बलरामपुर जिला मुख्यालय के समीप आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने किया एन एच 343 चक्का जाम मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

बलरामपुर जिला मुख्यालय के समीप आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने किया एन एच 343 चक्का जाम मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
बलरामपुर जिला मुख्यालय के समीप आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने किया एन एच 343 चक्का जाम मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

NH 343 रहा घंटों जाम, आं.का.ने कहा पूरी हो हमारी मांग

बलरामपुर - जिले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ के द्वारा अपनी 6 सूत्रीय मांगों को लेकर महीनो से उनका आंदोलन जारी है। इसी क्रम में आज जहां आज जंगी प्रदर्शन करते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ ने कलेक्टर ऑफिस के सामने एनएच 343 को पूर्ण रूप से प्रभावित कर दिया और धरने पर बैठ गई। वही अपनी मांगों को लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है।

जिले में 23 सौ आगनबाडी कार्यकर्ता सहायिकाओं का आज महीनो से आंदोलन जारी है। जहां जंगी प्रदर्शन करते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाओं के द्वारा लगभग 1 घंटे तक एनएच 343 को जाम कर दिया जिससे दोनों और लंबी वाहनों की कतारें लग गई। अंबा पदाधिकारियों ने अपनी मांगों को लेकर महीनों से आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सरकार के द्वारा हमारे आंदोलन पर विचार ना करते हुए हमें 48 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए ज्वाइन करने की बात कही गई है जिसके विरोध में प्रदर्शन किया गया है।

 छत्तीसगढ़ सरकार से अपनी मांग पूरी करने की जिद पर अड़ी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा लगातार अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी है इसी कड़ी में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा बलरामपुर रामानुजगंज मुख्य मार्ग एनएच 343 को घंटों जाम कर दिए साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने प्रदेश के भूपेश सरकार को मांग पूरी करने का आह्वान करती रही इस दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा नारेबाजी भी की गई आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा वेतन विसंगति को दूर करने एवं सरकार के द्वारा किए गए , चुनावी घोषणा को पूर्ण करने की मांग रखी गई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका ओं ने कहा कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी तब तक हम आंदोलन करते रहेंगे और सरकार को हमारी मांगे माननी होंगी ।

 

 " गौरतलब करने वाली

 

बात यह है कि हड़ताल महीनों से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी प्रदेश की सरकार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के इस आंदोलन को समाप्त कराने में कोई विशेष रूचि नहीं ले रही है ऐसे में इसी वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का आंदोलन प्रभाव सील साबित हो सकता है " 

  आंगनबाड़ी केंद्रों के लगातार बंद रहने से कुपोषण से सुपोषण की ओर चल रहे अभियान का भी बेड़ा गर्ग हो गया है और पोषण बगिया भी वीरान हो गई है नौनिहालों के भविष्य का ख्याल रखते हुए सरकार को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं कि आंदोलन को समाप्त कराने में पहल करने की जरूरत महसूस हो रही है देखा जाए तो प्रत्येक ग्राम पंचायतों के टोला पारा में आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन होता है जहां पर गांव की किशोरी बालिका आएं महिलाएं एवं नौनिहाल लाभान्वित होते हैं ऐसे में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लंबे समय  तक आंदोलनरत रहने से सरकार की कई जनहितकारी जमीनी योजनाएं धरातल पर दम तोड़ती हुई नजर आ रही हैं
 " बरहाल ऐसे में अब देखने वाली बात यह होगी कि कब तक यह आंदोलन यूं ही चलता रहता है और सरकार की उदासीनता बरकरार रहती है आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं का आंदोलन कब समाप्त हो पाएगा और  कब तक आगनबाड़ी केंद्रों के नौनिहालों को सतुवा एवं गरम भोजन मिल पाता है।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मांगों को जायज माना है साथ ही  सरकार बनाने में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका को अहम समझते हुए जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुनील सिंह ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मांग का समर्थन करते हुए मुख्यमंत्री से मांग को पूर्ण करने हेतु पत्र लिखकर विचार करने की बात रखी है।