CG - Dussehra Special : छत्तीसगढ़ के इस गांव में होती है रावण की पूजा, सूट-बूट में मूर्ति, 100 साल पुराना है मंदिर… इस गांव के बच्चे-बच्चे के पास है लंकापति का ज्ञान.....

छत्तीसगढ़ के बालोद जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर ग्राम तार्री में अनोखा दृश्य देखने को मिलता है। जहां दशहरे के दिन शाम को रावण की पूजा की जाती है। ग्रामीणों की माने तो पिछले कई सालों से यह परंपरा चली आ रही है।

CG - Dussehra Special : छत्तीसगढ़ के इस गांव में होती है रावण की पूजा, सूट-बूट में मूर्ति, 100 साल पुराना है मंदिर… इस गांव के बच्चे-बच्चे के पास है लंकापति का ज्ञान.....
CG - Dussehra Special : छत्तीसगढ़ के इस गांव में होती है रावण की पूजा, सूट-बूट में मूर्ति, 100 साल पुराना है मंदिर… इस गांव के बच्चे-बच्चे के पास है लंकापति का ज्ञान.....

बालोद। छत्तीसगढ़ के बालोद जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर ग्राम तार्री में अनोखा दृश्य देखने को मिलता है। जहां दशहरे के दिन शाम को रावण की पूजा की जाती है। ग्रामीणों की माने तो पिछले कई सालों से यह परंपरा चली आ रही है। ग्रामीण आज भी इस परंपरा को निभा रहे हैं। गांव में रावण का मूर्ति बना हुआ है। यहां निर्मित मूर्ति में रावण कोर्ट पैंट पहने हुए हैं। हम बात कर रहे हैं ग्राम तार्री की। 

गांव में सड़क के एक तरफ रावण की मूर्ति है तो दूसरी तरफ भगवान राम का मंदिर भी है। यहां लोग रावण की मूर्ति का सिर्फ दशहरा के दिन शाम को पूजा करते हैं। वहीं राम मंदिर में रोज पूजा-अर्चना की जाती है। देखने में तो जरूर अजीब लगता है, लेकिन बालोद जिले के गुरुर ब्लाक के ग्राम तार्री में पिछले कई सालों से रावण की मूर्ति की पूजा की जा रही है। 

कोट पेंट में है 100 साल पुरानी रावण की मूर्ति

गांव में बनी रावण की मूर्ति 100 से ज्यादा पुरानी है. गांववालों के मुताबिक, मूर्ति का निर्माण 100 वर्ष से अधिक पहले किया गया था। वह कहते हैं कि जर्जर हो चुकी मूर्ति का नवनिर्माण जल्द किया जाएगा। लेकिन जब भी रावण की दूसरी मूर्ति बनेगी इसी तरह पेंट कोट के पहनावे में होगी। गांव के बुजुर्ग रमेश्वर निषाद ने बताया कि गांव में दशहरा पर रावण की पूजा की परंपरा बहुत पहले से चली आ रही है। वह कहते हैं कि पहले उनके पूर्वज मिट्टी का रावण बनाते थे, जो नष्ट हो जाता था। उसके बाद चूना और सीमेंट का ये रावण बनाया गया। कई साल से ये रावण की मूर्ति यही स्थापित है।