Garun Puran : अकाल मृत्यु होने पर जीवात्मा को नही मिलती शांति, तुरंत कराएं ये पूजा, नहीं तो...
Garun Puran: In case of untimely death, the soul does not get peace, perform this puja immediately, otherwise... Garun Puran : अकाल मृत्यु होने पर जीवात्मा को नही मिलती शांति, तुरंत कराएं ये पूजा, नहीं तो...




Garun Puran:
नया भारत डेस्क : हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मरण अवस्था तक कार्मकांड का विधान है। बात करें पुराणों में तो गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु और उनके वाहन गरुड़ का दिव्य संवाद है। पक्षिराज गरुड़ ने भगवान विष्णु से वो सारे प्रश्न पूछे हैं जिससे मानव का कल्याण हो सके। पक्षिराज गरुड़ ने भगवान विष्णु से इस पुराण में वो सारी बातें मानव क्लयाण के हित के बारे में पूछी हैं जिससे प्राणियों को मोक्ष मिले और उनका मानव जीवन सुखद बीते। (Garun Puran)
आज हम आपको गरुड़ पुराण के अनुसार यह बताने जा रहे हैं कि जब किसी की अकाल मृत्यु होती है तो उसके निमित्त कौन सी पूजा कराने से मृत्य लोगों की आत्मा को शांति प्रदान की जाती सकती है और यह पूजा कितनी जरूरी है। (Garun Puran)
अकाल मृत्यु होने पर जीवात्मा विचलित हो जाती है
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जब किसी की असमान्य मृत्यु होती है जैसे की अचानक से चोट लग जाना, किसी हादसे के कारण या किसी दुर्घटना के चलते जब मनुष्य प्राण त्यागता है तो उसे अकाल मृत्यु कहा जाता है। यह समय जीवात्मा के लिए बहुत कष्टकारी होता है क्योंकि उसका सांसारिक मोह होने के कारण उससे उसका शरीर छिन जाता है और वह पुनः अपनी देह में वापस आने के लिए व्याकुल होती है। (Garun Puran)
अपने मृत्य शरीर को जीवात्मा देख कर इसलिए बेचेन होती है क्योंकि उसकी कुछ अधूरी इच्छाएं, परिवार से मोह और अपनों से उम्मीदें ये सभी बातें उस समय जीवात्मा को घोर पीड़ा देती है। गरुड़ पुराण के अनुसार वह जीवात्मा अपनी सीमित आयु की अवधि तक 84 योनियों में से प्रेत योनि को प्राप्त करती है और जब तक पूर्ण आयु अवधि नहीं पूरी होती है। वह इधर-उधर भूख प्यास से व्याकुल होकर भटकती रहती है। यह सब कर्मों के अनुसार निर्धारित होता है। (Garun Puran)
अकाल मृत्यु हो जाने पर कराएं नारायण बलि पूजा
जीवात्मा को जब शांति नहीं मिलती या उसके निमित्त उचित क्रिया कर्म और अंतिम संस्कार नहीं होता तो वह अपने परिजनों से यह अपेक्षा करती है कि वह उसके निमित्त उचित कर्माकांड करा कर उसे मुक्ति दिला दें। जब तक जीवात्मा को मुक्ति नहीं मिलती वह पितृ रूप में प्रेत योनि प्राप्त कर मृत्युलोक में भटकती रहती है। इसके लिए गरुड़ पुराण में नारायण बलि की पूजा का विधान बताया गया है। अकाल मृत्यु हो जाने के बाद नारायण बलि ही एक ऐसी पूजा है जिसे विधि विधान द्वारा कराने पर जीवात्मा को मुक्ति मिल जाती है और वह कर्म बंधन से मुक्त हो जाती है। (Garun Puran)
विष्णु जी से की जाती है मुक्ति की प्रार्थना
गरुड़ पुराण के अनुसार नारायण बलि की पूजा में भगवान विष्णु से जीवात्मा की मुक्ति के लिए प्रार्थना की जाती है और उसके कर्मों के प्राश्चित के लिए छमा याचना की जाती है। इस पूजा में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों के निमित्त एक-एक पिंड बनाया जाता है। यह पूजा 5 उच्च वेद पाठी ब्राह्मणों द्वारा कराई जाती है। इस पूजा में विधि पूर्वक पिंड दान समेत जीवात्मा की मुक्ति के लिए पूजा पद्धति अपनाई जाती है। (Garun Puran)
यह पूजा कराने से अकाल मृत्यु प्राप्त जीवात्मा को मुक्ति मिल जाती है और परिजन पितृ रूप में आशीर्वाद देते हैं। यह पूर्वज रूप में सदैव के लिए उस घर में संपन्नता का आशीर्वाद बना देते हैं। जो लोग अकाल मृत्यु होने पर परिजनों के निमित्त यह पूजा कराते हैं उनके ऊपर पितृ दोष नहीं लगता है। (Garun Puran)
तीर्थ स्थल में करा सकते हैं नारायण बलि की पूजा
गरुड़ पुराण के अनुसार इस पूजा को पवित्र तीर्थस्थल, देवालय या तीर्थजल और घाट के पास कराना बेहद फलदायक होता है। यह पूजा पितृ पक्ष या फिर किसी बड़ी अमाव्सया के दिन ही करानी चाहिए। (Garun Puran)