रिश्वतखोर IAS-IPS को जमानत: सरकार ने मुकदमे की मंजूरी नहीं दी.... कलेक्टर-एसपी रहते करोड़ों रुपए घूस लेते हुए पकड़ाये थे.... महीनों बाद जेल से बाहर आएंगे भ्रष्टाचार के आरोपी.....




डेस्क। राजस्थान हाईकोर्ट ने भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) अधिकारी मनीष अग्रवाल और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी (आइएएस) इंद्र सिंह राव को जमानत दे दी है। दोनों को भ्रष्टाचार के आरोप में राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने गिरफ्तार किया था। दिसंबर 2020 को बारां में कलेक्टर रहते हुए इंद्रसिंह राव को पेट्रोल पंप का अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) जारी करने के एवज में अपने PA महावीर नागर के मार्फत 1.40 लाख रुपए की रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार किया था।
IPS भी रिश्वतखोरी में पकड़े गए
भारत माला प्रोजेक्ट के तहत दौसा में हाईवे बना रही कंपनी से 38 लाख रुपए रिश्वत लेने के आरोप में 2 फरवरी 2021 को IPS मनीष अग्रवाल को जयपुर से गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के वक्त वे SDRF में कमाडेंट के पद पर थे। उन पर दौसा में SP रहते हुए रिश्वत लेने का आरोप है। मनीष अग्रवाल से पहले दौसा में ही ACB ने बांदीकुई एसडीएम रहीं RAS पिंकी मीणा को 10 लाख रुपए की रिश्वत मांगने व दौसा एसडीएम रहे RAS पुष्कर मित्तल को 5 लाख रुपए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
IAS राव आठ महीने और IPS मनीष करीब छह महीने बाद जेल से बाहर आएंगे
IAS इंद्रसिंह राव और IPS मनीष अग्रवाल को गिरफ्तारी के बाद हाईकोर्ट से जमानत नहीं मिली थी। पिछले दिनों सरकार ने घूस लेने के मामले में गिरफ्तार दोनों अफसरों के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन स्वीकृति नहीं दी थी। इसी को आधार बनाकर दोनों अफसरों की तरफ से उनके वकीलों ने राजस्थान हाईकोर्ट में जमानत की याचिका लगाई थी। इस पर हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दोनों अफसरों को जमानत पर जेल से रिहा करने का आदेश दिया गया। इंद्रसिंह राव करीब 8 महीने बाद जेल की सलाखों से बाहर आएंगे। IPS मनीष अग्रवाल छह महीने बाद जेल से बाहर आएंगे। मनीष अग्रवाल को उनकी बहन की शादी के लिए 10 दिनों की अंतरिम जमानत दी गई थी।
गौरतलब है कि हाइवे बनाने वाली कंपनी से रिश्वत लेने वाली राजस्थान प्रशासनिक सेवा की अधिकारी पिंकी मीणा के खिलाफ राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने कोर्ट में चार्जशीट पेश की है। करीब 4000 पेज की चार्जशीट में पिंकी मीणा द्वारा दौसा जिले के बांदीकुई में उपखंड अधिकारी पद पर तैनात रहते हुए किए गए कारनामों का खुलासा किया गया है। इसमें कहा गया है कि कंपनी से वह प्रति एक किलोमीटर सड़क बनाने के लिए एक लाख की रिश्वत मांगी थी, नहीं देने पर निर्माण कार्य रोकने की धमकी दी थी। पहले उसने छह लाख रुपये मांगे लेकर बाद में यह रकम बढ़कर 10 लाख कर दी। रिश्वत की रकम उसने इसलिए बढ़ाई, क्योंकि दौसा के उपखंड अधिकारी पुष्कर मित्तल ने 10 लाख रुपये मांगे थे।