महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा असुरक्षित शहर दिल्ली है जानते है डॉ सुमित्रा से  नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा २०२१  के आंकड़ो को...

महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा असुरक्षित शहर दिल्ली है जानते है डॉ सुमित्रा से  नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा २०२१  के आंकड़ो को...
महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा असुरक्षित शहर दिल्ली है जानते है डॉ सुमित्रा से  नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा २०२१  के आंकड़ो को...

महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा असुरक्षित शहर दिल्ली है जानते है डॉ सुमित्रा से  नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा २०२१  के आंकड़ो को 

डॉ सुमित्रा अग्रवाल 
संपूर्ण वैश्य समाज अध्यक्ष कोलकाता 
यूट्यूब आर्टिफीसियल ऑय को 

नया भारत डेस्क : नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा २०२१  क्राइम इन इंडिया रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं की सुरक्षा के मामले में सबसे ज्यादा सुरक्षित शहर कोलकाता है। वहीं, देश में महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा असुरक्षित शहर दिल्ली है।

एक अफवाह और बिगड़ गया वर्षों का भाईचारा 

नूंह हिंसा में अब तक १०२  एफआईआर दर्ज, २०२  लोग गिरफतार और ८०  लोगों को हिरासत में लिया -

देश की राजधानी से सिर्फ ८५  किलोमीटर दूर हरियाणा का नूंह जिला सांप्रदायिक हिंसा की आग में जल रहा है। विश्व हिंदू परिषद की धार्मिक यात्रा के दौरान हुई हिंसा और बवाल के बाद अब तक ६  लोगों की जान जा चुकी है। वहीं, ६०  से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। इस हिंसा की आड़ में भारी लूटपाट भी हुई और आगजनी के कारण लोगों को अपने रोटी-रोजगार से हाथ धोना पड़ा है। करीब ३००  वाहनों को जला दिया गया। कई दर्जन दुकानें स्वाह हो गई। मेवात में कई दिनों से क्फयू लगा है। जिस कारण लोगों को धंधा प्रभावित हो रहे हैं। साइबर सिटी के नाम से प्रसिद्ध गुरुग्राम के हालात भी सामान्य नहीं है। अनुमान है कि नूंह हिंसा के बाद से गुरुग्राम में ५०००  करोड़ से अधिक कारोबार प्रभावित हुआ है। 

हिंसा को अंजाम देने वाले लगभग २०२  लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। जिले में धारा १४४  लागू कर दी गई है।

इंटरनेट सेवा बंद है। अब तक हिंसा के खिलाफ १०२  एफआईआर दर्ज की जा चुकी  हैं तथा ८०  लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। इस हिंसा पर लगाम लगाने के लिए प्रशासन को काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। नूंह हिंसा की आग गुरुग्राम से लेकर फरीदाबाद तक फैल गई। नूंह के साथ ही पलवल, फरीदाबाद, गुरुग्राम, रेवाड़ी, झज्जर, सोनीपत और पानीपत जैसे दूर दराज के इलाको में हिंसा की लपटें पहुंची। वहां भी सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त करने पड़े हैं। 

अफवाह की वजह से फैली हिंसा

सोशल मीडिया पर फैले अफवाहों की वजह से नूह में हिंसा भड़क उठी। दरअसल, सोशल मीडिया पर यह खबर चलाई गई कि विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित इस रैली में मोहित यादव उर्फ मोनू मानेसर भी हिस्सा लेगा। मोनू पर इस साल फरवरी में नासिर और जुनैद की मौत मामले में एफआईआर दर्ज किया गया है।

एक वीडियो में देखा गया कि मोनू ने कहा था कि वो यात्रा में शामिल होने वाला है। इसके बाद यह खबर सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई कि मोनू इस यात्रा में शामिल होगा। विहिप ने मोनू मानेसर को यात्रा में शामिल होने से मना कर दिया। लेकिन, तब तक काफी देर हो चुकी थी और धर्म विशेष के लोग हिंसा की पूरी तैयार कर चुके थे। 

एक पोस्टर को लेकर हुई थी पहली बार हिंसा 

देश के रिकॉर्ड में दर्ज पहली सांप्रदायिक हिंसा १७  अक्टूबर, १८५१  को भड़की थी। दरअसल, पारसी समुदाय और मुस्लिम समुदाय आपस में भिड़ गए थे। यह हिंसा एक अखबार 'चित्र ज्ञान दर्पण' की वजह से भड़क उठी थी। अखबार में मोहम्मद साहब की एक तस्वीर छापी गई थी। वहीं, अखबार का पन्ना मुंबई की जामा मस्जिद की दीवार पर चिपकाया गया था।

जब मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज पढ़कर बाहर आए तो लोगों ने दीवार पर तस्वीर देखी। तस्वीर देखकर लोग भड़क उठे क्योंकि इस्लाम धर्म में मोहम्मद साहब का चित्र किसी भी रूप में दिखाने पर पाबंदी है। गौरतलब है कि अखबार के संपादक बायरामजी कर्सेटजी, पारसी थे। अखबार के मालिक ने जब माफी मांगी तो मुस्लिम समुदाय के लोगों का गुस्सा शांत हुआ।

देश की सबसे भीषण सांप्रदायिक हिंसा कब हुई ? 
 

साल १९४६  में १६  से लेकर १९  अगस्त तक कलकत्ता (कोलकाता) में चार दिनों तक बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। दो समुदायों के बीच इस हिंसा में तकरीबन १०  हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे और लगभग १५ ,०००  से ज्यादा घायल हो गए थे। इस हिंसा को 'ग्रेट कलकत्ता किलिंग' का नाम दिया गया। पाकिस्तान की मांग को लेकर मुस्लिम लीग ने १६  अगस्त को डायरेक्ट एक्शन डे की घोषणा की थी।

इस एक्शन के तहत बंगाल और बिहार राज्य में हिंसा भड़क उठी। वहीं, डायरेक्ट एक्शन प्लान का जवाब देने के लिए हिंदू महासभा ने निग्रह-मोर्चा बनाया था। ७२  घंटे के अंदर ही छह हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। इस हिंसा को रोकने के लिए महात्मा गांधी दिल्ली से नोआखली गए थे और उन्होंने अनशन किया था।

साल १९८४  की हिंसा

सिख विरोधी दंगे : इस दंगे की शुरुआत तब हुई जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों ने हत्या कर दी। दोनों अंगरक्षक सिख थे। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली के सिख रिहायशी इलाकों में हिंसा भड़क उठी। कई दिनों तक हिंसा होती रही। इस हिंसक घटना में तीन हजार से ज्यादा सिखों की हत्या कर दी गई।

गुजरात दंगे की मुख्य वजह क्या है ? 

२००२  गुजरात दंगा : गुजरात के गोधरा शहर में २७  फरवरी के दिन  साबरमती एक्सप्रेस के कोच एस-६  को समुदाय विशेष के कुछ लोगों ने आग के हवाले कर दिया था। इस घटना में ५९  कारसेवकों की जलकर मौत हो गई। इस घटना के बाद राज्य में सांप्रदायिक हिंसा की शुरुआत हो गई। इस हिंसा में तकरीबन २०००  से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। वहीं, २,५००  से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। 

महिलाओं के लिए दिल्ली सबसे असुरक्षित हो गयी है।  ठोस कदम उठाने का वक़्त आ गया है।