छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल अभियंता संघ ने CM भूपेश को छ.ग. राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी द्वारा नये विद्युत गृहों की स्थापना बाबत् लिखा पत्र.....




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रायपुर। छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल अभियंता संघ ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को छ.ग. राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी द्वारा नये विद्युत गृहों की स्थापना बाबत् पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि छ.ग. राज्य विद्युत मण्डल अभियंता संघ, जो कि राज्य विद्युत कंपनियों में कार्यरत सहायक अभियंताओं से लेकर कार्यपालक निदेशक स्तर तक के अभियंताओं के एक मात्र प्रतिनिधि संगठन है. राज्य के व्यापक हित में छ.ग. राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी द्वारा नये विद्युत गृहों की स्थापना बाबत आपसे विनम्र अनुरोध करता है।
गत लगभग 04 वर्षों में राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी को कोरबा पूर्व स्थित अपनी 06 इकाईयों को नये पर्यावरण मानकों एवं उपयोगी आयु पूर्ण होने के कारण बंद करना पड़ा। जिससे राज्य की अन्य स्रोतों पर निर्भरता बढ़ी है। आप के कुशल एवं सक्षम नेतृत्व में राज्य में चतुर्दिक आर्थिक प्रगति हो रही है। स्वाभाविक है कि विद्युत की खपत भी बढ़ रही है। ऐसे में यह अत्यावश्यक है कि राज्य की खपत में स्वयं के स्रोतों से विद्युत आपूर्ति कम से कम 60 से 70 प्रतिशत अवश्य बनी रहे। उल्लेखनीय है कि एक ओर राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी ही एक मात्र ऐसी आपूर्तिकर्ता संस्था है जो अपने संयंत्रों का रखरखाव तक अपनी सुविधा के अनुसार नही बल्कि राज्य की विद्युत आवश्यकता के अनुसार तय करती है, वहीं दूसरी ओर यह विद्युत आपूर्ति के बदले में पूर्ण भुगतान न मिलने पर भी निरंतर आपूर्ति जारी रखती है और केन्द्रीय उपक्रमों एवं प्राईवेट पॉवर प्रोड्यूसर्स की तरह भुगतान न मिलने पर आपूर्ति बंद करने की धमकी नहीं देती है। ऐसे में बंद इकाईयों के बदले एवं बढ़ती हुई मांग के दृष्टिगत नयी इकाईयों की स्थापना की पहल न होना अत्यंत चिंताजनक है। और भी चिंताजनक यह है कि आने वाले 8-10 वर्षों में कोरबा पश्चिम की इकाईयों को भी क्रमशः बंद करना पड़ सकता है। ऐसे में नयी विद्युत इकाईयों की स्थापना के संबंध में तत्काल पहल किया जाना अत्यावश्यक हो गया है।
इस संबंध में राज्य के दूरगामी हितों को ध्यान में रखते हुए निम्नांकित विन्दु विचारणीय प्रतीत होते है:
कोरवा पूर्व ताप विद्युत गृह के बंद हुए सयंत्र के स्थान पर 660 मेगावाट की एक इकाई स्थापित की जा सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार चूँकि यहाँ समस्त मूलभूत सुविधाएँ जमीन, रेल लाईन, सडक आदि उपलब्ध है अतः परियोजना कम लागत और कम समय में पूर्ण की जा सकती है। साथ ही जितने कोयले में पहले 440 मेगावाट उत्पादन होता था लगभग उतने ही कोयले और पानी में नई तकनीक आधारित नए संयंत्र से 25 से 50 प्रतिशत तक अधिक विद्युत उत्पादन हो सकेगा और प्रदूषण भी पहले से कम होगा।
कोरबा पश्चिम में भी 680 मे.वा. की एक इकाई स्थापित की जा सकती है इस परियोजना में भी इसी तरह से अतिरिक्त जमीन, पानी, कोयले के ट्रांस्पोर्ट के साधन (एल.डी.सी.सी.) आदि उपलब्ध है। समुचित एवं दक्ष मानव संसाधन भी उपलब्ध है एवं यहाँ परियोजना का निष्पादन तीव्र गति से किया जा सकता है। इसी तरह से मडवा ताप विद्युत परियोजना में भी अतिरिक्त जमीन, पानी, रेल लाईन आदि उपलब्ध है। अतः वहां भी एक इकाई स्थापित की जा सकती है।
वैकल्पिक रूप से कोरबा पूर्व की खाली जमीन पर सौर ऊर्जा संयंत्र भी स्थापित किया जा सकता है जो कि नवीकरणीय ऊर्जा की उपलब्धता को बढ़ाने में अत्यंत महत्वपूर्ण होगा। इसी तरह हसदेव बराज से जो नहरें कोरबा पूर्व व पश्चिम ताप विद्युत गृह को जोड़ती है उन पर सोलर पैनल लगा कर सौर ऊर्जा उत्पादन भी किया जा सकता है, इससे पानी का वाष्पन भी कम होगा। पर्यावरण की रक्षा, पानी की बचत एवं विद्युत उत्पादन एक साथ होने से "एक साधे-सब साधे की कहावत चरितार्थ होगी। यह राज्य में अपने तरह की प्रथम परियोजना होगी एवं अन्य राज्यों के लिए भी मिसाल बनेगी।
कोरबा पूर्व पश्चिम गैस आधारित संयंत्र पर भी विचार किया जा सकता है क्योंकि गेल द्वारा मुम्बई से झारसुगडा तक जो नयी गैस पाईप लाईन डाली जा रही है वह कोरबा क्षेत्र के अत्यंत नजदीक से गुजरने वाली है एवं उसके द्वारा एन.टी.पी.सी. कोरबा तक गैस आपूर्ति प्रस्तावित है। गैस आधारित संयंत्र में लगभग नहीं के बराबर प्रदूषण होता है, जमीन की अत्यंत कम आवश्यकता होती हैं एवं विद्युत की आवश्यकता अनुसार उनसे उत्पादन तेजी से घटाया / बढ़ाया जा सकता है। माचाडोली बांगो परियोजना क्षेत्र में पम्प स्टोरेज आधारित जल विद्युत इकाई की स्थापना की जा सकती है जो कि ऑफ पीक अवर्स में सस्ती बिजली का उपयोग कर के जल भण्डारण करेगी एवं पीक अवर्स में महंगी विद्युत उत्पादन के द्वारा लाभ प्रदान करेगी।
इन परियोजनाओं पर काम चालू होने से राज्य में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित होंगे, क्षेत्र का आर्थिक विकास होगा और सतत् व सस्ती बिजली की उपलब्धता से औद्योगिक विकास की गति तीव्र होगी एवं उद्योग धन्धो में बाहरी निवेश भी आएगा। अभियंता संघ आपको विश्वास दिलाता है कि नयी परियोजनाओं की जवाबदारी मिलने पर राज्य विद्युत कंपनी के अभियंता एवं कर्मचारी विश्वास की कसौटी पर पूर्णतः खरे उतरेंगे एवं कोरबा पूर्व स्थित 2x250 मेगावाट डी.एस.पी.एम. पावर स्टेशन व कोरबा पश्चिम स्थित 500 मेगावाट इकाई जिस तरह से आज राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले संयंत्रों में शामिल हैं उसी तरह से नयी इकाईयॉ भी कीर्तिमान रचेंगी। विनम्र अनुरोध है कि उपरोक्त सुझावों पर ऊर्जा विभाग व राज्य उत्पादन कंपनी को शीघ्र विचार कर सकारात्मक प्रस्ताव प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित करने का अनुग्रह करें आपकी सार्थक पहल राज्य के विकास यात्रा में एक नया इतिहास लिखेगी ऐसा हमारा दृढ़ विश्वास है।