मुफलिसी (गरीबी) में भजन होता है - सन्त बाबा उमाकान्त महाराज




मुफलिसी (गरीबी) में भजन होता है - सन्त बाबा उमाकान्त महाराज
ऊपरी लोकों में विचरण करने वाले को ब्रह्मचारी कहते हैं
नामदान का असर
नागौर (राजस्थान) : काल और माया के झकोलों से बचाने वाले, जिस मन को बड़े-बड़े ऋषि-मुनि वश में नहीं कर पाए उसी मन को पकड़ने का चीमटा जिनके पास है, जीते जी मुक्ति मोक्ष पाने का रास्ता पांच नाम का नामदान देने के एकमात्र अधिकारी, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज ने 17 मई 2023 शाम उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि कहते हैं मुफलिसी (गरीबी) में भजन होता है। पैसे वाले भजन, भाव भक्ति नहीं कर पाते हैं क्योंकि उनको फुर्सत नहीं है। और ये माया का देश है, माया लालच बढ़ाती, इच्छा पैदा करती चली जाती है। मन की डोर माया के हाथ में है। बस हिला देती है और इच्छा पैदा हो जाती है तब बुद्धि उसी में लग जाती है। फिर वही काम करने लग जाता है। पैसे ही कमाने का काम करने लग जाता है। और जब पैसा आने लगता है तो 99 का 100, हजार का लाख, लाख का करोड़ और जिसके पास करोड़ हो जाता है वो कहता है कुबेर भगवान का खजाना हमको मिल जाए, बस मन उधर ही लग जाता है।
नामदान का असर
नाम का बहुत असर है। नाम दान ले लिया और (साधना में) कुछ भी तरक्की नहीं हुई, अंदर में कुछ दिखाई सुनाई भी नहीं पड़ा लेकिन (साधना में) हाजिरी लगा रहा है तो शरीर छूटने पर मनुष्य शरीर मिल जाएगा। मनुष्य शरीर का पाना ही बड़ा मुश्किल है। कोटी जन्म जब भटका खाया, तब यह नर तन दुर्लभ पाया। करोड़ों जन्मों तक भटकने के बाद, नरक चौरासी में भटकने के बाद यह मनुष्य शरीर मिलता है। मनुष्य शरीर बड़े भाग्य से मिला है। यह दोबारा मिलने वाला नहीं है। और मिलेगा भी तो कोई जरूरी नहीं है कि संस्कारी घर में जन्म ले और वहां असानी से पहुंच जाए जहां सतगुरु रहते हैं सतगुरु का मेला रहता है, वहां पहुंच ही जाए।
फटकशिला
महाराज ने 26 जुलाई 2020 सायं उज्जैन आश्रम में गोस्वामी जी के एक पुराने प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि (जिज्ञासु प्रेमी को) समय का कोई पता नहीं। हमारे (प्रेमी में) अंदर इच्छा जगी कि हम आपका (गोस्वामी जी का) दर्शन करें, आपकी दो बात सुने। तो गोस्वामी जी महाराज ने इनको बैठाया और वहीं नाम दान दे दिया। फिर जब साधना करने लग गए तो (जीवात्मा) ऊपर लोकों में जाने लग गई, तब बताने लग गए कि जब फटकशिला पर पहुंचे और वहां से खड़े होकर के देखा तो वहां से सब दिखाई पड़ा। शिला किसको कहते हैं? पत्थर (पहाड) जैसे पहाड़ पर खड़े हो जाओ और वहां से देखो तो नीचे का सब दिखाई पड़ता है। ऐसे सब बात बताने लग गए। तो (आप लोगों का) प्रेम नहीं उमड़ा है, अंदर से तड़प पैदा नहीं होती है, सुनते तो हैं लेकिन धुनते, गुनते नहीं है। बात को निकाल देते हैं। बातों को पकड़ने की जरूरत होती है। सतसंग के वचन का पालन करने की जरूरत होती है।
ऊपरी लोकों में विचरण करने वाले को ब्रह्मचारी कहते हैं
महाराज ने 5 जून 2023 सांय नागौर (राजस्थान) में बताया कि हमारी तो प्रार्थना है- हाथ जोड़कर विनय हमारी, तजो नशा बनो शाकाहारी, छोड़ो व्यभिचार बनो ब्रह्मचारी और सतयुग लाने की करो तैयारी। अगर मांस, शराब मछली छोड़ दोगे तो शाकाहारी हो जाओगे। लेकिन कहोगे कि ब्रह्मचारी हो जाएंगे तो गृहस्थी कैसे चलेगी। अरे ब्रह्मचारी का मतलब है ब्रह्म में विचरण करने वाला, ऊपरी लोकों में आओ-जाओ। ब्रह्मचर्य, चर मतलब चलना-फिरना होता है। जलचर जल में चलते हैं, खाते हैं। जमीन में चलते वाले थलचर कहलाते हैं। आसमान में पक्षी चलते उड़ते खाते रहते हैं उनको नभचर कहते हैं। ऐसे ही ब्रह्म में विचरण होता है, तो ऐसे बनो।