गतौरा में मनीराम श्रीवास कि युवा टीम के द्वारा जमकर किया जा रहा वृक्षारोपण इस बारिश 100 पेड़ लगाने रखा गया लक्ष्य जनप्रतिनिधि भी आये साथ पढ़े पूरी खबर




आज के समय में मनुष्य के जीवन में पर्यावरण का महत्य किसी से छिपी नहीं है यही वजह है कि आज गांव गांव में युवाओ द्वारा वृक्षों कि अन्धा धुन कटाई कि भरपाई करने के लिए वृक्षा रोपण किया जा रहा है गतौरा कि युवा टीम मनी राम श्रीवास शांति लाल ब्रम्हा वस्त्रकार सतीश चंद्राकर आकाश खांडे आर्यन खांडे राहुल खांडे अखिलेश खांडे सचिन खांडे पिपेन्द्र कुर्रे जनशा टंडन दिलेश आनंद रामचंद पटेल नरेंद्र चंद्राकर रवि कांत रवि मधुकर पिंटू कुर्रे समीर खांडे विष्णु खांडे विक्की खांडे सिद्धार्थ खांडे आदि युवाओ के द्वारा किया गया वृक्षा रोपण वही जनपद सदस्य देवी कुर्रे ने बताया कि मानव सभ्यता के उदय के आरंभिक समय में वह वनों में वृक्षों पर या उनसे ढकी कन्दराओं में ही रहा करता था। वह (मानव) वृक्षों से प्राप्त फल-फूल आदि खाकर या उसकी डालियों को हथियार के रूप में प्रयोग करके पशुओं को मारकर अपना पेट भरा करता था। वृक्षों की छाल की वस्त्रों के रूप में प्रयोग करता था। यहाँ तक कि ग्रन्थ आदि लिखने के लिए जिस सामग्री का प्रयोग किया जाता था। वे भोज–पत्र अर्थात विशेष वृक्षों के पत्ते ही थे। वृक्ष वातावरण को शुद्ध व स्वच्छ बनाते है। इनकी जड़ें भूमि के कटाव को रोकती है। वृक्षों के पत्ते भूमि पर गिरकर सड़ जाते हैं। तथा ये मिट्टी में मिलकर खाद बन जाते है। और भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते है। मानव सभ्यता के विकास के साथ जब मानव ने गुफाओं से बाहर निकलकर झोपड़ियों का निर्माण आरंभ किया तो उसमें भी वृक्षों की शाखाएं व पत्ते ही काम आने लगे, आज भी जब कुर्सी, मेज, सोफा, सेट, रेक, आदि का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। यह भी मुख्यतः लकड़ी से ही बनाए जाते हैं। अनेक प्रकार के फल-फूल और औषधियों भी वृक्षों से ही प्राप्त होती है। वर्षा जिससे हमें जल व पेय जल प्राप्त होते हैं वह भी प्राय वृक्षों के अधिक होने पर ही निर्भर करती है। इसके विपरीत यदि हम वृक्ष-शून्य की स्थिति की कल्पना करें तो उस स्थिति में मानव तो क्या समुची जीव सृष्टि की दशा ही बिगड़ जाएगी। इस स्थिति से बचने के लिए वृक्षारोपण करना अत्यंत आवश्यक है। आजकल नगरों तथा महानगरों में छोटे-बड़े उद्योग–धंधों की बाढ़ से आती जा रही है। इनसे धुआं, तरह-तरह के विषैली गैसें आदि निकलकर वायुमंडल में फेल कर हमारे पर्यावरण में भर जाती है। पेड़ पौधे इन विषैली गैसों को वायुमंडल में फैलने से रोक कर पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकते हैं। यदि हम चाहते हैं कि हमारी यह धरती प्रदूषण रहित रहे तथा इस पर निवास करने वाला मानव सुखी व स्वस्थ बना रहे तो हमें पेड़-पौधों की रक्षा तथा उनके नवरोपण की ओर ध्यान देना चाहिए।