जिस दिन जयगुरुदेव नाम बोल कर गया उसी दिन काम बन गया...

जिस दिन जयगुरुदेव नाम बोल कर गया उसी दिन काम बन गया...
जिस दिन जयगुरुदेव नाम बोल कर गया उसी दिन काम बन गया...

जिस दिन जयगुरुदेव नाम बोल कर गया उसी दिन काम बन गया

कह देते हैं पर नहीं मानता है, मन धोखेबाज है सन्तों की महिमा अनंत, अभ्यास बराबर करते रहना चाहिए

उज्जैन (म.प्र.) : किसी भी कीड़े, जानवर आदि द्वारा जिनके शरीर को छू लेने पर, किसी गाय आदि का दूध पी लेने, पेड़ का फल खा लेने पर उस जीवात्मा की बची हुई पूरी चौरासी कट जाती, बायपास से होकर सीधे मनुष्य शरीर मिल जाता है, साधना में जिनकी दया से ही अब तरक्की होती है, जयगुरुदेव नाम के प्रचारक, भाव भक्ति श्रद्धा प्रेम समर्पण की भावना हो तो जयगुरुदेव नाम के चमत्कार रोज दिखाने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज ने 10 मार्च 2021 दोपहर लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि सन्तों की बोली भी प्रभावी होती है। उनकी दया की दृष्टि भी प्रभावी होती है। दया से स्पर्श करते हैं, वह भी प्रभावी होता है। सन्तों की महिमा में यह बताया गया है कि जो (चौरासी के जो) जीव (उनके शरीर को) छू जाते हैं, दया हो जाती है, उनको भी मनुष्य शरीर मिल जाता है। जिस गाय/बकरी का दूध पी लेंगे उनको भी मनुष्य शरीर मिल जाएगा। जिस घोड़े पर सवारी कर लेंगे उसको भी मनुष्य शरीर मिल जाएगा। राधास्वामी मत चलाने वाले शिव दयाल जी महाराज के लिए उनका प्रेमी एक पेड़ से तोड़ा गया दातुन लाता था। उससे दातुन करते थे। दया कर दिया और वही (पेड़) सतसंगी के यहां जन्म ले लिया। लेकिन प्रेमियों जड़ता नहीं जाती है। जड़ता यानी जिद्द, आदत जल्दी नहीं बदलती है। नामदान भी दिलाया, सतसंग में भी ले जाता था लेकिन लड़ने ने भजन ध्यान नहीं किया। 20 साल की उम्र (पेड) लड़के की थी। 20 साल के लिए जन्म लिया था। 20 साल बाद जब उसका मनुष्य शरीर छूटने लगा तब बाप रोया। उसने (लड़ने ने) कहा क्यों रोते हो? मैं मर रहा हूं इसलिए? बोले हां। बोला मर नहीं रहा हूं, अब मैं जीने जा रहा हूं। अब मेरा पर्दा हट गया पिताजी। मैं वही पेड़ हूं जिसका दातुन आप लाते थे और गुरु महाराज करते थे। लेकिन आपने बहुत कोशिश किया कि मैं भजन करूं लेकिन मेरी जड़ता नहीं गई। मैंने भजन नहीं किया। अब मेरा संस्कार पड़ गया। उनकी दया हो गई। अब दूसरा जन्म लेना पड़ेगा। मां के पेट की गर्मी 9 महीने और झेलनी पड़ेगी, टट्टी पेशाब की बदबू मुझे सूँघनी पड़ेगी। फिर में जन्म लूंगा। फिर उस समय के जो महापुरुष होंगे, मैं वहां पहुंचगा और रास्ता ले करके फिर मैं भजन करूंगा।

अभ्यास बराबर करते रहना चाहिए

महाराज ने 16 मई 2023 सांय उज्जैन आश्रम में बताया कि बिल्कुल हड्डी-हड्डी रह गई थी लेकिन फिर शब्द पकड़ में आ गया। अभ्यास बराबर करते रहे। कहा गया है- अभ्यास बराबर करते रहना चाहिए, दर नहीं छोड़ना चाहिए। कहा गया है- पड़ा रहे दरबार में, धक्का धनी का खाए, कभी तो गरीब नवाजे, जो दर छाड़ न जाए। कभी तो (गुरु की) दया हो ही जाएगी। बहुत से ऐसे होते हैं जो भीख मांगने के लिए आते हैं और बराबर रट लगाए रहते हैं। चाहे घर की बुढ़िया कितनी भी कंजूस क्यों न हो, वह गुस्से में ही दे दे लेकिन कुछ न कुछ डाल देती है। चाहे वह दो पैसे की चीज ही क्यों न हो, चाहे फटका हुआ अनाज यूं ही रखा हो जानवरों के लिए लेकिन मिल जाता है। ऐसे ही (अंतर साधना के) दरवाजे, घाट पर बैठते रहना चाहिए।

कह देते हैं पर नहीं मानता है, मन धोखेबाज है

महाराज ने 17 मई 2023 सांय उज्जैन आश्रम में बताया कि गुरुजी ने कहा, कहा जा रहे हो? बोला बाजार। इसमें क्या है? घी है। किसका घी है? अरे आपका घी, घर का घी है। वो वहीं रख दिया। वहां थोड़ी देर हाथ सेका। फिर कहा गुरुजी आदेश दीजिए, जा रहे हैं। (गुरु जी ने) सिर हिला दिया। जब टीन उठाया, कहा, रख इसको, कहां ले जा रहा है? तो कहा, बेचने के लिए बाजार ले जा रहे हैं। अरे! तू तो कह रहा था कि (गुरूजी आपका है) तो रख इसको, मेरा क्यों ले जा रहा है? अरे गुरुजी गलती हो गई, कान पकड़ रहा हूं, अब कभी नहीं कहूंगा कि आपका है। वह तो मैंने ऐसे ही कह दिया था। कहने का मतलब यह है कि केवल कह देते हैं लेकिन मन नहीं मानता है, मन धोखेबाज है।

जिस दिन जयगुरुदेव नाम बोल कर गया, उसी दिन काम बन गया

महाराज ने 17 मई 2023 सांय उज्जैन आश्रम में बताया कि जयगुरुदेव नाम इस समय का जीता जागता वर्णनात्मक नाम है। अब इसको जब बोलोगे, बुलाओगे तब दुनिया की चीजों में, तकलीफों में फायदा होगा। लोगों ने बताया काम नहीं बन रहा था, बार-बार दौड़ करके जा रहा था और जब जिस दिन जयगुरुदेव नाम बोल करके गया, उस दिन काम बन गया। गुरु महाराज ने बच्चों को तरीका बताया था, खूब मेहनत से पढ़ो लेकिन परीक्षा में कोई सवाल भूल जाओ, तो आंख बंद करो, 10 बार जयगुरुदेव बोलो, उस समय जो दिमाग में आवे, वह लिख करके चले आओ तो तुम्हारे नंबर बढ़ जाएंगे। जहां तुम्हें 40 नंबर मिलने का है, 60 नंबर ले लेना। देखा लोगों ने, परीक्षा लिया। परीक्षा आज भी ली जा सकती है। लेकिन इससे क्या चीज मिलेगी? दुनिया की तकलीफ दूर होगी, दुनिया की चीजें मिलेंगी। आप इसी (आई हुई भक्तों की भीड़ में) में खोजोगे तो ऐसा आदमी आपको मिल जाएगा जो परीक्षा में पास नहीं हो रहा था और जयगुरुदेव नाम कागज पर लिख करके मुट्ठी में लिया और किसी ने कहा और उसका नाप, वजन बढ़ गया और लिख दिया, और लिखता चला गया। यह इन सब चीजों में फायदा करता है लेकिन भाव भक्ति श्रद्धा प्रेम समर्पण की भावना होनी चाहिए।