बड़ा दावा: दुनिया के सबसे ताकतवर पेगासस सॉफ्टवेयर से 300 से ज्यादा भारतीय पत्रकारों-नेताओं की जासूसी,मचा हड़कंप,सरकार ने दावे को बताया,पढ़िये…..




नईदिल्लीI इस्राइल के पिगासस सॉफ्टवेयर से देश के करीब 300 वेरिफाइड मोबाइल नंबरों की जासूसी होने की रिपोर्ट सामने आई है। इनमें सरकार में शामिल मंत्रियों, नामचीन नेताओं, बड़े पत्रकारों के अलावा अधिवक्ताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों के नाम शामिल होने का दावा किया गया। यह रिपोर्ट द गार्जियन और वाशिंगटन पोस्ट समेत 16 मीडिया संस्थानों की एक संयुक्त जांच के बाद सामने आई है। हालांकि, पिगासस नामक एनएसओ ने इन दावों का खंडन किया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि इस हैकिंग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल सिर्फ अपराधियों और आतंकवादियों के खिलाफ किया जाता है।
इसके अलावा केंद्र सरकार ने भी इन दावों को खारिज कर दिया। सरकार की तरफ से कहा गया कि देश में किसी का भी फोन गैरकानूनी रूप से हैक नहीं किया गया। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी चिट्ठी में कहा गया कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मसलों पर तयशुदा कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए ही किसी का फोन टेप करने की इजाजत दी जा सकती है।
सॉफ्टवेयर का दुरुपयोग होने का दावा
गौरतलब है कि इस रिपोर्ट में पिगासस सॉफ्टवेयर का लगातार और बड़े स्तर पर दुरुपयोग होने का दावा किया गया। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस हैकिंग सॉफ्टवेयर से दुनिया भर में कई सरकारों ने जासूसी कराई, जिनमें 300 से अधिक वेरिफाइड भारतीय मोबाइल नंबर शामिल हैं। इन फोन नंबरों का इस्तेमाल, मंत्रियों, सरकारी अधिकारियों, पत्रकारों, वैज्ञानिकों, विपक्षी नेताओं, व्यापारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं समेत अन्य कर रहे थे। दावा है कि इन नंबरों से संबंधित कुछ फोन की फॉरेंसिक जांच में साफ संकेत मिले कि 37 फोन पिगासस सॉफ्टवेयर के जरिए निशाना बनाए गए। इनमें से 10 भारतीय थे। माना जाता है कि इस्राइली कंपनी एनएसओ ने यह सॉफ्टवेयर दुनिया की 36 सरकारों को बेचा, लेकिन उसने अपने ग्राहकों की पहचान उजागर नहीं की।
कैसे सामने आया डाटा?
जानकारी के मुताबिक, इस लीक डाटाबेस को पेरिस के नॉन प्रॉफिट मीडिया ‘फॉरबिडेन स्टोरीज’ और ‘एम्नेस्टी इंटरनेशनल’ ने एक्सेस किया। उन्होंने ही यह डाटा अन्य मीडिया संस्थानों के साथ साझा किया। इस पड़ताल को ‘प्रोजेक्ट पिगासस’ नाम दिया गया। फॉरबिडेन स्टोरीज के मुताबिक, इस रिपोर्ट में एनएसओ के ग्राहकों द्वारा चुने गए फोन नंबरों के रिकॉर्ड हैं। इस सूची में पहचाने गए अधिकतर फोन नंबर 10 देशों के हैं। इन देशों में भारत, अजरबैजान, बहरीन, हंगरी, कजाकिस्तान, मैक्सिको, मोरक्को, रवांडा, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में 40 से अधिक पत्रकारों, तीन प्रमुख विपक्षी नेताओं, एक सांविधानिक अधिकारी, केंद्र सरकार के दो मंत्रियों, सुरक्षा संगठनों के वर्तमान व पूर्व अध्यक्ष व कारोबारी की जासूसी की गई। इसके अलावा पिगासस प्रोजेक्ट के डाटाबेस में एक फोन नंबर सुप्रीम कोर्ट के एक वर्तमान न्यायाधीश के नाम पर दर्ज है। हालांकि, रिपोर्ट में यह पुष्टि नहीं हो पाई है कि डाटाबेस में जब यह नंबर जुड़ा, तब न्यायाधीश उस नंबर का इस्तेमाल कर रहे थे या नहीं।
संयुक्त रिपोर्ट में नहीं हुई जासूसी की पुष्टि
रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारत में 13 आईफोन की जांच की गई, जिनमें नौ मोबाइल फोन को निशाना बनाने की बात सामने आई। वहीं, इनमें से सात आईफोन में पिगासस सॉफ्टवेयर पाया गया। हालांकि, इस संयुक्त जांच में यह स्पष्ट नहीं हुआ कि जिन नंबरों की सूची लीक हुई है, उनकी जासूसी की गई या नहीं।