मनुष्य की जैसी सोच होती है वैसा ही उसका व्यक्तित्व होता है, कठोर वचन बोलने वाला हर व्यक्ति बुरा नहीं होता, लेकिन मधुर वचन बोलने वाला हर व्यक्ति अच्छा भी नहीं होता।
As a man thinks, so is his personality,




NBL, 13/07/2023, Lokeshwer Prasad Verma Raipur CG: As a man thinks, so is his personality, not every person who speaks harsh words is bad, but not every person who speaks sweet words is good either.
जैसा भाव या विचार वैसा ही जीवन। अच्छे विचारों का चयन कर जीवन को उन्नत और बुरे विचारों का चयन कर जीवन को अवनत किया जा सकता है।
* जैसी मनुष्य की सोच होती है, वैसा ही उसका व्यक्तित्व होता है...
जैसी मनुष्य की सोच होती है, वैसा ही उसका व्यक्तित्व होता है। तभी तो कामना की गई है कि मेरा मन शुभ संकल्प वाला हो। मन संकल्प और विकल्प से परिपूर्ण है। उसमें परस्पर विरोधी भाव उत्पन्न होते रहते हैं। मन में अच्छे विचार आते हैं, तो बुरे विचार भी आते हैं। बुरे विचार आते हैं, तो उसमें विरोधी विचार यानी अच्छे विचार भी अवश्य उत्पन्न होते हैं। मन में उठने वाले विचारों पर नियंत्रण कर हम जीवन को मनचाहा आकार दे सकते हैं।
जैसा भाव या विचार वैसा ही जीवन। अच्छे विचारों का चयन कर जीवन को उन्नत और बुरे विचारों का चयन कर जीवन को अवनत किया जा सकता है। प्राय: कहा जाता है कि पुरुषार्थ से ही कार्य सिद्ध होते हैं। मन की इच्छा से नहीं। बिल्कुल ठीक बात है, लेकिन मनुष्य पुरुषार्थ कब करता है और किसे कहते हैं पुरुषार्थ? पहली बात तो यह है कि इच्छा के बगैर पुरुषार्थ भी असंभव है। मनुष्य में पुरुषार्थ करने की इच्छा भी किसी न किसी भाव से ही उत्पन्न होती है और भाव मन द्वारा उत्पन्न और संचालित होते हैं। इसलिए सकारात्मक विचार ही पुरुषार्थ को संभव बनाता है। पुरुषार्थ के लिए उत्प्रेरक तत्व मन ही है। कई व्यक्तितथाकथित पुरुषार्थ तो करते हैं, फिर भी सफलता से कोसों दूर रहते हैं। लक्ष्य-प्राप्ति पुरुषार्थ पर नहीं मन की इच्छा पर निर्भर है। कालिदास कहते हैं कि मनोरथ के लिए कुछ भी अगम्य नहीं है। इच्छाएं ही हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। सफलता प्रदान करने में सकारात्मक इच्छाएं कारगर साबित होती हैं। वस्तुत: जैसी आपकी इच्छाएं होंगी वैसा परिणाम।
कल्पवृक्ष मनचाही वस्तु ही नहीं देता, बल्कि आनंद का अनुपम स्रोत भी है हमारा मन। आनंद भी मन का एक भाव है। भौतिक सुख-सुविधाओं में आनंद नहीं है, यदि मन प्रसन्न नहीं। मन के प्रसन्न होने पर आर्थिक समृद्धि या भौतिक सुख-सुविधाओं में कमी होने पर भी आनंद ही आनंद है। सुख-समृद्धि और आनंद दोनों ही प्राप्त करने के लिए मन की उचित दशा या इसकी सकारात्मक भावधारा का निर्माण करना अनिवार्य है। जिस दिन मन को नियंत्रित कर उसे सकारात्मकता प्रदान करना सीख जाएंगे, पारस पत्थर हाथ में आ जाएगा। कल्पवृक्ष बनते देर नहीं लगेगी। मनोविज्ञान के अनुसार जो व्यक्ति जैसा सोचता है, वैसा ही उसके व्यक्तित्व का निर्माण होता है। फिर देर किस बात की सकारात्मक सोच को मन में प्रश्रय देकर जीवन में आगे बढ़ें, आपको कामयाबी नसीब होगी।
* कठोर वचन बोलने वाला हर व्यक्ति बुरा नहीं होता...
जैसे पिता अपने बच्चों को कड़े शब्दों में डाटते है और पिता का कड़े शब्दों में बोलने का मुख्य कारण है अपने बच्चों को गलत मार्ग में जाने से रोकना और पिता का वही डर उन बच्चों को महान बनाती है, नैतिकता की ओर ले जाती है पिता के कड़े शब्द बच्चों की रक्षा कवच होती हैं, वैसा ही इस जगत में बहुत से महान क्रांतिकारी गुरुजन व सहपाठी है जो अपने कठोर शब्दों से नया ऊर्जा दी समाज के उन लोगों को जो अपने हक के लिए आवाज नहीं उठा पाते थे बस कठोर शब्द में बोलने वाले व्यक्ति का बोल जन कल्याण के हित में होनी चाहिए और उनके कठोर शब्दों में अभद्रता लेस मात्र भी नहीं होनी चाहिए इसलिए आप ये जान लीजिए की हर कठोर शब्द बोलने वाले लोग बुरे नहीं होते बल्कि उनके कठोर शब्द आपके मन के विकारों को शुद्ध व बुरे विकारों को समाप्त करने की शक्ति रखती है, आपको नया ऊर्जा देती हैं आपके जीवन को आगे बढ़ने के लिए नया दिशा देती है, और जिन व्यक्ति के मार्ग में क्रांतिकारी पिता, गुरुजन व सहपाठी नहीं होता वह व्यक्ति कभी भी अपने सही रास्ते में चलने से भटक सकते हैं, बिना लगाम के घोड़े जैसा जिस व्यक्ति को दिशा निर्देश देने वाले कंट्रोलर नहीं होते वह व्यक्ति कभी कुछ भी नया सृजन नही कर सकता जिनके जीवन में रोकने टोकने व डाटने वाले पथ प्रदर्शक ना हो, वह व्यक्ति शून्य हो जाता है।
* मधुर वचन बोलने वाला हर व्यक्ति अच्छा भी नहीं होता...
जो व्यक्ति मधुर वाणी बोलकर अपने शब्द जाल में फँसा कर इतना बड़ा विश्वासघात करता है, जिससे आप जल्दी उबर नहीं पाओगे उनके मीठे बोल को याद कर करके बार बार आपके मन मस्तिष्क को आघात करनेवाला उनके मधुर वाणी होते हैं, मधुर वाणी बोलने वाले व्यक्ति बड़ा ही अनोखा रहस्य भगवान के समान जन कल्याण करने वाले हितैषी लगते हैं और उनके मधुर वाणी ही आपके नाश करने वाले होते है, जो मीठे शब्द बोल रहा है इसका मतलब वह आपको अपने आगोस में ले रहा है और हम भावुक होकर उनके उपर विश्वास कर लेते हैं, बल्कि उनके मधुर वाणी में आपके बर्बादी का रहस्य छुपा अन्धकार छिपा रहता है जो वक्त आने पर वह प्रत्यक्ष रूप से आपके सामने प्रगट रूप में उनके शैतानी शक्ल आपको दिखने लगेगा और आपको जोरों का झटका धीरे से देगा स्लो पाईजन के समान, मधुर वाणी बोलने वाले व्यक्ति के उपर हम आप जल्दी भरोसा कर लेते हैं, और कठोर शब्द बोलने वाले व्यक्ति को हम अपने आप में दुश्मन मानते हैं, बल्कि वह अपने कठोर शब्दों से आपके हर बुरे कामो को रोकता है जबकि मीठे वाणी बोलने वाले आपके हितैषी दोस्त बनकर आपके साथ विश्वासघात करते है वैसा कठोर शब्द बोलने वाले व्यक्ति अपने आप के प्यार को कम कर आपको अपने से दूर कर देता है लेकिन आपके उन्नति के लिए नया दिशा निर्देश देता है और आप उनके कठोर शब्दों को मनन कर अपने आप में कठोरता लाकर आगे बढ़ने का आप जोश पैदा करते हैं, आप मेरे को ऐसा बोल दिया अब आपको दिखाके रहूँगा मै निक्कमा क्या नहीं कर सकता और करके रहूँगा तब तो आप मुझे मानोगे ये पावर देता है कठोर शब्द बोलने वाले व्यक्ति।