कलेक्टर बेमेतरा के आदेश भी राह ताक रही है परिणाम के लिए,06 वर्ष बाद भी नही हुवा निर्देशो का पालन*




बेमेतरा:सन 2015 में तत्कालीन कलेक्टर बेमेतरा रीता सांडिल्य के द्वारा कार्यालयीन पत्र क्रमांक /5939 जि प /शिक्षा /2015 बेमेतरा दिनांक 02 सितंबर 2015 में फर्जी नियुक्ति के मामले में जांच दल गठित किये जिसमे नवागढ़ जनपद पंचायत ने तो जांच ही शुरू नही किया,साजा जनपद पंचायत में जैसे तैसे आधी अधूरी,भेदभाव पूर्वक जांच तो हुई लेकिन कार्यवाही के नाम पर सिर्फ औपचारिकता ही निभाई गई साथ ही कलेक्टर बेमेतरा को जो जांच प्रतिवेदन सौंपा गया उसमे भी काफी विसंगतियां थी जिसके चलते आज भी दोषी पाए गए फर्जी शिक्षाकर्मी लोग न्यायलयीन आर्डर के विपरीत शान से नौकरी कर रहे है अब तो संविलियन भी हो गया है अब मामला शिक्षा विभाग के हवाले है जो जनपद के अधिकारियों के तरह आंख मूंदकर बैठी है इन 06 वर्षो में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा तत्कालीन कलेक्टर बेमेतरा के निर्देशों की अवहेलना की गई है
*लगातार कलेक्टर बदलते रहने से जांच का मामला ठंडे बस्ते में*
कलेक्टर रीता सांडिल्य सहित जिला पंचायत, जनपद पंचायत सीईओ, और जिला शिक्षा अधिकारियों के लगातार ट्रांसफर होते रहने से इन कार्यालयों के शातिर टाइप के लिपिक लोगो का वसूली उद्योग भी खूब चला जिसका फायदा फर्जीयो का शिक्षा विभाग में बिना किसी परीक्षण के संविलियन हो जाना रहा पूर्व में जानबूझकर कर आधी अधूरी कार्यवाही किया जाता रहा है ताकि फर्जीयो को कोर्ट से राहत मिल जाए,जिले में जितने भी फर्जी शिक्षाकर्मियों की पुनर्नियुक्ति हुई है सारी नियुक्तियां न्यायायलयीन ऑर्डर के विपरीत है,जो अपने आप मे ही जांच का विषय है, कलेक्टर कार्तिकेय गोयल ने जरूर इसमे कार्यवाही कराने रुचि लिए थे,उनके ही प्रयासों के चलते ग्यारह लोगो के विरुद्ध पुलिस थाना साजा में एफआईआर भी दर्ज हुवा था,चयन समिति के ऊपर भी उनके द्वारा कार्यवाही करने का निर्देश दिया जा चुका था,साथ ही इसी से सम्बंधित न्यायलयीन मामले में कलेक्टर न्यायालय बेमेतरा ने सीईओ जनपद पंचायत साजा को फर्जीयो के नियुक्ति संबंधित मूल अभिलेख प्रस्तुत करने कड़ा पत्र लिखे थे जिसका सीईओ जनपद पंचायत साजा ने मूल अभिलेख आज पर्यंत प्रस्तुत ही नही किया,
मूल अभिलेख प्रस्तुत करने सम्बंधित पत्र लिखे जाने और कलेक्टर कार्तिकेय गोयल के कड़ा रुख को देखते हुए जनपद पंचायत साजा में हड़कंप मच गया था,लेकिन दुर्भाग्यवश कार्यवाही पूर्ण होने से पहले उनका ट्रांसफर मंत्रालय रायपुर हो गया उसके बाद से लगातार मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुवा है,बाद में तीन और कलेक्टर आये लेकिन इस मामले में उनके द्वारा कोई खास रुची नही ली गई,वर्तमान नए कलेक्टर इस मामले में कितना रुची लेंगे वो देखने वाली बात होगी,क्योकि पूरे जिले में फर्जी प्रमाण पत्रों और फर्जी नियुक्ति से नौकरी करने वाले शिक्षको की संख्या आज भी बहुतायत मात्रा में है जिस पर डीईओ कार्यालय बेमेतरा प्रमाणित शिकायतों के बाद भी कोई कार्यवाही नही कर रही है
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