यदि भारत के सभी सनातनी हिन्दू अपनी मातृभूमि को अन्य देशों में हो रहे गृहयुद्धों की तरह विनाश से बचाना चाहते हैं तो उन्हें घर-घर जाकर हिन्दुओं को संगठित करने का अभियान चलाना चाहिए, फिर भारत को कौन तोड़ सकता है?

If all the Sanatani Hindus of India want to save

यदि भारत के सभी सनातनी हिन्दू अपनी मातृभूमि को अन्य देशों में हो रहे गृहयुद्धों की तरह विनाश से बचाना चाहते हैं तो उन्हें घर-घर जाकर हिन्दुओं को संगठित करने का अभियान चलाना चाहिए, फिर भारत को कौन तोड़ सकता है?
यदि भारत के सभी सनातनी हिन्दू अपनी मातृभूमि को अन्य देशों में हो रहे गृहयुद्धों की तरह विनाश से बचाना चाहते हैं तो उन्हें घर-घर जाकर हिन्दुओं को संगठित करने का अभियान चलाना चाहिए, फिर भारत को कौन तोड़ सकता है?

NBL, 09/08/2024, Lokeshwar Prasad Verma Raipur CG: If all the Sanatani Hindus of India want to save their motherland from destruction like the civil wars happening in other countries, then they should go door-to-door and run a campaign to organize Hindus, then who can break India? पढ़े विस्तार से..... 

नए भारत की नई आवाज बनकर सनातनी हिंदुओं को एक मुहिम चलानी चाहिए, हिंदुस्तान बचाओ, अपने हिंदुओं को बचाओ, मेरे हिंदुस्तान के सभी सनातनी हिंदुओं, फिर देखना आपके हिंदुस्तान को कौन तोड़ सकता है; आपकी कमजोरियों का फायदा उठाने वालों को करारा जवाब दो कि हम हिंदुस्तान के सनातनी हिंदू धर्म के लोग अब झुकेंगे नहीं, ना ही अपनी भारत माता का शीश झुकने देंगे; अब हम भारत में जयचंद जैसे गद्दार हिंदुओं का बहिष्कार करेंगे जो भारत की धरती का खाते हैं और भारत की धरती को नुकसान पहुंचाने की बात करते हैं, चाहे वो किसी भी क्षेत्र में लगे हों, लेकिन जयचंद जैसे गद्दारों को भारत से उखाड़ फेंकना है। नया भारत दुनिया के लिए शांति का प्रतीक बने और ये सब आप सनातनी हिंदू ही कर सकते हैं, बिना किसी लड़ाई झगड़े के।

हमें भारत की धर्मनिरपेक्षता में जाने की जरूरत नहीं है। मुसलमान और ईसाई क्या कर रहे हैं? उन्हें बुरे काम करने से डरना चाहिए क्योंकि भारत का शासन और प्रशासन हम सनातनी हिंदुओं की एकता से ही चलेगा। भारत की सरकार हम हिंदुओं के बल पर बननी चाहिए जो देश को उन्नति और मजबूती की ओर ले जाने में सक्षम हैं। हिंदुओं की रक्षा की बात करने वाली सरकार को धर्मनिरपेक्षता के नाम पर राजनीति नहीं करनी चाहिए और भारत के निर्दोष हिंदुओं का नरसंहार देश में बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए। हम हिंदुओं की बहन बेटियों और बहुओं की इज्जत लुटती रहे और उस राक्षस को राजनीतिक संरक्षण मिलता रहे इसीलिए भारत के सनातनी हिंदुओं को अपनी एकता से अपनी संस्कृति और सभ्यता दोनों को बचाना होगा। अब खंडित भारत नहीं बल्कि अखंड हिंदू राष्ट्र भारत होना चाहिए और यह अखंड हिंदू राष्ट्र भारत सभी सनातनी हिंदुओं की एकता से ही बनेगा इसलिए भारत में हिंदू एकता अभियान शुरू करें और भारत को हिंदू राष्ट्र बनाएं भारत की सरकार हम हिंदुओं की होनी चाहिए।

भारत में हिंदू एकता हिंदू की गरीबी हटाओ अभियान लागू करें। हम सभी मिलकर हमारे गरीब हिंदू परिवारों की मदद करें। देश के हर मोहल्ले में हिंदू संगठन के कार्यालय बनाएं। उस क्षेत्र के गरीब हिंदू परिवारों का सर्वेक्षण करें। उनकी वर्तमान स्थिति का आकलन करें। उनके सहयोग के लिए उस क्षेत्र के सभी अमीर हिंदू परिवारों को धन दान करके यथासंभव उनकी मदद करनी चाहिए। और फिर उस दान से एकत्र धन से उन गरीब हिंदू परिवारों की मदद करें। इससे पूरे भारत में हिंदुओं की एकता को बल मिलेगा और अपने धर्म के प्रति उनकी श्रद्धा बरकरार रहेगी और वे धर्मांतरण की दिशा में नहीं जाएंगे। और इस तरह भारत के हिंदू किसान से लेकर जवान तक आत्महत्या करने से बच जाएंगे, क्योंकि हम सभी हिंदुओं के सहयोग से हमारे हिंदू भाई-बहन कर्ज से मुक्त होंगे। इसके लिए हिंदुओं की संगठनात्मक ताकत होना बहुत जरूरी है।

भारत में सभी हिंदुओं की एकता को मजबूत करने के लिए, भारत में हिंदुओं के पास बड़ी-बड़ी संस्थाएं हैं जो गरीब परिवारों को शिक्षा, स्वास्थ्य और सहायता प्रदान कर सकती हैं। और उस संस्था से डॉक्टर, इंजीनियर, बैरिस्टर, राजनेता, अभिनेता और उच्च श्रेणी के किसान तैयार किए जा सकते हैं और साथ ही उच्च शिक्षा देकर हिंदुओं को सभी क्षेत्रों में मजबूत किया जा सकता है। आइए अभियान चलाएं। मैं मानता हूं कि यह बहुत कठिन है लेकिन असंभव नहीं है। जो लोग अच्छी सोच रखते हैं वे अपने हिंदुओं के लिए, अपने हिंदू धर्म और समाज के लिए ये सभी सुविधाएं प्रदान कर सकते हैं।जब वे अपने पुण्य के लिए मंदिरों के दान पेटी में करोड़ों रुपये दान कर सकते हैं, तो वे गरीब हिंदुओं के उद्धार के लिए ऐसा क्यों नहीं कर सकते, जिनके दान से उस गरीब हिंदू परिवार के लोग सुख और शांति से रह सकते हैं और वे उन्हें दिल से आशीर्वाद दे सकते हैं।

बार-बार देश के अन्य धर्मों के लोग कहते हैं कि भारत के हिंदू अपने देवी-देवताओं के मंदिरों में करोड़ों रुपए दान करते हैं, भारत का हर मंदिर करोड़ों रुपए का है, तो फिर हम उन्हीं पैसों से करोड़ों हिंदुओं को डॉक्टर, इंजीनियर, बैरिस्टर, वैज्ञानिक क्यों नहीं बना सकते, जो देश के लिए अच्छा है, हमारे हिंदू धर्म के लिए अच्छा है, इसलिए अब गरीब हिंदुओं को उचित दान दें ताकि वे भी मजबूत बनें और उन्हें डॉक्टर, इंजीनियर बनाने के लिए दान करें ताकि वे भविष्य में भी दान कर सकें। जब पाकिस्तान आतंकवादी पैदा कर सकता है, तो हम हिंदू धर्म के लोग आईपीएस आईएएस क्यों नहीं पैदा कर सकते जो देश को आगे ले जाएं और देश को मजबूत करें। हमारे हिंदू धर्म के सभी मंदिरों में एक दान पेटी रखने पर जोर दें जिसका उपयोग हिंदुओं के हित में किया जा सके।

कौन कहता है कि लड़ने वाले जीतते हैं, जीत शांति से भी हासिल की जा सकती है, बस अपने आप में मजबूत रहो, आज दुनिया के देशों में युद्ध चल रहे हैं, कत्लेआम हो रहे हैं, लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है, चारों तरफ अराजकता है और इस युद्ध की मुख्य जड़ वह बल और जमीन है जो वहां की राजनीति करने वाले राजनेताओं ने अपनी शक्ति को मजबूत करने और अपनी सीमाओं का विस्तार करने के लिए बनाई है, वे अपनी ही मासूम जाति और धर्म के लोगों पर अत्याचारी बन गए हैं और उन्हें बम के हवाले कर रहे हैं, मानो आम लोगों की जान की कोई कीमत नहीं है और राजनेताओं की जान की कीमत है। 

ऐसे सत्ता के भूखे राजनेताओं की वजह से ही देश में अराजकता फैलती है और शांति से रहने वाले आम लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त होता है, इसीलिए हम भारतीय सनातनी हिंदू अपने बहुमत से भारत में ऐसी सरकार बनाते रहेंगे जो भारत के हिंदुओं की रक्षा करेगी और यहां के अन्य धर्मों के लोगों की भी रक्षा करेगी, उन्हें अन्य गलत काम करने से रोकेगी और भारत में शांति स्थापित करेगी, हम भारतीय सनातनी हिंदुओं को हमेशा ऐसी सरकार बनानी होगी। वर्तमान में भारत में प्रधानमंत्री मोदी और उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी जैसे मजबूत हिंदू राष्ट्रवादी नेताओं केे जैसे राजनेता जो शांति ला सकें और गुंडों और बदमाशों के जीवन में अशांति भी ला सकें, जो अपराध करने वालों को दंडित कर सकें और देश के लोकतंत्र में शांति ला सकें। 

* भारत में शांति का प्रतीक किससे जाना जाता है? असली शांति कहाँ मिलती है?... 

अगर किसी व्यक्ति से एक छोटा सा सवाल पूछा जाए कि खुश रहने के लिए तुम्हें क्या चाहिए?  ऐसे में ज्य़ादातर लोगों का यही जवाब होता है कि अच्छी सैलरी वाली जॉब, आधुनिक सुख-सुविधाओं से युक्त आलीशान बंगला, महंगी गाड़ी, हर साल छुट्टियों में विदेश यात्रा। अनगिनत भौतिक आकांक्षाओं की लंबी सूची...। सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि ऐसी तमाम सुविधाएं हासिल कर चुके लोग भी अपने जीवन से संतुष्ट नज़र नहीं आते। एयरकंडीशंड कमरों में भी लोगों को नींद नहीं आती। यहां तक कि स्कूली बच्चों में भी डिप्रेशन जैसी गंभीर मनोवैज्ञानिक समस्याओं के लक्षण नज़र आने लगे हैं। मोबाइल और इंटरनेट के साथ दिन-रात व्यस्त रहने वाले बच्चे घर से बाहर पार्क में जाकर खेलना-कूदना भूल चुके हैं। जंक फूड के नियमित सेवन और शारीरिक निष्क्रियता की वजह से बच्चों में ओबेसिटी तेज़ी से बढ़ती जा रही है। विडियो गेम्स बच्चों को धैर्यहीन और हिंसक बना रहे हैं। आज की युवा पीढ़ी ज्य़ादा से ज्य़ादा पैसे कमाने में व्यस्त है। उसके पास अपने घर-परिवार और बच्चों के लिए ज़रा भी समय नहीं है। लोग इंटरनेट पर अजनबियों से घंटों चैटिंग करते हैं, पर उनके पास अपने परिवार के सदस्यों का हाल पूछने की भी फुर्सत नहीं होती।

हमारे धर्मग्रंथों में काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह को बड़ी मानवीय दुर्बलता की श्रेणी में रखा गया है। ज्य़ादातर लोग ऐसी कामनाओं से प्रेरित होकर अपने जीवन को दुखमय बना लेते हैं। ज्य़ादा सुख-समृद्धि हासिल करने की होड़ परिवार और समाज में अशांति की सबसे बड़ी वजह है। सब कुछ हासिल कर लेने के बाद भी लोग कुछ और ज्य़ादा पाने के लोभ में एक-दूसरे से छीना-झपटी कर रहे हैं। ऐसी ही मानसिकता की वजह से देश बंटते हैं और युद्ध होते हैं। चाहे देश हो या समाज, चारों ओर घोर निराशा और असुरक्षा का माहौल है। यही भावना लोगों को दूसरों से लडऩे के लिए उकसाती है। आज सभी देश यही तर्क देते हैं कि वे अपनी सुरक्षा के लिए हथियार जमा कर रहे हैं और सत्ता की लोलुपता की वजह से पूरी दुनिया में अशांति फैला रहे हैं। सच्चाई तो यह है कि विश्व के सभी धर्म मानवता के प्रति करुणा और प्रेम का पाठ पढ़ाते हैं, लेकिन राजनैतिक स्वार्थ सिद्धि के लिए युद्ध के नाम पर किया जाने वाला नरसंहार हर धर्म को आहत करता है।

लोगों की सहनशक्ति इतनी कमज़ोर हो गई है कि अपनी इच्छा के विरुद्ध कोई भी बात सुनते ही लोगों का गुस्सा फूट पड़ता है। क्रोध मेंं पागल व्यक्ति अपने-पराए का फर्क भूलकर हिंसक व्यवहार पर उतर आता है। छोटी-छोटी नाकामियों की वजह से लोग हताशा के शिकार हो जाते हैं। अथर्ववेद में लिखा गया है, 'धन और भवन संपत्ति नहीं हैं, आत्मा के लिए धन बटोरो, आध्यात्मिक ज्ञान ही असली धन है। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि आज हर इंसान धन-संग्रह में जुटा है। वह जितना अधिक धन संचय करता है, उतना ही अधिक उसका अहंकार बढ़ता जाता है। ऐसे लोग अपनी समस्त बुराइयों के लिए समाज और देश को जि़म्मेदार ठहराते हैं, जो कि सर्वथा अनुचित है।

ऐसा करने वाले लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारे इसी समाज में कई ऐसे लोग भी मौज़ूद हैं, जो कठिन से कठिन हालात में भी ईमानदारी और सच्चाई का रास्ता नहीं छोड़ते। इनसे सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। देश की व्यवस्था पर उंगली उठाने से पहले हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारा यह देश और समाज भी हमारे जैसे ही लोगों से मिल कर बना है। भारतीय समाज आज एक ऐसे नाज़ुक दौर से गुज़र रहा है, जहां हर इंसान को अपना अंतर्मन टटोलते हुए खुद से यह सवाल पूछना बहुत ज़रूरी है कि हम कहां जा रहे हैं? हमारे जीवन का लक्ष्य क्या है? क्या हम अपने कर्तव्यों का निर्वाह ईमानदारी से कर रहे हैं? बच्चों को हम कैसे संस्कार दे रहे हैं? सच्ची खुशी हमें कैसे हासिल होगी? अब ऐसे ही सवालों के साथ आत्ममंथन करने का सही समय आ गया है।

ज्य़ादातर लोग प्रभुता, प्रसिद्धि और दौलत के पीछे भाग रहे हैं। अव सवाल यह उठता है कि इससे मुक्ति कैसे हासिल हो? एक संतुलित, प्रफुल्ल और सकारात्मक जीवन के लिए धर्म की राह पर चलना आवश्यक है। जाति, वर्ण और संप्रदाय जैसे भेदभाव दीमक की तरह समाज को खोखला कर रहे हैं। धर्म को किसी एक संप्रदाय से जोडऩा गलत है। धर्म संपूर्ण ब्रह्मांड को समरसता, प्रेम और मैत्री सिखाता है। सच्चा धार्मिक व्यक्ति जीवन के प्रति सकारात्मक सोच रखता है। उसके लिए सब कुछ अच्छा है क्योंकि वह ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास करता है। जो यह नहीं मानता वह सदा दुखी और परेशान रहता है।

प्रार्थना स्वर्ग की कुंजी है, पर यह दरवाज़ा विश्वास से ही खुलता है। हर धर्म बुनियादी तौर पर एक सी मान्यताएं रखता है। केवल स्थान और संदर्भ आदि के कारण ही विभिन्न धर्मों में मामूली-सा फर्क दिखाई देता है। धर्म और जाति के नाम पर देश में हिंसा फैलाने वाले लोग नकारात्मक सोच से भरे होते हैं और ऐसे इंसान को धार्मिक नहीं कहा जा सकता। हालांकि, ऐसे तनावपूर्ण माहौल में भी एक अच्छी बात यह है कि आज की युवा पीढ़ी में आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ रही है और वह सभी धर्मों का समान रूप से आदर करना सीख रही है। अब वह प्रार्थना की अहमियत को समझने लगी है।

यदि किसी हिंदू संगठन का कार्यालय भारत के किसी भी राज्य, जिले या गांव में हो तो बेहतर होगा कि उसमें जाति का उल्लेख न किया जाए और नाम के साथ हिंदू लिखा जाए जैसे राम हिंदू, सीता हिंदू। कोई अपनी बेटी या बेटे की शादी में अपनी जाति और गोत्र का उल्लेख कर सकता है लेकिन हिंदू संगठन के कार्यालय में नाम के साथ केवल हिंदू लिखना होगा और अपनी समस्या लिखित में देनी होगी। ऐसा उपाय करना चाहिए भारतीय सनातनी हिंदुओ को। 

यह भारतीय सनातनी हिंदू संगठन कौन बनाएगा और कब बनेगा यह भारत के करोड़ों हिंदुओं पर निर्भर करता है। कौन सा देशभक्त हिंदू अपने सनातनी हिंदुओं की रक्षा के लिए आगे आएगा? हम अपने लेख के माध्यम से जागृति का कार्य कर रहे हैं। मेरे सनातनी हिंदू भाइयों और बहनों, उठो और जागो। अब भारत माता पुकार रही है। महाकाल की बारात निकल चुकी है। हमारे साथ आओ। भ्रम में समय बर्बाद मत करो और कायर मत कहलाओ क्योंकि देश के चारों तरफ हिंदुओं के दुश्मन देश देख रहे हैं कि कब भारत के हिंदू आपस मे लड़ेंगे और कब हम सत्ता में आएंगे और हम हिंदुओं की एकता को तोड़ने के लिए चालें खेली जा रही हैं। सावधान हो जाओ, अभी भी समय है संभल जाओ वरना देखो पड़ोसी देशों में हिंदुओं के साथ क्या हो रहा है। क्या वही हाल हम भारतीयों का भी हो सकता है? मैं तुम्हें डरा नहीं रहा हूं, मैं तुम्हें चेतावनी दे रहा हूं।