फैक्ट्री संचालकों की लापरवाही सहन नहीं की जाएगी : पप्पू अली




धरसीवाँ
राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (इंटक) छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष पप्पू।अली ने मिडिया से बात चित करते हुए बताया की छत्तीसगढ़ की सभी फैक्ट्रियों में आग या फिर अन्य हादसों से लगातार श्रमिकों की जान जा रही है। अधिकतर मामलों में फैक्ट्री उद्योग संचालक की लापरवाही सामने आती है। फैक्ट्री में पहले भी कई बार सभी रसोई तो कभी शॉर्ट सर्किट से अगजनी की घटनाएं हुई लेकिन नजर करते रहे। इसी तरह फैक्ट्रियों में बिल्डिंग नियम अनुसार नहीं बनी है फिर भी नक्शे पास हो जाते है। श्रम विभाग के पास श्रमिकों का पुरा रिकार्ड नहीं है। सेप्टी एवं अग्निशमन डिपार्टमेंट सर्वें करते है और खामियों पर खामोश हो जाते है। हादसे होते है और मामले की जांच भी नहीं जाती है। मजदूर के परिजनों से फैक्ट्री मालिक समझौता कर लेते है या फिर बिना ठोस कार्यवाही के फ़ाइल बंद हो जाती है। पिछले 5 वर्षो में फैक्ट्री संचालकों की लापरवाही के चलते हर वर्ष औसतन कई मजदूरों की जान गई है। रायपुर जिले में करीब दो हजार के करीब उद्योग है। उनमे बीस हजार के करीब श्रमिक है। लेकिन बिना रिकार्ड के 50 हजार से अधीक श्रमिक भी है। इसके बावजूद विभिन्न रिहायशी व बाहरी क्षेत्रों में फैक्ट्रीयां चल रही है। जिला प्रशासन के पास न तो सभी फैक्ट्रियों का ही रजिस्ट्रेशन है और न ही पुरी तरह मजदूरों के कार्ड बने हुए है। फैक्ट्री संचालकों को नियम पूरे करने के लिए प्रशासन की तरफ से कभी कोई सख्ताई नहीं की जाती।
*क्या कहता है कानून*
समाजिक श्रमिक सुरक्षा योजना के तहत फैक्ट्रिय में दुर्घटना में मौत पर 5 लाख रुपए और घायल को उसके घायल होने की प्रतिशतता के आधार पर सरकार मुआवजा देती है। फैक्ट्री मालिकों भी मुआवजा देना होगा जोकि कर्मचारी की उम्र और उसकी सेलरी के हिसाब से देना होता है। इसके अलावा ईपीएफ व बीमा आदि से भी राशि उपलब्ध होती है। दुर्घटना किसी की गलती से भी हुई हो फैक्ट्रीय एक्ट के तहत जुर्माना मालिक को ही भुगतान होगी। रिहायशी क्षेत्र में कोई भी फैक्ट्री नहीं चला सकते। फैक्ट्री के लिए एनओसी होनी जरुरी है और फैक्ट्री के अंदर आग नियंत्रण संबंधी यंत्र होना जरूरी है।
*फैक्ट्री संचालकों को नियम का पालन क्या करना होता है।*
1. 80 प्रतिशत स्थानीय मजदूरों को काम पर रखा जाना होता है।
2. मजदूरों को 8 घंटा काम कराना होता है।
3. मजदूरों को सप्ताह में एक दिन छुट्टी दिया जाना होता है।
4. शासन की न्यूनतम अधिनियम 1948 के धारा के तहत अभी 429/ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी का भगतान बैंक खाता के माध्यम से दिया जाना होता है।
5. मजदूरों एवं ग्रामवासियों के स्वास्थ्य हेतु प्रतिमाह स्वास्थ्य शिविर लगाकर निशुल्क जाँच एवं इलाज कराया जाना होता है।
6. कंपनी में कार्यरत सभी मजदूरों का पी,एफ,ई,सीसी बीमा लागू किया जाना होता है।
अइसे बहुत से नियम बनाया गया है श्रम विभाग उद्योग विभाग द्वारा लेकिन कोई भी फैक्ट्री उद्योग मालिक द्वारा पालन नहीं किया जाता है।