भद्रा में राखी क्यों नहीं बांधते है जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से की शूर्पणखा का भद्रा से क्या सम्बन्ध है ?...

भद्रा में राखी क्यों नहीं बांधते है जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से की शूर्पणखा का भद्रा से क्या सम्बन्ध है ?...
भद्रा में राखी क्यों नहीं बांधते है जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से की शूर्पणखा का भद्रा से क्या सम्बन्ध है ?...

भद्रा में राखी क्यों नहीं बांधते है जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से की शूर्पणखा का भद्रा से क्या सम्बन्ध है ?

 

 डॉ सुमित्रा अग्रवाल 

यूट्यूब वास्तु सुमित्रा 

 

भद्रा में राखी क्यों नहीं बांधते हैं

 

नया भारत डेस्क : कहा जाता है कि शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को भद्रा काल में राखी बांध दी थी, जिस वजह से रावण के पूरे कुल का सर्वनाश हो गया। इसलिए ऐसा माना जाता है कि भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। यह भी कहा जाता है कि भद्रा में राखी बांधने से भाई की उम्र कम होती है।

 

रक्षा बंधन से जुड़ी पौराणिक कथाएं 

 

1 - इंद्र और शचि की कथा

रक्षाबंधन की शुरुआत को लेकर कई धार्मिक तथा पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। लेकिन माना जाता है कि सबसे पहले राखी या रक्षासूत्र देवी शचि ने अपने पति इंद्र को बांधा था। पौरणिक कथा के अनुसार जब इंद्र वृत्तासुर से युद्ध करने जा रहे थे तो उनकी रक्षा की कामना से देवी शचि ने उनके हाथ में कलावा या मौली बांधी थी। तब से ही रक्षा बंधन की शुरूआत मानी जाती है।

2 - देवी लक्ष्मी और राजा बलि की कथा

कथा के अनुसार जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार के रूप में राक्षस राज बलि से तीन पग में उनका सार राज्य मांग लिया था और उन्हें पाताल लोक में निवास करने को कहा था। तब राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपने मेहमान के रूप में पाताल लोक चलने को कहा। जिसे विष्णु जी मना नहीं कर सके। लेकिन जब लंबे समय से विष्णु भगवान अपने धाम नहीं लौटे तो लक्ष्मी जी को चिंता होने लगी। तब नारद मुनी ने उन्हें राजा बलि को अपना भाई बनाने की सलाह दी और उनसे उपहार में विष्णु जी को मांगने को कहा। मां लक्ष्मी ने ऐसा ही किया और इस संबंध को प्रगाढ़ बनाते हुए उन्होंने राजा बलि के हाथ पर राखी या रक्षा सूत्र बांधा।

3 - भगवान कृष्ण और द्रौपदी की कथा

महाभारत में प्रसंग आता है जब राजसूय यज्ञ के समय भगवान कृष्ण ने शिशुपाल का वध किया तो उनका हाथ भी इसमें घायल हो गया। उसी क्षण द्रौपदी ने अपने साड़ी का एक सिरा कृष्ण जी की चोट पर बांधा दिया। भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को इसके बदले रक्षा का वचन दिया। इसी के परिणाम स्वरूप जब हस्तिनापुर की सभा में दुस्शासन द्रौपदी का चीर हरण कर रहा था तब भगवान कृष्ण ने उनका चीर बढ़ा कर द्रौपदी के मान की रक्षा की थी।

 

राखी की एक कहानी ऐसी भी है

 

सिकंदर पूरे विश्व को फतह करने निकला और भारत आ पहुंचा। यहां उसका सामना भारतीय राजा पुरु से हुआ। राजा पुरु बहुत वीर और बलशाली राजा थे, उन्होंने युद्ध में सिकंदर को धूल चटा दी। इसी दौरान सिकंदर की पत्नी को भारतीय त्योहार रक्षाबंधन के बारे में पता चला। तब उन्होंने अपने पति सिकंदर की जान बख्शने के लिए राजा पुरु को राखी भेजी। पुरु आश्चर्य में पड़ गए, लेकिन राखी के धागों का सम्मान करते हुए उन्होंने युद्ध के दौरान जब सिकंदर पर वार करने के लिए अपना हाथ उठाया तो राखी देखकर ठिठक गए और बाद में बंदी बना लिए गए। दूसरी ओर बंदी बने पुरु की कलाई में राखी को देखकर सिकंदर ने भी अपना बड़ा दिल दिखाया और पुरु को उनका राज्य वापस कर दिया।

 

 

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त २०२३ 

 

• ३०   अगस्त को राखी बांधने का मुहूर्त- रात ०९  बजकर ०१  से

• ३१  अगस्त को राखी बांधने का मुहूर्त: सूर्योदय काल से सुबह ०७  बजकर ०५  मिनट तक

 

भद्रा में राखी क्यों नहीं बांधते हैं

 

कहा जाता है कि शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को भद्रा काल में राखी बांध दी थी, जिस वजह से रावण के पूरे कुल का सर्वनाश हो गया। इसलिए ऐसा माना जाता है कि भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। यह भी कहा जाता है कि भद्रा में राखी बांधने से भाई की उम्र कम होती है।