सरकार की योजना का विभाग उड़ा रहा हैं धज्जियां प्रशासन के विरूद्ध जाकर,फर्जी तरीके से निर्माण कार्य कर विभागीय अधिकारी द्वारा लाखों रुपए का गबन




सुकमा - जिले में भ्रटाचार थमने का नाम ही नही ले रहा है एक ओर जहां राज्य सरकार किसानों के आर्थिक उन्नति और बेहतर जीवन यापन करने के उद्देश्य से कई योजनाएं चला रही हैं।लेकिन उन योजनाओं का सुकमा जिले के विभागीय अधिकारियों द्वारा धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
निजी हित के लिए 4गेट की जगह 8 गेट बना कर,अधूरे स्टाप डेम को कागजों में पूरा दर्शा कर निकाल लिए पैसें
मामला सुकमा जिले का है जहां वर्ष 2019 में मुर्रेपाल गांव में भूमि संरक्षण विभाग के जिला अधिकारी द्वारा राज्य सरकार के किसान के हित चलाए जा रहे योजना को मनरेगा के तहत गांव के किसानों को बेहतर खेती के लिए 44.86 लाख रुपए की तकनीकी लागत के साथ स्टाप डेम निर्माण के लिए प्रशासकीय स्वीकृति दे दी गई। जिसका भू संरक्षक जिला अधिकारी द्वारा लाखो की शासकीय राशि का विदोहन किया हैं।स्टाप डेम के निर्माण के लिए तकनीकी विशेषज्ञ द्वारा तकनीकी प्राक्कलन बनाया गया।जिसमे स्टाप डेम के निर्माण के लिए नियम के तहत 4 गेट बनाया जाना चाहिए था।लेकिन विभागीय जिम्मेदार अधिकारी ने फर्जीवाड़ा का स्तर इतना उम्दा की प्रशासकीय स्वीकृति आदेश के विरुद्ध नियमों का उल्लंघन करते हुए निजी हित के लिए स्टाप डेम में पानी के जमाव के लिए 4 गेट की बजाय 8 से 9 गेट बना दिया गया हैं और अधूरे पड़े स्टाप डेम का निर्माण कागजों में ही सिमटा कर किसानों को योजना लाभ दे दिया गया हैं।बता दे की मुर्रेपाल गांव में 250 से 300 घरों 1000 की जनसंख्या हैं। जिसमें ज्यादतन लोग कृषि पर निर्भर हैं।लेकिन विभागीय अधिकारी द्वारा निर्माण कार्य में अनियमितता बरत शासन के लाखो रुपए की राशि का इस तरह से बंदरबांट व भ्रष्टाचार कर राज्य सरकार की योजना का धज्जियां उड़ा र
रहे हैं।
ये है तकनीकी अनियमितता
ग्रामीण क्षेत्रों में अमूमन किसानों को कृषि के लिए बारिश की पानी निर्भर होना पढ़ता हैं। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा किसानों को बेहतर कृषि के लिए सिंचाई हेतु गांव के नदी व नहरों का पानी रोक कर किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए तकनीकी आंकलन के साथ स्टाप डेम का निर्माण किया जाता हैं।जिससे किसान बारिश के अलावा बाकी मौसमों में बेहतर खेती कर अपना जीवनयापन कर सके। व किसानों को सरकार की योजना का लाभ भी मिल सके।स्टाप डेम का निर्माण जल जमाव के लिए किया जाता हैं। जिसमें ज्यादा से ज्यादा नदी व नहरों के बीच दीवारों की मोटी दीवार बना दिया जाता हैं।जिससे किसानों को खेती में सहजता मिलेगा।जिसमे समय समय में जल निकासी के लिए 3 से 4 छोटे गेट बनाए जाते हैं,ताकि बाढ़ की स्तिथि में पानी का निकासी किया जा सके।ऐसे में स्टाप डेम में 4 से अधिक गेट गेट बनाने से जल का जमाव कम हो जाएगा।और जरूरत के मुताबिक किसानों को सिंचाई के लिए जितना पानी उपयोग के लिए मिलना चाहिए वह नहीं मिल सकेगा।
प्रशासकीय स्वीकृति नियम के विरुद्ध कराया गया निर्माण
किसी भी अधोसंरचना के निर्माण के लिए सरकार द्वारा तकनीकी मापदंड तय किया जाता हैं,जिसके अनुरूप निर्माण कार्य कराए जाने की प्रशासकीय स्वीकृत निर्देशित होता हैं। इस दौरान किसी तकनीकी मापदंड में बदलाव की स्तिथि में प्रशासन के समक्ष कारण प्रस्तुत कर संशोधन किया जाना होता हैं।इसके विरुद्ध जाकर निर्माण कार्य कराया जाना प्रशासन के नियमों का उन्नलंघन कर सरकार की राशि का गलत रूप से इस्तेमाल कर गबन के दायरे में आता हैं।
ऐसी स्थिति में प्रशासन द्वारा वैधानिक कार्यवाही के साथ साथ संबंधित से गबन राशि की वसूली का प्रावधान है।जिसका उल्लेख निर्माण कार्य के कार्य आदेश में स्पष्ट रूप से किया जाता हैं।बावजूद इसके नियमों को ताक में रखकर विभागीय अधिकारी द्वारा स्टाप डेम के निर्माण कार्य में अनियमितता बरता गया।
गलत जानकारी दे रहा विभागीय अधिकारी साथ ही अपने ही अधिकारी द्वारा जारी नियमो ठहराया गलत
ग्रामीणों के शिकायत के आधार पर जब पूरे मामले में नयाभारत की टीम ने संबंधित जिम्मेदार विभागीय अधिकारी से आधिकारिक तौर पर बयान में गलत व भ्रमित जानकारी देते पाए गए।विभागीय अधिकारी ने पूरे मामले पर कार्य पूर्ण होने व किसानों द्वारा स्टाप डेम का उपयोग करने की गलत जानकारी दिया गया। जबकि मुर्रेपाल के स्थानीय किसानों ने विभागीय अधिकारी पर अनियमितता के साथ निर्माण कार्य कराए जाने की बात कहते हुए अब तक स्थानीय किसानों को स्टाप डेम से किसी भी तरह का लाभ नहीं मिल पाने की बात कहीं गई। वही कार्य में प्रशासकीय स्वीकृति के नियम के विरुद्ध जाकर अनियमितता बरतने के सवाल पर झुंझलाहट के साथ नियम में संशोधन विभाग के अधिकार क्षेत्र में होना बताया हैं।
जबकि जिला प्रशासनिक अधिकारी जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी डी एन कश्यप ने इसे असंवैधानिक बताया हैं।साथ ही प्रशासनिक नियम के विरुद्ध अनियमितता के साथ कार्य कराने को लेकर मामले में जांच की बात कहीं। साथ ही विभाग पर प्रशासकीय स्वीकृति आदेश के विरुद्ध नियमों का अवहेलना व उल्लंघन करने के लिए विभागीय अधिकारी पर वैधानिक कार्यवाही की बात कही गई।
इस बात पर कोई दोहराए नही है की राज्य सरकार ग्रामीण इलाको में किसानों को उन्नत खेती से जोड़कर किसानों को आर्थिक मजबूती के लिए बेहतर योजनाएं चला रही हैं।लेकिन जमीनी स्तर पर सरकार के नुमाइंदे किसानों को सरकार की योजना से वंचित कर क्षेत्र के विकास और निर्माण के नाम पर निजी स्वार्थ के लिए विभागीय अधिकारी सरकार के लाखो करोड़ों रुपए का दुरुपयोग कर सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के नियमों की धज्जियां उड़ाकर किस तरह योजना का बंटा धार किया जा रहे हैं।सुकमा जिले के मुर्रेपाल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।