जन जागृति मनेंद्रगढ़ के सचिव संतोष कुमार जैन ने कोल इंडिया के सेवानिवृत्त कर्मचारियों का आह्वान किया

जन जागृति मनेंद्रगढ़ के सचिव संतोष कुमार जैन ने कोल इंडिया के सेवानिवृत्त कर्मचारियों का आह्वान किया
जन जागृति मनेंद्रगढ़ के सचिव संतोष कुमार जैन ने कोल इंडिया के सेवानिवृत्त कर्मचारियों का आह्वान किया

मनेंद्रगढ़। जन जागृति मनेंद्रगढ़ के सचिव संतोष कुमार जैन ने कोल इंडिया के सेवानिवृत्त कर्मचारियों का आह्वान किया कि वह लोग एक साथ मिलजुल कर अपनी लड़ाई लड़ाई क्योंकि कोयला खदान से सेवानिवृत्त कर्मचारियों की जो पेंशन स्कीम में यह स्पष्ट लिखा हुआ था की प्रत्येक 3 वर्ष में पेंशन का पुनरीक्षण किया जाएगा। हम सभी कोल इंडिया के कर्मचारियों को हृदय से आभारी होना चाहिए माननीय जे एन सिंह साहब का इन्होंने कोल इंडिया के सेवानिवृत्त कर्मचारियों की 1 लंबी लड़ाई लड़ी है स्वर्गीय सिंह साहब के जीवित रहते ही कोल इंडिया को अपने प्रति टन डिस्पैच कोयले के आधार पर एक सुनिश्चित राशि को पेंशन मद में जमा करना पड़ रहा है।

    कोल इंडिया के कर्मचारियों का जो भविष्य निधि करता था उतनी ही राशि प्रबंधन द्वारा भी उनके पीएफ खाते में जमा की जाती थी और प्रबंधन और कर्मचारी के पीएफ को मिलाकर उस पर ब्याज प्रदान किया जाता था। जहां कहीं भी बीएफ डबल होता है और ग्रेविटी मिलती है सामान्यतः है वहां पेंशन प्रदान नहीं की जाती है।।

       परंतु कोल माइन्स प्रोविडेंट फंड में बहुत सारे सस्पेंस की राशि इकट्ठा हो गई थी साथ ही साथ एक ऐसी योजना बनी कि कर्मचारी 2% अंशदान करें साथ ही साथ पीएफ के मध्य में 8.84 प्रतिशत राशि जमा की जाएगी शेष 1.16% राशि को पेंशन मद में जमा किया जाएगा और इतनी ही राशि प्रबंधन जमा करेगा।

     कुल मिलाकर पेंशन योजना प्रारंभ की गई परंतु यह विडंबना है कि कोल इंडिया में कभी लगभग 700000 कर्मचारी काम करते थे और वर्तमान समय में 2 से ढाई लाख कर्मचारी ही कार्य कर रहे हैं अर्थात अंशदान करने वालों की संख्या लगातार प्रतिमाह घटती जा रही है जबकि सेवानिवृत्त कर्मचारियों की संख्या लगातार वृद्धि हो रही है परिणाम स्वरूप पेंशन के मध्य में जो राशि थी वह लगातार कम हो रही है ‌

     सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन संघ के माध्यम से स्वर्गीय जेएन सिंह साहब ने जो कि भूतपूर्व निदेशक कार्मिक रहे हैं 1 लंबी लड़ाई लड़ी है और पेंशन स्कीम में जो यह उल्लेख था कि प्रत्येक 3 वर्ष में इस योजना का निरीक्षण किया जाएगा क्योंकि लगभग 2 से 3 दशक पूर्व जो अधिकारी या कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए हैं उन्हें सौ से डेढ़ सौ रुपए तक ही पेंशन प्रतिमाह प्राप्त हो रही है और उन्हें मात्र 1 से ₹200000 ही ग्रेविटी का भुगतान किया गया था इस प्रकार हमारे बहुत सारे वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारी आज जीवन के अंतिम पड़ाव पर बिना किसी आर्थिक संसाधन के दयनीय अवस्था में है इसलिए यह उचित होगा कि प्रत्येक 3 वर्ष में इस पेंशन योजना का निरीक्षण किया जाए और महंगाई के हिसाब से जीवन यापन के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन प्रदान की जाए।

     कोल इंडिया में विभिन्न प्रांतों से लोग आकर काम करते हैं और सेवानिवृत्ति के पश्चात लोग अपने अपने मूल निवास में जाकर निवास करने लगते हैं परिणाम स्वरूप बहुत मजदूर या मजबूर या यह कहें कि कोई भी प्रभावी संगठन नहीं है जो कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों के हित चिंतन की बात करें इसीलिए आज पेंशन आंदोलन पेंशन की लड़ाई लगातार कमजोर पड़ती जा रही है मैं आप सभी के माध्यम से सभी कर्मचारियों से यह निवेदन करूंगा कि सभी को एक ना एक दिन सेवानिवृत्त होना है और जीवन के अंतिम पड़ाव पर किसी के आगे हाथ ना फैलाना पड़े इसलिए हम सभी को मिलजुलकर इस यज्ञ में अपनी अपनी क्षमता अनुसार आहुतियां देना ही है ताकि हम लोग जिस भावना से यह पेंशन एक्ट बना था उसी भावना के अनुरूप प्रत्येक 3 वर्ष में इस योजना का पुनरीक्षण होता रहे और बाजार की महंगाई के अनुसार हमें पेंशन प्राप्त होती रहे आइए हम सब परस्पर मतभेद भुलाकर अपने सेवानिवृत्त होने के नाते मिलजुल कर इस लड़ाई में अपना अपना योगदान क्षमता अनुसार तन मन धन से प्रदान करते रहे।