देश-विदेश के सभी जिम्मेदार विनाशकारी हथियारों को समुद्र में डाल दो जिससे लोगों को थोड़ी शांति मिल सके...

देश-विदेश के सभी जिम्मेदार विनाशकारी हथियारों को समुद्र में डाल दो जिससे लोगों को थोड़ी शांति मिल सके...
देश-विदेश के सभी जिम्मेदार विनाशकारी हथियारों को समुद्र में डाल दो जिससे लोगों को थोड़ी शांति मिल सके...

देश-विदेश के सभी जिम्मेदार विनाशकारी हथियारों को समुद्र में डाल दो जिससे लोगों को थोड़ी शांति मिल सके

गोंडा (उ.प्र.) : इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त  महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि पहले के समय में लड़ाई में मार-काट बहुत होता था। अब भी मार-काट होता है। लड़ाई में होता क्या है? लड़ाई में घूंसा-लात तो घर में चलने लग जाता है, ज्यादा कुछ हो जाता है तो क्रोध में क्या आदमी देखता है कि हथियार, कुल्हाड़ी, हंसिया, चाकू नहीं मारना चाहिए? बंदूक की गोली नहीं चलानी चाहिए? क्रोध में आदमी कत्ल कर डालता है। लड़ाई बड़ी खराब चीज है। लड़ाई का नाम ही खराब होता है। लड़ाईयों में मार-काट होता था। अब बंदूक चला देते हैं। एक जगह बैठ करके पांच-दस हजार किलोमीटर कोई चीज खत्म करना हो तो यहां से पावर से भेज करके वह चीज खत्म कर देते हैं।

इस समय पर विनाश की तरफ बुद्धि ले जा रहे हैं लोग

आदमी कह रहा, हम अपना, देश का विकास कर रहे हैं। विकास कर रहे हैं या विनाश का हथियार बना रहे हैं? विनाश की तरफ बुद्धि ले जा रहे हैं। जो हथियार बना करके विकास के लिए सोच रहे हैं उनको, सब लोगों को मिल करके ऐसी योजना बनानी चाहिए कि यह जितने विनाशकारी हथियार हैं, इनको समुद्र में डाल दिया जाए, इनको स्वाहा कर दिया जाए, खत्म कर दिया जाए जिससे थोड़ी शांति लोगों को मिल सके। जो उम्मीद है लोगों को आगे बढ़ने की, करने की, उसमें बाधा न पड़े।

सबके दिल में प्रेम की जगह बनाओ

देश प्रेम बनाए रखना। देश की संपत्ति आपकी अपनी संपत्ति है। जिस देश में जन्म लिए हो, इसके प्रति वफादार रहो। जिस धरती पर जहां का जल पी रहे हो, इसके प्रति वफादार रहो। इसका नाम हो, देश की तरक्की हो, यह अपने दिल-दिमाग में रखो। किसी धार्मिक मजहबी किताब, जाति, राजनेता, पंडित, मुल्ला, पुजारी, व्यक्ति की निंदा बुराई से दूर रहो। कोई भूखा-रुखा आ जाए, अगर आपके पास है तो उसको खिला दो। कोई नंगा है, उसको कपड़ा दे दो। उसको किसी तरह का दु:ख है तो दूर कर सकते हो तो दूर कर दो। सबके अंदर उस मलिक की अंश जीवात्मा है। सियाराम मय सब जग जानी। करहु प्रणाम जोर-जुग पानी।। आपसे जो हो सके, वह आप करते रहो। परमार्थी काम इसी को कहते हैं।