संस्कृत दिवस के बारे में जानते है डॉ सुमित्रा से...




संस्कृत दिवस के बारे में जानते है डॉ सुमित्रा से
डॉ सुमित्रा अग्रवाल
आर्टिफीसियल ऑय को
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संस्कृत दिवस कब और क्यों मनाते हैं
नया भारत डेस्क : संस्कृत दिवस सावन माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह तिथि भारतीय कैलेंडर के अनुसार है। संस्कृत दिवस की शुरुआत 1969 में हुई थी। इस बार संस्कृत दिवस 31 अगस्त 2023, दिन गुरुवार को है। रक्षाबंधन का त्यौहार भी सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है, इसका मतलब राखी और संस्कृत दिवस एक ही दिन मनाए जाते हैं।
भारतीय धार्मिक संस्कृति द्वारा संस्कृत को ‘देव भाषा’ का दर्जा दिया गया है। आज कहीं न कहीं, यह भाषा अपना अस्तित्व खोती जा रही है। भारत में भी विदेशी भाषाओं और अंग्रेजी के बढ़ते महत्व के कारण संस्कृत पढ़ने, लिखने और समझने वालों की संख्या दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। इसलिए, संस्कृत दिवस और संस्कृत सप्ताह भारतीय समुदाय या समाज को संस्कृत के महत्व और आवश्यकता को याद दिलाने और जन मानस में इसके महत्व को बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
हर साल श्रावण पूर्णिमा के अवसर पर इस दिवस का आयोजन किया जाता है। संस्कृत को दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक होने का गौरव प्राप्त है। इसे देवताओं की भाषा भी कहा जाता है। दुनिया की सबसे शुरुआती भाषाओं में से एक होने का गौरव प्राप्त करने वाली यह भाषा भारतीय इतिहास के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इसके बारे में लोगों को और अधिक जागरूक करने के मकसद से हर साल विश्व संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है।
क्या है दिवस का मकसद ?
संस्कृत भाषा के पुनरुत्थान और संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए पूरे देश में विश्व संस्कृत दिवस मनाया जाता है। इस दिन संस्कृत भाषा पर ध्यान केंद्रित करते हुए के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने और उसकी सराहना करने के लिए और भाषा के महत्व के बारे में बात करने के लिए आमतौर पर पूरे दिन कई सेमिनार आयोजित किए जाते हैं।
क्या है इसका इतिहास ?
ऐसा माना जाता है कि संस्कृत भाषा की उत्पत्ति भारत में करीब 3500 वर्ष पहले हुई थी। साल 1969 में पहली बार संस्कृत दिवस का आयोजन किया गया था। इस दिवस का उद्देश्य संस्कृत के पुनरुद्धार के बारे में जागरूकता फैलाना और उसे बढ़ावा देना है। इस दिवस पर भारतीय इतिहास और संस्कृति में संस्कृत के स्थान को स्वीकार किया जाता है।
क्या है भाषा की खासियत ?
साहित्यिक दृष्टिकोण से बात करें तो संस्कृत मुख्य रूप से दो अवधियों में विभाजित है। ये वैदिक और शास्त्रीय के नाम से जाने जाते हैं। वैदिक संस्कृत मुख्य रूप से ऋग्वेद, उपनिषद और पुराणों का एक हिस्सा है। वेदों की रचना 1,000 से 500 ईसा पूर्व के बीच हुई थी। आज भी हिंदू धार्मिक अनुष्ठानों और प्रथाओं में संस्कृत भाषा का प्रमुख स्थान है। घरों में पूजा-पाठ और मंत्रोच्चारण संस्कृत भाषा में ही किया जाता है।