कोरोना से मौत पर मिलेगा 50 हजार रुपये मुआवजा: सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का हलफनामा.... हर कोरोना मृतक के परिवारवालों को 50 हजार देगी केंद्र सरकार......

कोरोना से मौत पर मिलेगा 50 हजार रुपये मुआवजा: सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का हलफनामा.... हर कोरोना मृतक के परिवारवालों को 50 हजार देगी केंद्र सरकार......



नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए एक जवाब में कहा है कि वो हर कोरोना मृतक के परिवारवालों को 50 हजार रुपए का मुआवजा देगी. मुआवजे की ये रकम राज्य डिजास्टर रिलीफ फण्ड से पीड़ितों के परिजनों को देंगे. केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाली नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी यानी एनडीआरएफ ने आज सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर करोना से जुड़े मौत पर मुआवजा की रकम और प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी.

केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाली नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी यानी एनडीआरएफ ने आज सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर करोना से जुड़े मौत पर मुआवजा की रकम और प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की गई थी की करोना से मरने वालों के परिवार को चार लाख रुपए मुआवजा दिया जाए. नियम के मुताबिक प्राकृतिक आपदा से मरने वालों के परिवार को चार लाख रुपए मुआवजा मिलता है. लेकिन जिस तादाद में करोना से लोगों को मौत हुई है उसके बाद केंद्र सरकार ने मुआवजा देने से इंकार कर दिया था. केंद्र ने कहा था की इतना पैसा मुआवजा देने से सरकार को बड़ा नुकसान होगा. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के दबाव के बाद आज एन डी आर एफ ने सुप्रीम कोर्ट को बताया की करोना से मरने वालों के परिवार को 50 हजार रुपया मुआवजा दिया जाएगा.

लेकिन ये पैसा राज्य सरकारों के अधीन काम करने वाली एस डी आर एफ देगी. इसके लिए परिवार को जिले के डिजास्टर मैनेजेंट दफ्तर में आवेदन देना होगा. और करोना से हुई मौत का प्रूफ यानी मेडिकल सर्टिफिकेट देना होगा

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा था कि वह यह देखे कि ऐसे मामलों में जहां कोरोना से परेशान होकर किसी ने आत्महत्या की हो तो उसे कोविड-19 से हुई मौत माना जाए। इस बारे में राज्यों को नए दिशा निर्देश दिए जाएं। कोर्ट ने कहा कि कोरोना के कारण आत्महत्या करने वाले की मौत को कोविड से हुई मौत नहीं मानना स्वीकार्य नहीं है। उन्हें भी कोविड से हुई मौत का प्रमाणपत्र मिलना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि जिन केसों में यह पहले मना कर दिया गया था, उन्हें ये प्रमाणपत्र कैसे दिया जाए। सरकार इस बारे में राज्यों के लिए नए दिशानिर्देश जारी करे।