छह माह में लगभग 80 लाख रुपये के नकली रेलवे ई- टिकट बेच चुका है आरोपी सॉफ्टवेयर के जरिये मुख्य सरगना को ( RPF) ने किया अरेस्ट।
In six months, fake railway e-tickets worth about Rs 80 lakh have been sold, the main gangster (RPF) has been arrested through the accused software.




NBL,. 14/03/2022, Lokeshwer Prasad Verma,.. दादरी यूपी - सॉफ्टवेयर के जरिये अलग-अलग यूजर आईडी बनाकर देशभर में रेलवे के नकली ई-टिकट बनाकर बेचने वाले गिरोह के सरगना को रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने गिरफ्तार किया है। छह माह में लगभग 80 लाख रुपये के नकली टिकट आरोपी बेच चुका है, पढ़े विस्तार से...। In six months, fake railway e-tickets worth about Rs 80 lakh have been sold, the main gangster (RPF) has been arrested through the accused software.
इसका खुलासा आरोपी के बैंक खाते के ट्रांजेक्शन से हुआ है। आरोपी के कब्जे से 17 आईडी, 40 नकली ई-टिकट और तीन हजार रुपये बरामद हुए हैं। हाल ही में आरपीएफ ने दादरी में एक साइबर कैफे संचालक समेत दो आरोपियों को गिरफ्तार कर इस अवैध कारोबार का खुलासा किया था, लेकिन सॉफ्टवेयर तैयार कर कई लोगों को अलग-अलग यूजर आईडी बनाकर अवैध कारोबार कराने वाला सरगना फरार था।
आरपीएफ के प्रभारी निरीक्षक एसके वर्मा ने बताया कि हेडक्वार्टर के साइबर सेल से मिली सूचना के बाद रेल की नकली ई-टिकटों के अवैध कारोबार का खुलासा 20 दिसंबर को एक साइबर कैफे संचालक की गिरफ्तारी के बाद हुआ था। आरोपी से पूछताछ के बाद 22 फरवरी को सूरजपुर में साइबर कैफे व फुटवियर की दुकान से नकली ई-टिकट बरामद कर एक और आरोपी को गिरफ्तार किया गया था, जबकि, सरगना राकेश कुमार फरार हो गया था। आरपीएफ उसकी तलाश में जुटी थी।
राकेश ने सॉफ्टवेयर तैयार कर रेलवे की नकली ई-टिकट बनाने कारोबार शुरू किया था और कई लोगों को जोड़कर मोटी कमाई कर रहा था। सभी को आरोपी ने नकली ई-टिकट बनाने के लिए अलग-अलग यूजर आईडी दी थी। आरोपी छह माह में कई यूजर आईडी से 80 लाख के ई-टिकट बेच चुका है। रुपये आरोपी के बैंक खाते में पहुंचते थे। राकेश को आरपीएफ ने सूरजपुर स्थित लखनावली मोड़ से गिरफ्तार किया है। नकली ई-टिकट का कारोबार करने वाले अन्य लोगों को आरपीएफ तलाश रही है।
स्नातक आरोपी ने पटना में सीखा सॉफ्टवेयर तैयार करना
आरपीएफ के मुताबिक, राकेश कुमार स्नातक है और मूलरूप से बिहार का रहने वाला है। आरोपी ने पढ़ाई के बाद पटना में सॉफ्टवेयर तैयार करना सीखा था, लेकिन आरोपी ने इस गुर को अच्छे काम में लगाने की जगह अवैध कारोबार में लगा दिया। आरोपी ने दिल्ली में कुछ दिन तक किसी साइबर कैफे में काम किया था। यहां से बिहार-बंगाल व अन्य स्थान पर जाने वाले लोग ऑनलाइन रेल टिकट बुक करवाते थे। इस दौरान आरोपी ने रेलवे की वेबसाइट देखकर सॉफ्टवेयर की मदद से फर्जी ई-रेलवे टिकट बनाना सीख लिया था।
टेलीग्राम चैनल के जरिये लोगों को जोड़ता था
आरपीएफ अधिकारियों के मुताबिक, अन्य यूजर को पूरे फर्जीवाड़े की सही जानकारी नहीं है। वह राकेश को रेलवे का अधिकारिक एजेंट समझकर उससे जुड़ जाते थे। राकेश टेलीग्राम चैनल के जरिये लोगों को ई-टिकट का कारोबार करने के लिए जोड़ता था। आरोपी लगभग 43 लोगों को इसी तरह जोड़कर नकली ई-टिकट बेच रहा था।
यात्रा में विवाद के बाद शुरू हुई थी जांच
आरोपी रेलवे की वेबसाइट देखकर खाली सीट की नकली ई-टिकट बेचता था जो असली लगती थी। ऐसे में यात्रा के दौरान रेलवे के टिकट चेकर भी पहचान नहीं पाते थे, लेकिन कई बार रेलवे की ओर से अधिकारिक रूप से उसी सीट की टिकट बिकने के बाद यात्रियों में विवाद के मामले सामने आने लगे थे। जब टिकटों की जांच की गई तो नकली ई-टिकट के फर्जीवाड़े का खुलासा हो गया और आरपीएफ आरोपियों की तलाश में जुट गई थी।