तर्पण के विषय में जाते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से  डॉ सुमित्रा अग्रवाल...

तर्पण के विषय में जाते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से 
डॉ सुमित्रा अग्रवाल...
तर्पण के विषय में जाते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से  डॉ सुमित्रा अग्रवाल...

तर्पण के विषय में जाते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से 
डॉ सुमित्रा अग्रवाल

सिटी प्रेजिडेंट इंटरनेशनल वास्तु अकादमी
यूट्यूब वास्तु सुमित्रा
 

पितर पक्ष में तर्पण करना बहुत महत्वपूर्ण होता है।
पितर पक्ष में कैसे करे तर्पण  :

नया भारत डेस्क : स्थिति: समुद्र, नदी, या किसी पवित्र झील के किनारे बैठें। यदि आप पास के जल स्थल तक नहीं जा सके, तो आप घर में भी तर्पण कर सकते हैं।

तर्पण समान: कुशा , जल, तिल , चंदन, अक्षत , पुष्प , और दूध का उपयोग होता है तर्पण में।
विधि:

प्रारंभ में संकल्प लेना चाहिए, जिसमें व्यक्ति अपना नाम, गोत्र और अन्य विशिष्टताएं बताता है, और यह प्रकट करता है कि वह किस उद्देश्य से तर्पण कर रहा है।

अब, अपने हाथ में जल लेकर, उस जल को धरती पर छोड़ें पूर्वजों का स्मरण करते हुए तर्पण करें।

ये क्रिया विविध पूर्वजों के लिए अलग-अलग बार की जा सकती है - पिता के लिए, दादा-दादी के लिए, और अन्य पूर्वजों के लिए।

मंत्र: तर्पण करते समय कुछ विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। ॐ केशवाय नमः ॐ महादेवाय नमः ॐ गोविंदाय नमः। 

भोजन : तर्पण के बाद, ब्राह्मण को भोजन कराना भी एक परंपरा रही है। ये भोजन उन्हें संतुष्टि प्रदान करता है । 

दान : पितर पक्ष में दान करना भी महत्वपूर्ण माना जाता है। आम तौर पर तिल, कपड़ा, अन्न और दक्षिणा दी जाती है।