धान खरीदी केंद्र टिकारी में किसानों से 1 से डेढ़ किलो धान लिया जा रहा एक्स्ट्रा घर से ही तौल कर ला रहें किसान तलपट सिस्टेम से अन्नदाता को लगाया जा रहा चुना क्या कहते है किसान समझे पूरा मामला पढ़े पूरी खबर




छत्तीसगढ़ में 1 नवंबर 2023 से धान खरीदी की शुरुआत हो गई है. किसान अपने धान समर्थन मूल्य में बेचने के लिए लगातार धान उपार्जन केंद्र पहुंच रहे हैं.लेकिन अन्नदाता किसान लिमिट से अधिक टोकन नहीं कटने की वजह से कई तरह की परेशानियों का सामना कर रहे हैं. जनवरी की कड़कड़ाती ठंड में रोज सुबह सुबह किसान खरीदी केंद्र पहुंचने मजबूर हैं
किसान कहने को तो अन्नदाता कहलाता है,परंतु अन्नदाता की जो दुर्दशा हो रही है,उसकी एक बानगी देखनी हो तो आप धान खरीदी केंद्र मस्तूरी टिकारी आ जाइए किसान अपने धान बेचने के लिए टोकन कटाने परेशान हो रहें हैं कई ऐसे किसान हैं जिनको अब भी टोकन नहीं मिला 15 दिनों से लगे होने के बावजूद,किसान रघुवीर दिनकर निवासी थेंमापार बताते हैं कि घर से ही धन को तौल कर लेकर आए हैं यह पूछे जाने पर की बोरी में कितने किलो धान भरकर लेकर आए हैं तो वह बताते हैं कि 41 से 42 किलो के बीच प्रत्येक बोरे में धान भरकर लाये हैं जब हमने उनसे पूछा कि क्या आपके लाए हुए सभी धान के बोरों का तौल होगा वह हंसते हुए बोले कि दो-चार बोरे को तौल कर देखते हैं उसके बाद सभी बोरों को तलपट स्टॉक लगा देते हैं जबकि सरकार 40 किलो धान ही प्रत्येक बोरे में खरीदी केंद्रों से उठा रही है वही जब हमने दूसरे किसान नवीन सिंहाँ निवासी डोड़की जो 307 कट्टी धान लेकर टिकारी धान खरीदी केंद्र पहुंचे हुए थे उनसे बात किया तो उन्होंने बताया कि उन्होंने भी धान को घर से तौल कर लाया है उनके बोरे में भी धान का वजन 41 से 42 किलो के बीच है दो-चार बोरों को तौल कर देखेंगे उसके बाद बाकी धान को स्टॉक में लगा देंगे जब हमने इसी क्रम में तीसरे किसान संतराम नेताम निवासी नवागांव से बात किया तो उन्होंने बताया कि वह 185 बोरे धन लेकर आया है और वह भी घर से धन तौल कर लाया है उसका भी दो चार धान की बोरी को तौल कर देखेंगे उसके बाद स्टॉक में लगा देंगे इनका भी कहना था कि उनकी धान का प्रत्येक बोरे का वजन 41 से 42 किलो के बीच है अब जरा समझिए सरकार सिर्फ धान खरीदी केंद्रों से मिलरों के माध्यम से 40 किलो प्रति बोरा के हिसाब से धान उठा रही है बाकी बोरे में बचा हुआ एक से 2 किलो धान कहां जा रहा है और क्यों लगातार किसानों को धान खरीदी केंद्रों में चूना लगाया जा रहा है ताज्जुब की बात तो यह है कि इन खरीदी केंद्रों के प्राधिकृत अधिकारी कभी इन समस्याओं पर ध्यान ही नहीं देते ना ही खरीदी केंद्रों में कभी किसानों से रूबरू होने की कोशिश करते हैं जिसका फायदा धान खरीदी केंद्रों में प्रबंधक उठा रहे हैं यह समस्या किसी एक धान खरीदी केंद्र का नहीं है यह सभी धान खरीदी केंद्रों में लगभग सामान्य रूप से चल रहा है हालांकि किसानों ने यह नहीं बोला कि उनको तौल कर लाने किसी ने कहा हैं किसी भी अधिकारी या प्रबंधक का नाम नहीं लिया पर यह तो साफ है कि 1 से 2 किलो प्रत्येक बोरे के हिसाब से किसानों से धान जो लिया जा रहा है वह किसका है और क्यों लिया जा रहा है जबकि सरकार का साफ आदेश है कि किसानों के प्रति किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी फिर इतनी लापरवाही क्यों