संयोग या सहयोग: शिक्षामंत्री के 3 रिश्तेदारों का राज्य प्रशासनिक सेवा में चयन.... तीनों को इंटरव्यू में मिले 80 फीसदी नंबर.... गजब प्रतिभा या अजब संयोग.... मचा बवाल.... BJP ने मांगा इस्तीफा.......

संयोग या सहयोग: शिक्षामंत्री के 3 रिश्तेदारों का राज्य प्रशासनिक सेवा में चयन.... तीनों को इंटरव्यू में मिले 80 फीसदी नंबर.... गजब प्रतिभा या अजब संयोग.... मचा बवाल.... BJP ने मांगा इस्तीफा.......

जयपुर। राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले अभ्यर्थियों के अंक को आरपीएससी की ओर से जारी कर दिए गए। शिक्षा मंत्री के तीन रिश्तेदार राज्य प्रशानिक सेवा में चयनित हो गये हैं। लिस्ट में टॉपर्स से ज्यादा चर्चा प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा की पुत्रवधू, भाई गौरव और बहन प्रभा के नंबरों को लेकर है। तीनो ने आरएएस की परीक्षा उत्तीर्ण की है और तीनो को ही 80 फीसदी अंक हासिल हुए हैं। 

 

 


बीजेपी नेता का आरोप है कि गोविंद सिंह डोटसरा की पुत्रवधु प्रतिभा पुनिया, उनके भाई गौरव पुनिया और बहन प्रभा पुनिया, तीनों को राज्य प्रशासनिक सेवा के परीक्षा में समान रूप से 80-80 फीसदी अंक मिलें हैं, वहीं लिखित परीक्षा में तीनों के प्राप्तांक 50 फीसदी से कम हैं। बीजेपी नेता का कहना है कि तीनों भाई-बहनों की एक जैसी योग्यता ही मिसाल है। 

 

 


प्रतिभा को भी 2016 के इंटरव्यू में 80 फीसदी अंक ही हासिल हुए थे। सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि इससे पहले उनकी पुत्रवधू के भी 80 फीसदी ही अंक थे और अब उनके भाई और बहन के भी इतने ही अंक हैं। आखिर यह कैसा संयोग है। वहीं ऐसी चर्चाओं पर जवाब देते हुए गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि 300 से ज्यादा लोगों के नंबर 75 से 80 फीसदी के बीच है। उन्होंने कहा कि मेरी पुत्रवधू प्रतिभा से तो हमारा रिश्ता ही परीक्षा के बाद हुआ था।

 

 

शिक्षा मंत्री राजनीति गलियारों और सोशल मीडिया पर सवालों के घेरे में हैं। सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं कि 2016 में बहू के भी इंटरव्यू में 80 फीसदी नंबर थे और अब पुत्रवधू के भाई-बहनों के भी इतने ही अंक हैं। आखिर कैसा संयोग है? बहू प्रतिभा के भाई गौरव का तो दिल्ली पुलिस में भी एएसआई के पद पर चयन हो चुका है। यदि बच्चे टैलेंटेड हैं, तो फिर इसमें मेरा क्या दोष है? डोटासरा ने कहा कि राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) प्रतिभा आधारित परीक्षा है। इसमें कोई घालमेल नहीं है। अंक मुद्दा नहीं होना चाहिए।