य के रूप में सक्रिय राजनीति से जुड़ गए। 1986 में उनको पार्टी का अखिल भारतीय महासचिव नियुक्त किया गया और 1988 में उन्हें राज्यसभा का सदस्य चुना गया।1989 में जनता दल के गठन होने के बाद उनको पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया। (India Presidential election Yashwant Sinha will be the opposition's presidential candidate)
उन्होंने चन्द्र शेखर के मंत्रिमंडल में नवंबर 1990 से जून 1991 तक वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया।जून 1996 में वे भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने। मार्च 1998 में उनको वित्त मंत्री नियुक्त किया गया। उस दिन से लेकर 22 मई 2004 तक संसदीय चुनावों के बाद नई सरकार के गठन तक वे विदेश मंत्री रहे। उन्होंने लोकसभा में हजारीबाग निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। हालांकि, 2004 के चुनाव में हजारीबाग सीट से यशवंत सिन्हा की हार को एक विस्मयकारी घटना माना जाता है। उन्होंने 2005 में फिर से संसद में प्रवेश किया। 13 जून 2009 को उन्होंने भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।(India Presidential election Yashwant Sinha will be the opposition's presidential candidate)