मस्तूरी जनपद में एक और गोलमाल खपरी में 2011-12 में बने घर को प्लास्टर कर नया दिखा किया गया जियो टेक निकाली गई राशि रोजगार सहायक की क्या थी मजबूरी अंधा भी बोल देगा घर की साईज हैं छोटा जनपद में बैठे अधिकारी लेंगे एक्शन या देंगे भ्रटाचार को बढावा पढ़े पूरी खबर




एक तरफ सरकार जहां आर्थिक रूप से पिछड़े हुए गरीब परिवारों को आवास बनाकर दे रही है वहीं दूसरे तरफ कुछ ग्राम पंचायत में इतनी लापरवाही बरती जा रही है जिसका अंदाजा लगाना भी बहुत मुश्किल है आज हम आपको खपरी (ओ) में हुए भ्रष्टाचार की कहानी बताने वाले है दरअसल ओखर से लगे ग्राम पंचायत खपरी में स्कूल के पीछे गांव की एक गरीब महिला तिज बाई ने तकरीबन 2011-12 में अपने घर का निर्माण अपने खुद के पैसे से किया था जिनका नाम लगभग 1 साल पहले आवास हितग्राहियों के लिस्ट में आया इसकी जानकारी महिला को दिया गया तब उसने घर बनवाने की बात बीच के दलालों को बताई पर गांव के जिम्मेदार जिनको आवास की जिम्मेदारी सौपी गई हैं उसने खेल कर दिया और 2011-12 मे बने घर को प्लास्टर कर नया बनाकर जिओ टेक कर दिया गया जबकि इस घर को प्रथम दृष्टिया देखने से ही मालूम हो जाएगा की घर का साइज बहुत ही छोटा है जबकि आवास से बनने वाले घर का साइज बड़ा होता है रोजगार सहायक की ऐसी कौन सी मजबूरी थी जिसके वजह से उसने पुराने घर को नया बता कर शो कर दिया यह बात हितग्राही के पुत्र ने स्वयं कैमरे के सामने बताया है और ताज्जुब की बात तो यह है कि जनपद में बैठे अधिकारी भी इसको पास करते गए अधिकारियों को भी इस बात की भनक नहीं लगी पर इन सब से कहीं ना कहीं हितग्राहियों को भारी नुकसान हो रहा कैसे हो रहा हैं ये आप समझ सकते हैं बिलासपुर जिले में ऐसा सिर्फ मस्तूरी ब्लाक में ही हो सकता है क्योंकि यहां पैसे से इमली को आम और आम को इमली बनाने में देर नहीं लगती यही कारण है कि मस्तूरी ब्लॉक पूरे जिले में बदनाम है जनपद में बैठे अधिकारी आए दिन आवास निर्माण की देखरेख जांच करने कई गांव पहुंचते हैं पर यहां किसी अधिकारी की नजर नहीं पड़ी सोच कर थोड़ा ताज्जुब होता है पर यह सच है अब देखना यह होगा कि मीडिया में यह बात आने के बाद इन अधिकारियों की नींद खुलती है या भ्रष्टाचारियों को लगातार शह देकर काले कारनामों को बढ़ावा देंगे हम तो चाहते हैं हर गरीब परिवार को रहने के लिए कंक्रीट से बना आवास मिलना चाहिए और हर गरीब परिवार के सिर पर छत होना चाहिए पर हम इस सिस्टम के खिलाफ जरूर हैं जो गरीब परिवारों के हिस्से से भी पैसे को कमीशन के रूप में निकाल ले रहे हैं अब जरा सोचिए जो रोजगार सहायक इतना बड़ा गोल माल कर सकता हैं अधिकारियों को बिना बताए वो और क्या क्या करता होगा आप समझ सकते हैं इसके कार्य शैली में सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि खपरी सरपंच पति हीरा राम पटेल ने भी इस बात की जानकारी नहीं होने की बात कही है दरअसल इस पंचायत में रोजगार सहायिका का पति पूरा काम देखता है जबकि यह किसी भी पद में नहीं है इस बारे में जब रोजगार सहायक के पति से बात किया गया तो उसने ऐसी कोई बात नहीं होने की बात कही जबकि हितग्राही का बेटा बता रहा है कि इस घर का निर्माण 2011-12 में हुआ था जिसको लेंटर लेवल में छोड़ दिया गया था और आवास का पैसा आने के बाद इसका ढलाई हुआ और छबाई भी कराई गई पर रोजगार सहायक का पति इन सभी बातों से इनकार कर रहा है अब देखना होगा जनपद में बैठे अधिकारी इस पर क्या एक्शन लेते हैं